मजदक दिलशाद बलूच, बलूच आन्दोलन से जुड़े हुए बलूच नेता हैं एवम् वर्तमान में कनाडा मे निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। बचपन में ही पाकिस्तान के अत्यचार के कारण इनका परिवार बलूचिस्तान छोड़ने को मजबूर हो गया था। आपकी माता नीला क़ादिरि बलुच “विश्व बलूच वुमन फ़ोरम्” की अध्यक्षा हैं एवम् आपके पिता मीर गुलाम मुस्तफ़ा रायसैनि कनाडा में फ़िल्म निर्माता हैं। मज़दक दिलशाद का यह साक्षात्कार भानु कुमार झा एवं आयुष आनंद द्वारा उनके दिल्ली स्थित वर्तमान आवास पर दिनांक 22 सितम्बर 2016 को लिया गया था। इस साक्षात्कार का कुछ अंश प्रस्तुत किया गया था, अब शेष अंश प्रस्तुत कर रहे हैं :
प्रश्न: आज का जो ये बलूच मूवमेंट है उसका नेता कौन है ? कौन इस आन्दोलन की अगुवाई कर रहा है ?
उत्तर : नहीं, देखिये कोई एक लीडर तो नहीं है, असल में मूवमेंट के बारे में बहुत से लोग कंफ्यूज करते हैं कि जैसे पहले नवाब सरदार रहे हैं आज भी होंगे लेकिन आज नवाब सरदारों को कोई मानता नहीं है। 99 % नवाब सरदार तो आज भी पाकिस्तानी गवर्मेंट के साथ हैं, सरदार सरकार के साथ है लेकिन आवाम आज़ादी चाहती है। ये मूवमेंट सामान्य जनता की अगवाई में चल रहा है, ये किसी नेता की अगवाई में नहीं चल रहा है, न तो कोई काबिले का मुखिया इसे चला रहा है इसको न कोई और इसको लोग चला रहे हैं। या कोई ट्राइबल चीफ हो या डॉक्टर सिंगर या कोई भी जो बलूच आवाज़ को उठता है और उसे ज्यादा आगे पहुंचा पाता है, लोग उसे लीडर मानते हैं, उसे सपोर्ट करते हैं। इस मूवमेंट में हर आदमी जो पार्ट ले रहा है वो लीडर है और वो सब स्वतंत्र रूप से इसमे हिस्सा ले रहे हैं। ये एक अब बहुत ही नया और अलग किस्म का मूवमेंट बन गया है, वो जो एक पुराना तरीका था आन्दोलन का अब वो बहुत ही बदल चुका है।
प्रश्न: ये बुग्ती साहब की 2006 में पाकिस्तानी एजेंटों द्वारा की गयी हत्या का तात्कालिक कारण क्या था?
उत्तर : आज हम बुग्ती साहब को अपना लीडर मानते हैं, पर NAP की सरकार टूटने के बाद वो पाकितान के साथ थे, भुट्टो की पार्टी में थे, सूबों में गवर्नर रहे 2004 तक, जब बलूच मर रहे थे तो वो पाकिस्तान के साथ थे। लेकिन आखिर में आते आते डॉ. शाज़िया के प्रकरण में, नेचुरल रिसोर्सेज के मुद्दे पर जैसे सुई गैस के बाद धीरे धीरे उन्होंने सोच बदली और मूवमेंट का उन्हें साथ मिला और उन्होंने मूवमेंट ज्वाइन कर ली। फिर वो मूवमेंट के नेता बन गए क्योंकि पहले वो NAP की सरकार से जुड़े भी थे तो लोगों ने बीच की बातों को भुला के उनके दमदार व्यक्तित्व पर विश्वास जता दिया। इसके बाद मुशर्रफ़ से अनबन और बढ़ गयी, फिर मिलिटैंट्स उसमें आ गए और वे खुद पहाड़ो में चले गए। उसके बाद किसी जगह पर उनके ऊपर बमबारी हुई और वो शहीद हुए। मुशर्रफ़ उन्हें धमकियां देते रहते थे कि तुम्हें इस तरह मारूंगा कि तुम्हे पता तक नहीं चलेगा। जब वो मारे गए तो चूँकि तब तक मूवमेंट ने उन्हें उठा लिया था, तो पूरे मूवमेंट के अन्दर कौम में वो खून का उबाल आ गया कि हमारे इतने बूढ़े आदमी को इन्होने ऐसे धमकी दे कर मार दिया। जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर के मुशर्रफ़ ने उन्हें मरवाया उसके कारण भी मूवमेंट और भी भड़का। एक वो समय था और आज तक हमारी वो लड़ाई उसी जोर-शोर से जारी है।
प्रश्न: वर्तमान वैश्विक राजनीती और वातावरण में नए राज्य का निर्माण होना काफी मुश्किल लगता है, तो क्या आपको लगता है कि लम्बे समय में भी बलूचिस्तान एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आ पायेगा ?
