कुछ देशों में कोरोना वायरस के नये संस्करण स्ट्रेन का प्रवेश हो चुका है, जिसमें भारत भी शामिल है। हालांकि, कहा जा रहा है कि मौजूदा टीका कोरोना वायरस के नये संस्करण स्ट्रेन को भी काबू करने में सक्षम है। इसलिए, इस मामले में बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं है।
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि प्रति 10 लाख में मृत्यु दर, संक्रमण से ठीक होने की दर आदि के मामले में भारत का प्रदर्शन कोरोना से प्रभावित अन्य देशों के मुक़ाबले बेहतर रहा है। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 15 शहरी जिलों में भी अब संक्रमण के नये मामले लगभग नहीं के बराबर आ रहे हैं। इतना ही नहीं, कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित शीर्ष 15 ग्रामीण जिलों में भी मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।
एक तरफ, भारत में कोरोना वायरस के आक्रमण की धार कुंद पड़ गई है, तो दूसरी तरफ भारत ने कोरोना वायरस का टीका आम लोगों को लगाने की तैयारी भी पूरी कर ली है। भारत में बड़े पैमाने पर टीका लगाना कोई नई बात नहीं है। भारत पोलियो, टिटनेस, डिप्थीरिया, काली खांसी, आदि बीमारियों का खात्मा करने के लिये सघन टीकाकरण अभियान पूर्व में चला चुका है।
सरकार ने अनुमान लगाया है कि 20 अगस्त 2021 तक 30 करोड़ लोगों, जो कुल जनसंख्या का 22 प्रतिशत है, को टीका लगाया जायेगा और वर्ष 2022 के अंत तक अन्य 50 करोड़ वयस्क जनसंख्या को टीका लगाया जायेगा।
सरकार की योजना सबसे पहले कोरोना वायरस से लड़ने वाले अग्रणी योद्धाओं को और उसके बाद आसानी से संक्रमित होने वाले बुजुर्गों को टीका लगाने की है।
कुछ देशों में कोरोना वायरस के नये संस्करण स्ट्रेन का प्रवेश हो चुका है, जिसमें भारत भी शामिल है। हालांकि, कहा जा रहा है कि मौजूदा टीका कोरोना वायरस के नये संस्करण स्ट्रेन को भी काबू करने में सक्षम है। इसलिए, इस मामले में बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं है।
टीका के एक खुराक की प्रशासनिक लागत 100-150 रूपये और सीरम संस्थान की एक टीका की लागत 250-300 रुपये होगी। दोनों को मिलाकर प्रति व्यक्ति दो खुराक टीका की कीमत 700-900 रुपये होगी।
इस प्रकार, 30 करोड़ आबादी का टीकाकरण करने में 21,000 से 27,000 करोड़ रूपये खर्च होंगे और दूसरे चरण में बचे हुए 50 करोड़ आबादी को टीका लगाने में सरकारी खजाने पर 35,000 से 45,000 करोड़ रूपये का भार पड़ेगा, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 0.3 से 0.4 प्रतिशत होगा।
भारत बायोटेक का दावा है कि उसके वैक्सीन की कीमत 100 रुपये प्रति खुराक से कम होगी। अगर ऐसा होता है तो सरकार की टीकाकरण की लागत और भी कम हो जायेगी।
इज़राइल अब तक अपने 15 प्रतिशत जनसंख्या को टीका लगा चुका है। भारत की योजना अगस्त 2021 तक 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की है। इसलिए, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत में प्रति दिन 13.27 लाख लोगों को मध्य जनवरी से टीका लगाना होगा। भारत की तैयारियों के मद्देनज़र माना जा रहा है कि प्रतिदिन टीकाकरण के निर्धारित लक्ष्य को हासिल कर लिया जायेगा।
दूसरी तरफ, सरकार द्वारा किये गये ढांचागत सुधार और घोषित किये गये प्रोत्साहन पैकेज का सकारात्मक प्रभाव विविध उद्योगों पर भी पड़ा है। इसी वजह से अर्थव्यवस्था के सभी मानकों में दिसंबर 2020 में सुधार हुआ है। इतना ही नहीं, कई क्षेत्रों में कोरोना काल से पहले के शीर्ष स्तर से भी बेहतर सुधार हुआ है। कारोबारी गतिविधियां भी फरवरी 2019 के स्तर पर पहुँच गई हैं। विविध उत्पादों की मांग और आपूर्ति में लगातार वृद्धि हो रही है।
तालाबंदी को चरणबद्ध तरीके से खोलने से आर्थिक गतिविधियों में निरंतर तेजी आ रही है। देश में कोरोना वायरस का टीका आने से लोगों के दिलो-दिमाग से मनोवैज्ञानिक डर खत्म हो रहा है। उम्मीद है कि कल-कारखाने और कामगार जल्द ही अपनी पूरी क्षमता से काम करना शुरू कर देंगे, जिससे अर्थव्यवस्था में और भी मजबूती आयेगी।
(प्रस्तुत विचार लेखक के निजी हैं।)