बार्कलेज क्लाइंट के अनुसार भारत में संपत्ति निमार्ण बहुत तेजी से हो रहा है। कम समय में लोग सपंत्ति संचय करने में सफल हो रहे हैं। अब भारत में संपत्ति का लोकतांत्रिकरण हो रहा है। इसमें दो राय नहीं है कि देश में चुनौतियां एवं समस्याएं बहुत हैं, लेकिन इसके साथ-साथ संभावनाएं भी बेशुमार हैं। अब कारोबारी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए अवसरों का लाभ उठा रहे हैं। यह इस बात का भी संकेत है कि भारत में कारोबार करना आसान हुआ है। लालफ़ीताशाही और बाबूशाही कम होने से लोगों के कारोबार फल-फूल रहे हैं।
सितंबर तिमाही के लिये जीडीपी आंकड़े कुछ दिनों के बाद जारी किये जाने वाले हैं, लेकिन इससे पहले अर्थशास्त्री एवं देश व विदेश के वित्तीय संस्थान जीडीपी के आंकड़ों के गुलाबी होने का अनुमान लगा रहे हैं। अर्थशास्त्रियों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी 7.2% से 7.9% के बीच रह सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में 7.4% की दर से विकास होने का अनुमान लगाया है।
गौरतलब है कि मार्च, 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि 7.7% की दर से हुई थी, लेकिन वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि 8.2% के दर से हुई, जो पिछले 9 तिमाहियों में सबसे अधिक थी। आश्वस्त करते इन आंकड़ों का अनुमान तब लगाया जा रहा है, जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ी हुई है, मानसून बहुत सकारात्मक नहीं रहा है और रूपये में भी कमजोरी आई है। बहरहाल, इनके बाद भी विनिर्माण क्षेत्र में तेजी आने, उत्पादों के उपभोग में वृद्धि होने आदि की बात कही जा रही है।
वित्त वर्ष 2019 में ईंधन की कीमत में हो रही बढ़ोतरी के कारण मुद्रास्फीति के 4.7% रहने का अनुमान लगाया गया है, जो वित्त वर्ष 2018 में 3.6% थी। साफ है मुद्रास्फीति में पिछले साल के मुक़ाबले इजाफा होने का अनुमान है। बावजूद इसके यह अनुमान रिजर्व बैंक के लक्ष्य के अनुरूप है। इसलिए, सरकार और केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित नहीं है। इसके अलावा, रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये समय-समय पर नीतिगत उपायों का भी सहारा ले रहा है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी कहा है कि जीडीपी वृद्धि दर आगामी तिमाहियों में निश्चित तौर पर तेज गति से बढ़ेगी। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देबरॉय के अनुसार भी पहली तिमाही की वृद्धि दर से देश की आर्थिक बुनियाद की मजबूती पुष्ट हुई है, जो इस बात का भी संकेत है कि देश की अर्थव्यवस्था आधारभूत रूप से सुदृढ़ बनी हुई है।
अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि घरेलू एवं बाहरी चुनौतियों के बावजूद आगामी वर्षों में भारत जैसे उभरते बाज़ार की जीडीपी दर ऊँची रह सकती है। अगस्त, 2018 में जारी ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2018-19 की रिपोर्ट में मूडीज ने वित्त वर्ष 2019 के लिये भारत में विकास दर के 7.5% रहने की बात कही है।
मूडीज का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ रहे कच्चे तेल की कीमत का ज्यादा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार भारत जीडीपी वृद्धि के मामले में चीन से काफी आगे रहेगा और दुनिया में सबसे तेज वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आईएमएफ ने वर्ल्ड इकॉनमिक आउटलुक में लिखा है कि वित्त वर्ष 2019 में भारत की वृद्धि दर 7.3% रहेगी, जबकि वित्त वर्ष 2020 में 7.4% रह सकती है।
आईएमएफ ने चीन की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2019 में 6.2% रहने का अनुमान लगाया है। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7% रही थी। आईएमएफ के अनुसार भारत का चालू खाते का घाटा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 3% पर आ सकता है, जबकि वित्त वर्ष 2020 में यह 2.5% पर पहुंच जायेगा। इस अनुमान का कारण मौजूदा सरकार द्वारा खर्चों में कटौती करना और राजस्व बढ़ाने पर ज्यादा ज़ोर देना है।
जीएसटी से राजस्व संग्रह के मोर्चे पर सरकार को ढेर सारी उम्मीदें है। मौजूदा समय में भारत में निवेश का माहौल बेहतर है। निजी उपभोग में भी तेजी आई है। उत्पादों के माँग में वृद्धि हुई है। विनिर्माण के मोर्चे पर भी सकारात्मक नतीजे दृष्टिगोचर हो रहे हैं।
इधर, बार्कलेज हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2018 की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में तेजी से संपत्ति में बढ़ोतरी हो रही है। भारत के 831 लोगों के पास 1000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। यह भारत की कुल जीडीपी का एक चौथाई है। इन 831 लोगों के पास 719 अरब यूएस डॉलर की संपत्ति है, जो भारत की जीडीपी, जो राशि में 2,848 अरब यूएस डॉलर है का 25% है। पिछले साल की तुलना में अमीरों की सूची में 214 नये नाम जुड़े हैं।
रिलायंस इंडस्ट्री के अध्यक्ष मुकेश अंबानी 7 सालों से इस सूची में पहले स्थान पर बने हुए हैं। ओयो के संस्थापक 24 साल के श्री रितेश अग्रवाल इस सूची में सबसे युवा अमीर हैं। इस संदर्भ में बड़ा बदलाव यह है कि पारंपरिक कारोबार जैसे, फार्मा क्षेत्र की जगह डिजिटल क्षेत्र में कारोबार करने वाले ज्यादा लोग अमीर बन रहे हैं। एक बड़ा फर्क यह भी है कि धीरे-धीरे कारोबार की अगुआई नई पीढ़ी के युवा करने लगे हैं।
बार्कलेज क्लाइंट के अनुसार भारत में संपत्ति निमार्ण बहुत तेजी से हो रहा है। कम समय में लोग सपंत्ति संचय करने में सफल हो रहे हैं। अब भारत में संपत्ति का लोकतांत्रिककरण हो रहा है। इसमें दो राय नहीं है कि देश में चुनौतियां एवं समस्याएं बहुत हैं, लेकिन इसके साथ-साथ संभावनाएं भी बेशुमार हैं। अब कारोबारी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए अवसरों का लाभ उठा रहे हैं। यह इस बात का भी संकेत है कि भारत में कारोबार करना आसान हुआ है। लालफ़ीताशाही और बाबूशाही कम होने से लोगों के कारोबार फल-फूल रहे हैं।
कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू एवं वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हुए बेहतर प्रदर्शन कर रही है। अर्थशास्त्री बेहतर जीडीपी वृद्धि के कयास लगा रहे हैं, जिनके सही होने की अपूर्व संभावना है। भारतीय रिजर्व बैंक, नीति आयोग, मूडीज़, आईएमएफ आदि दिग्गज वित्तीय संस्थानों के अनुसार भारत की विकास दर और भी बेहतर होगी, क्योंकि वैश्विक मंदी, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी, मानसून के गड़बड़ होने, रूपये के कमजोर होने, नये-नये आर्थिक सुधारों को अमलीजामा पहनाने के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ रही है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)