उत्तर : देखिये बलूचिस्तान का निर्माण कितना जरूरी है और पाकिस्तान का प्रजेंस कितना जरुरी है, ये दोनों बातें महत्वपूर्ण है। आपको आज के जैसा पाकिस्तान चाहिए, किस रीजन के अन्दर पाकिस्तान की आपको जरुरत है, दुनिया में किसको पाकिस्तान की जरुरत है, जिस तरह का आज ये पाकिस्तान है, ये कितना आगे चला सकतें हैं इसको। बलूचिस्तान की कितनी जरूरत है, पाकिस्तान की कितनी जरूरत है आज। अगर पाकिस्तान को कमजोर करना है, ख़तम करना है या एक बनाना रिपब्लिक बना के छोड़ना है तो उसके लिए सबसे पहला कदम है बलूचिस्तान। दूसरा इस रीजन में किसको पॉवर बन के रहना है, अमेरिका को, चाइना को या फिर इंडिया को। इंडिया क्या चाहता है कि बाकी दुनिया में अगर वो पॉवर नहीं है, तो अपने हमशाये में भी वो पॉवर बन के ना रहे। पावरफुल बनना है तो इंडिया को बलूचिस्तान और अफगानिस्तान की सख्त जरूरत है। ईरान के साथ भी उसकी अच्छी बातचीत चल रही है। आज तो मोदी जी की विदेश नीति पहले के मुकाबले जैसा की २०-३० साल पहले होता था से बिलकुल ही अलग है। आज जितने भी आपके पड़ोसी हैं सबसे पहले तो वो आपसे खुश हैं, वो आपके साथ हैं जिस तरह का आप उनको हेल्प दे रहे हैं उसी तरह का हमको भी चाहिए, हम भी आपके पड़ोसी हैं। हममें आपको एक सबसे अच्छा दोस्त और पड़ोसी मिलेगा और आपको जरुरत है हमारी। हमारा भौगोलिक एवं रणनीतिक महत्व है, जिसको भी सेंट्रल एशिया चाहिए उनके लिए द्वार हम हैं।
प्रश्न: चीन की CPEC योजना के कारण आपके एरिया में चीन का हित अब अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ने वाला है। और पाकिस्तान एक तरह से चीन का पालतू देश बन चूका है तो क्या आपको लगता है चीन आपका समर्थन करेगा ख़ास कर भारत के साथ शक्ति संतुलन को देखते हुए, वो तो पाकिस्तान का ही समर्थन करेगा।
उत्तर : वैश्विक तौर पर भारत चीन के साथ प्रतिस्पर्धा में है। अभी बहुत सारे देश हैं जहाँ फिलहाल में मोदी जी गए और मिसाइल गिफ्ट में दिए गए हैं। देखिये, मोदी जी जब बलूचिस्तान के बारे में बात करते हैं तो जाहिर सी बात है वो या उनकी टीम चाइना को ध्यान में रखते ही होंगे। पाकिस्तान को सुनने की आदत ही नहीं है, बलूचिस्तान के बारे ख़ास कर जब भारत नाम लेगा तो उनकी बेचैनी आपने देखी ही होगी| पाकिस्तान ने वहां ग्वादर में चीन को पोर्ट नहीं दिया है बल्कि नौसेना का अड्डा दे दिया है। इस समुद्री क्षेत्र में चीन के आने से कितना नुकसान इंडिया को हो सकता है या फिर पश्चिमी देशों को हो सकता है जिनके अड्डे सामने के अरब देशों में हैं, उनके लिए ये कितना सुरक्षित है। दूसरी बात चीन अभी तक बलूचिस्तान में कामयाब नहीं हुआ है जैसा कि वो चाहता है और बलूच तो कभी छोड़ेगा नहीं किसी को अगर कोई जोड़ जबरदस्ती करेगा तो। तो इंडिया को बजाय की यहाँ आके चीन के विरूद्ध माहौल बनाये, इंडिया को ये बना बनाया मिल रहा है जो की वहां