विपक्षी दलों द्वारा इस बात का बहुत हल्ला मचाया गया था कि जीएसटी आने से दैनिक उपयोग और खाने-पीने की चीजों के दामों में वृद्धि होगी। लेकिन, मौजूदा टैक्स स्लेब के हिसाब से अगर हम देखें तो अनाज, दूध, ताज़ी सब्जियां आदि ज्यादातर खाने-पीने की चीजों के दाम कम होते ही नज़र आ रहे हैं। इसके अलावा दैनिक उपयोग की और भी कई चीजों की कीमतें होने की ही बात सामने आ रही है। कहना न होगा कि जीएसटी से महंगाई बढ़ने के विपक्ष के दावे की हवा निकलती नज़र आ रही है।
देश एक है, तो अब कर भी एक ही चुकाना होगा। एकल टैक्स लगाने की मांग कई सालों से चल रही थी। एनडीए सरकार ने अपने तीसरे वर्षगाँठ पर जीएसटी के ज़रिये अर्थव्यवस्था में ऊष्मा भरने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। जीएसटी काउंसिल ने 1200 से ज्यादा वस्तुओं और सेवाओं के लिए 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत, टैक्स के ये चार स्लैब तय किए हैं। संघीय ढांचे को मजबूत करने की दिशा में भी यह महत्वपूर्ण घटना है।
भारत में टैक्स चोरी रोकने की दिशा में अब तक जितने भी प्रयास किए गए, वह नाकाफी साबित हुए हैं; अब आगे क्या होगा? क्या इस नई टैक्स व्यवस्था के आने से इकॉनमी लीक पर आ जाएगी? हिंदुस्तान के आज़ाद होने के बाद यह व्यवस्था और भी ज्यादा जटिल और दुरूह होती गई। जीएसटी के बाद लोग उम्मीद कर रहे हैं कि प्रावधान सरल होंगे, व्यपारियों की परेशानी घटेगी। उन्हें बाबुओं से आज़ादी मिल जाएगी, जो भ्रष्ट व्यवस्था के सबसे बड़े पोषक हैं।
1 जुलाई के बाद से राज्यों की टैक्स कलेक्शन में भूमिका क्या रहेगी, टैक्स कलेक्शन पर अमल कैसे होगा, यह सबसे बड़ा प्रश्न है। टैक्स इकठ्ठा करने के पीछे सोच यही है कि जनता की मुश्किलें घटें। टैक्स स्लैब तय करने की खबर आने के बाद देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में इस बात की चर्चा तेज़ हो गई है कि क्या महंगा हुआ और क्या सस्ता।
दरअसल विपक्षी खेमों द्वारा इस बात का बहुत हल्ला मचाया गया था कि जीएसटी आने से दैनिक उपयोग और खाने-पीने की चीजों के दामों में वृद्धि होगी। लेकिन, मौजूदा टैक्स स्लेब के हिसाब से अगर हम देखें तो अनाज, दूध, ताज़ी सब्जियां आदि ज्यादातर खाने-पीने की चीजों के दाम कम होते ही नार आ रहे हैं। इसके अलावा दैनिक उपयोग की और भी कई चीजों की कीमतें होने की ही बात सामने आ रही है। कहना न होगा कि जीएसटी से महंगाई बढ़ने के विपक्ष के दावे की हवा निकलती नज़र आ रही है।
मोटे तौर पर समझें तो अभी आम आदमी सामान खरीदते वक्त 30-35% टैक्स टैक्स अदा करता है, जीएसटी लागू होने के बाद ये टैक्स घटकर 20-25% रहने की उम्मीद है। फिलहाल देश में 20 अलग अलग तरह के टैक्स लगते हैं जीएसटी आने के बाद सिर्फ एक टैक्स लगेगा। नए प्रावधानों के तहत, आम जनता को कुछ क्षेत्रों में राहत मिली है। फ़र्ज़ कीजिए अगर आप होटल में 1000 रूपये के कमरे में ठहरते हैं तो आपका टैक्स माफ़ है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली आपकी सेहत का ख्याल तो रख ही रहे हैं साथ ही आपके पॉकेट की भी उनको फिकर है। वह चाहते हैं कि आप घर पर खाना बनाएं और खाएं। महंगे रेस्तरां में जायेंगे तो खर्च भी ज्यादा करना होगा।
1 जुलाई के बाद से राज्यों को और केंद्र को तभी फायदा है जब कर संग्रहण ज्यादा हो, कहीं ऐसा न ही कर संग्रह में पर्याप्त वृद्धि न हो। बाजार को जीएसटी से बड़ी उम्मीद है, इस वक़्त भारत की अर्थव्यवस्था लगभग 7 फीसद की दर से विकास कर रही है। शेयर मार्किट के जानकारों की राय है कि जीएसटी के आने के बाद जीडीपी में 2 फीसद का कम से कम इजाफा देखने को मिलेगा। सरकार को जीएसटी के आने से बड़ी कंपनियों को टैक्स के जाल में लाने में आसानी रहेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों कहा था कि हवाई सुविधा को आम लोगों के लिए सस्ती की जाएगी ताकि लुंगी और चप्पल पहनने वाला भी अपना यात्रा कर सकें। हवाई यात्रा इस हिसाब से महँगी न हो, यह वित्त मंत्री को सुनिश्चित करना होगा।
जीएसटी का मकसद है, भारत को एक साझा बाज़ार में तब्दील करना। मूल मुद्दा वही है कि क्या जीएसटी के आने से आपकी जेब पर कम बोझ पड़ेगा, आमदनी बढ़ जाएगी। अगर जवाब हाँ है, तो अब हमें मिलकर सही रास्ते पर चलना होगा। जीएसटी से उम्मीद पालें लेकिन इसे समय दें, कम से कम दो साल। मूलभूत बदलाव लाने में वक़्त लगता है, समस्याएं भी क्षण भर में काफूर नहीं होती।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)