जिस समय कोरोना पूरी दुनिया में मुंह बाए खड़ा था, तब भारत संभल चुका था। अब जबकि दुनिया में कोरोना संक्रमण बेकाबू हो गया है, भारत ने अपने यहां माकूल इंतज़ाम करते हुए कोरोना से युद्ध को एक ऐसा रूप दे दिया है कि हर नागरिक इसमें अपनी भूमिका, अपना योगदान दर्ज कराना चाहता है और करा भी रहा है।
कोरोना संकट देश और दुनिया में मौजूदा समय की सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस वैश्विक संकट ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। राष्ट्रों के विकास के पहिये थम गए हैं और मानव मात्र जीवन बचाने में जुटा हुआ है।
चूंकि यह विश्व व्यापी महामारी है इसलिए इससे कोई भी देश अछूता नहीं रहा है लेकिन हर देश की भौगोलिकता, अर्थव्यवस्था, जनसंख्या, अधोसरंचना एवं बुनियादी सुविधाओं का स्तर भिन्न होता है, ऐसे में कोरोना से होने वाला प्रभाव भी सभी देशों के लिए सापेक्ष रूप से पड़ा है।
हमारे देश भारत की बात की जाए तो मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि देश ने कोरोना की विभीषिका को तो सहा लेकिन आनुपातिक रूप से देखा जाए तो देश अन्य राष्ट्रों की तुलना में अच्छी स्थिति में है। और अब तो इस महामारी से बचने वालों की संख्या बहुत बढ़ रही है। मृत्यु दर में कमी आई है और रिकवरी रेट बहुत हद तक सुधरा है।
असल में, मार्च में जब देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था, तब कोरोना अपने मारक स्वरूप में था। हालांकि चिकित्सा जगत के जानकारों का शुरू से कहना रहा है कि कोरोना से होने वाली मृत्यु दर उतनी तीव्र नहीं है, जितनी इसकी संक्रमण की क्षमता। निश्चित ही कोरोना की संक्रमण क्षमता बहुत तेज है। इसके चलते लाखों लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। लेकिन इसमें मुख्य बिंदु सक्रिय मामलों एवं ठीक हो चुके मामलों की तुलना पर आकर ठहरता है।
यह लेख लखे जाने तक भारत में संक्रमितों की संख्या 32 लाख के पार पहुंच चुकी है लेकिन इससे ठीक होने वालों की संख्या 24 लाख से भी ज्यादा है। वर्तमान में कोरोना के सक्रिय मामले 7 लाख के करीब हैं। यानी कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या इसके एक्टिव केस की तुलना में तीन गुना से भी अधिक है।
यहां इस बात का उल्लेख करना आवश्यक होगा कि सरकार ने देश में कोरोना की जांच का दायरा बहुत व्यापक पैमाने पर कर दिया है। बीते एक पखवाड़े में रिकॉर्ड सेंपलिंग हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का महकमा इस काम में जी जान से जुटा हुआ है। मंत्रालय का कहना है कि संक्रमण का पता लगाने के लिए बड़ी संख्या में नमूनों की जांच की जा रही है। बढ़ते मामलों के बीच टेस्ट के अनुपात में संक्रमण की दर घट रही है।
अब तक देश में लगभग 3.7 करोड़ सेंपल की जांच हो चुकी है। इसके साथ ही संक्रमण की दर गिरकर मात्र 8.60 प्रतिशत रह गई है। देश में प्रति 10 लाख की आबादी पर कोरोना संबंधी जांच की संख्या बढ़कर 26,685 हो गई है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या सक्रिय मामलों से तीन गुना ज्यादा है।
कुल मामलों के 22.2 प्रतिशत केस सक्रिय हैं। खास बात यह है कि ऐसा पहली ही बार देखने को मिला है कि बीते 24 घंटे में सक्रिय मामलों की संख्या में 6,400 की गिरावट दर्ज हुई है। मंत्रालय के मुताबिक मरीजों के स्वस्थ होने की दर 75 प्रतिशत से ज्यादा हो गया है। कोरोना से मृत्युदर 1.58 प्रतिशत है जो कि दुनिया में सबसे कम में शामिल है। यदि समय पर सरकार ने लॉकडाउन नहीं लगाया होता तो कोरोना से होने वाली जनहानि का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता।
कोरोना का कहर सबसे अधिक महाराष्ट्र में देखा गया है। इसके अलावा तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात की बारी आती है। वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्रालय का सारा जोर टेस्टिंग पर लगा है। इसी सप्ताह दो दिन पहले रिकॉर्ड 9 लाख 25 हजार जांचें की गईं थीं। उत्तर प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर दो लाख के करीब हो गई है। यहां अब तक 3059 लोगों की इस महामारी की वजह से जान भी जा चुकी है।
दक्षिण भारत का रूख करें तो आंध्र प्रदेश में 10 हजार नए केस आए हैं और यहां मरीज 3 लाख के पार हो चुके हैं। इसी प्रकार तमिलनाडु में भी 5951 नए केस सामने आए हैं। यहां संक्रमितों का आंकड़ा चार लाख के करीब पहुंच गया है। यह बात अलग है कि तमिलनाडु में नए केस से अधिक 6,998 मरीज ठीक भी हुए हैं। अब तक तीन लाख 32 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं।
देश में इस समय अनलॉक 3 चल रहा है जो 31 अगस्त को समाप्त होने जा रहा है। लॉकडाउन के तीन और अनलॉक के तीन चरण देख लेने, जी लेने के बाद देश अनलॉक 4 एवं इसके दिशा-निर्देशों के लिए पूरी तरह से तैयार है।
अभी तक सरकार ने सार्वजनिक परिवहन, मनोरंजन, धार्मिक गतिविधियां, खेल आयोजन सहित शैक्षणिक गतिविधियों पर विराम लगाया हुआ है क्योंकि संक्रमण के मामलों में यहां जोखिम नहीं लिया जा सकता।
इस बीच यह उम्मीद जताई जा रही है कि पहली सितंबर से अनलॉक 4 के ऐलान के साथ ही शैक्षणिक गतिविधियों को सशर्त बहाल करने की अनुमति दे दी जाए। लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब कोरोना को लेकर सरकार एवं अभिभावक पूरी तरह से आश्वस्त हों। यदि ऐसा होता है तो बहुत अच्छी बात है।
जिस समय कोरोना पूरी दुनिया में मुंह बाए खड़ा था, तब भारत संभल चुका था। अब जबकि दुनिया में कोरोना संक्रमण बेकाबू हो गया है, भारत ने अपने यहां माकूल इंतज़ाम करते हुए कोरोना से युद्ध को एक ऐसा रूप दे दिया है कि हर नागरिक इसमें अपनी भूमिका, अपना योगदान दर्ज कराना चाहता है और करा भी रहा है।
दो गज की दूरी और मॉस्क जरूरी जैसे स्लोगन को जीवन में उतारते हुए ही आज हम इस मुकाम पर हैं कि हमारे यहां रिकवरी रेट संतोषनजक स्थिति में है। इसी प्रकार से यदि सभी अपने हिस्से का नागरिक बोध निभाते जाएं तो जल्द ही इस जानलेवा वायरस को देश ही नहीं, बल्कि दुनिया से भी खदेड़ने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)