बलूचिस्तान में पहले से है जिसे इंडिया अपने हित के लिए समर्थन कर सकता है। हमारे मूवमेंट को सपोर्ट दे कर आप पाकिस्तान का भी खत्म कर सकते हैं और चाइना के इंटरेस्ट से भी प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। जब भारत एशिया के पूर्वी देशों से रक्षा समझौता कर रहा है तो जाहिर सी बात है चाइना को ध्यान में रखा जा रहा है। आपको बलूचिस्तान चाहिए, हमें बलूचिस्तान चाहिए और दुनिया को भी बलूचिस्तान चाहिए।। बलूचिस्तान अपने संसाधनों एवं भौगोलिक स्थिति के कारण ग्रेट गेम का हिस्सा बना हुआ है, हमारे वार्म वाटर के लिए रूस कोल्ड वार के समय अफगानिस्तान के द्वारा रास्ता खोज रहे थे। तो अब भारत को भी इसके बारे में सोचना चाहिए।
प्रश्न: वर्तमान बलूच आन्दोलन की रणनीति क्या है और आन्दोलनकारी किस तरह अपने मूवमेंट को चला रहे हैं ?
उत्तर: हम अपने ऊपर हो रहे जुल्मों को पूरी दुनिया के सामने लाना चाहते है जो की वहां रोज लगातार हो रहे हैं। हम सबसे पहले तो चाहते हैं जो भी हमारे बहन, माँ और भाई चीखें मार रहें है पाकिस्तानी टार्चर सेल में वो पूरी दुनिया को सुनाई दे। और जितनी सहायता हमें दुनिया से मिल सकती है, विशेषकर भारत से हमें मिले। हमें भारत से विशेष मदद की जरुरत है। हमें नैतिक सहयोग मिले, वैश्विक स्तर पर विभिन्न संगठनों में हमारी आवाज़ पहुंचे, भारत पाकिस्तान के खिलाफ विभिन्न मंचों पर बलूचिस्तान एवं आतंकवाद का मुद्दा उठाये जिससे पाकिस्तान अलग-थलग हो। उसको मिलने वाले वित्तीय सहायता बंद हो, उसपर प्रतिबन्ध लगाये जाएँ, हम इसके लिए प्रयासरत हैं। पाकिस्तान जैसी टेरर फैक्ट्री जिसके पास न्यूक्लियर हथियार है, उसपर जल्द से जल्द दुनिया नियंत्रण करे उसे अपने अन्दर ले और इसे ख़त्म करे। अब इसमे जिस तरह का भी सहयोग मिले हम तैयार हैं। आप जमींन पे आना चाहते हो तो आ जाओ तोड़ दो इसे बांग्लादेश की तरह, आप हमारे लोगों को सपोर्ट कर सकते हो तो वो करो, हमें आप जहाँ ले चलो हम चलेंगे। जिस भी तरह से हो सके हम आपका स्वागत करते हैं हमारी आवाम आपके साथ है। हमारे बहुत से लोग हैं जो भारत में शरण चाहते हैं उनकी जान को खतरा है हो सके तो उन्हें भारत पनाह दे ये जरूरी है हमारे मूवमेंट के लिए।
प्रश्न: आखिरी प्रश्न, मान लीजिये अगर भविष्य में बलूचिस्तान आज़ाद होता है तो जो नयी सरकार बनेगी उसका खांका क्या होगा और वो किन सिद्धांतों पर चलेगा ?
उत्तर : जी, हमारे कुछ सहयोगियों ने एक चार्टर तैयार किया है, हालाँकि वो अभी फाइनल नहीं है “बलूचिस्तान चार्टर ऑफ़ लिबरेशन” जो कि अभी ड्राफ्ट है और जिसमें आगे बदलाव आ सकते हैं। लेकिन, जो एक मूलभूत बुनियाद होगी हमारी सरकार की, वो लोकतान्त्रिक, बहुलतावादी एवं समाजवादी होगी। लैंगिक समानता होगी, समाज में सभी वर्गों को सामान अधिकार होगा एवं हम कभी भी न्यूक्लियर हथियार नहीं बनायेंगे, ये बिलकुल निर्धारित है।