मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्य की छवि से मुक्त करने का संकल्प लिया है। इन्वेस्टर्स समिट इस दिशा में मील के पत्थर की भांति दर्ज हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इसके उद्घाटन के लिए लखनऊ आये थे। इन्वेस्टर्स समिट में उद्यमियों की घर वापसी का एक विशेष सत्र आकर्षण का केंद्र रहा। इसमें वह उद्यमी शामिल थे, जो उत्तर प्रदेश छोड़ कर अन्य प्रदेशों में चले गए हैं। इन्हें उत्तर प्रदेश के बदले हुए माहौल की जानकारी दी गई।
कई बार बिना किसी विशेष योजना के भावपूर्ण और सार्थक चित्र उभरते हैं। लखनऊ की इन्वेस्टर्स समिट में यह दृश्य दिखाई दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्वेस्टर्स समिट की डाक्यूमेंट्री को जारी किया, जिसकी शुरुआत कई छोटे कुम्भों के द्वारा एक बड़े कुंभ के भरने के प्रभावी दृश्य से होती है। इसके कई अर्थ हैं। इन्वेस्टर्स समिट के लिए यह प्रतीक बेहरतीन था। नरेंद्र मोदी ने कहा भी कि योगी सरकार ने माहौल बदला है। परिवर्तन दिख रहा है। शानदार इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन इसकी बानगी है।
मोदी ने पूरे प्रदेश का औद्योगिक, सांस्कृतिक, धार्मिक चित्रण किया। इसके द्वारा उन्होंने यह साबित किया कि वह केवल यहां के सांसद ही नहीं हैं, बल्कि यहाँ के चप्पे-चप्पे से परिचित हैं। औद्योगिक विकास को रोजगार से जोड़कर नीतियां बनाना उचित है। योगी सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है। नरेंद्र मोदी ने भी प्रयाग महाकुंभ का उल्लेख किया। यह उत्तर प्रदेश की ब्रांडिंग में सहायक हो सकता है।
अवसर निवेश की बातों का था। केंद्र सरकार ने भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह किया। बीस हजार करोड़ रुपये का निवेश डिफेंस कॉरिडोर के निर्माण में किया जाएगा। बेहतर कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा दिया जाएगा। ‘निवेश मित्र’ की डिजिटल सुविधा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को आसान बनाएगी।
देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी ने इस इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन के लिए यूपी के मुख्यमंत्री को कर्मयोगी कहा। संयोग से इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री दोनों ही कर्मयोगी हैं। इससे उम्मीद बँधती है। देश-विदेश के उद्योगपतियों ने जो उत्साह दिखाया, उसे उत्तर प्रदेश के विकास का शुभ लक्षण माना जा सकता है।
यह भी बढ़िया संयोग है कि एक तरफ योगी आदित्यनाथ प्रयाग के आध्यात्मिक महाकुंभ की तैयारी को बेजोड़ बनाने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इन्वेस्टर्स समिट के रूप में विकास के महाकुंभ का भी उन्होंने आयोजन किया । अब यहां हुए निर्णयों को क्रियान्वित करने की भी पूरी रूपरेखा उनके दिमाग में बनी पड़ी है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश को बीमारू छवि से निजात दिलाने का कार्य शुरू हो चुका है। अच्छे माहौल के लिए सबसे पहले कानून व्यवस्था को ठीक किया गया। बिजली, पानी, सड़क आदि पर भी ध्यान दिया गया। नए और पारंपरिक दोनो प्रकार के उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। डाक्यूमेंट्री में भी अनेक क्षेत्र दिखाए गए, जिनमें निवेश के निर्णय हुए हैं। सड़क और यातायात को भी सुगम बनाया जाएगा। इनकी पहुंच भारत के सभी औद्योगिक नगरों तक होगी। पर्यटन, कृषि आदि क्षेत्रों में भी निवेश होगा। सरकार ने अपनी नई पर्यटन नीति से भी समिट को अवगत कराया।
योगी आदित्यनाथ ने एक आंकड़े के रोचक संयोग को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले विधानसभा ने चार लाख अड़तीस करोड़ करोड़ रुपये का बजट पारित किया। इतने रुपये के ही निवेश प्रस्ताव भी अब तक मिल गए हैं। प्रधानमंत्री ने ‘डिजिटल निवेश मित्र पोर्टल’ की शुरुआत की। इससे समयबद्ध निर्णय होगा। उद्योग स्थापना की सभी समस्याओं का समाधान होगा। योगी आदित्यनाथ ने कहा भी कि वह इस पूरी प्रक्रिया को अपनी निगरानी में रखेंगे।
महिंद्रा ग्रुप के प्रमुख आनंद महेंद्रा और योगी आदित्यनाथ का एक विचार समान दिखाई दिया। आनन्द महेंद्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को अब विश्व के अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा करना चाहिए। योगी आदित्यनाथ भी उस दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं। भविष्य में उत्तर प्रदेश विकसित देशों से मुकाबले की स्थिति में आ जायेगा। भारत के अन्य राज्यों को साथ लेकर चलने की भावना भी इसी में समाहित है। यह कार्य अंततः राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत बनाएगा।
देश के अन्य राज्य भी उत्तर प्रदेश के विकास से परोक्ष-अपरोक्ष रूप में लाभान्वित होंगे। क्योंकि यह देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। अन्य प्रदेश के उद्योगपति भी उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए तैयार हुए हैं। आनन्द महेंद्रा ने लखनऊ और उत्तर प्रदेश से अपना गहरा रिश्ता बताया। वह गुजरात के हैं, लेकिन उनकी माता जी प्रयाग की थी। लखनऊ में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद वह यहीं प्रतिष्ठित आईटी कालेज में शिक्षिका हो गई थीं। योगी आदित्यनाथ ने जब महिंद्रा ग्रुप को उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित किया, तब आनन्द महेन्द्रा का यहाँ से भावनात्मक लगाव भी जाग उठा। वह बड़े निवेश के लिए तैयार है।
नरेंद्र मोदी ने भी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का आह्वान किया। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र सरकार ने भी इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया था। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच पहले लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा हो सकती है। मुद्रा बैंक और कौशल विकास को ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ योजना से जोड़ कर लाभप्रद बनाया जा सकता है। आलू के चिप्स बनाने को भी उद्योग लगने चाहिए। यह बात अन्य कृषि उत्पादों पर भी लागू होती है। किसान की आय बढ़ाने, फसलों के नुकसान को कम करने की योजना केंद्र ने बनाई है। प्रदेशों को भी इसका लाभ होगा। चार लाख करोड़ रुपये मुद्रा बैंक के माध्यम से दिए गए। उज्ज्वला का लाभ अब आठ करोड़ लोगों को दिया जाएगा। हवाई चप्पल पहनने वाले भी विमान पर चलने में सक्षम होंगे।
कुछ समय पहले योगी आदित्यनाथ मॉरीशस की यात्रा पर गए थे। वहां उन्होंने उद्योगपतियों को उत्तर प्रदेश में निवेश का आह्वान किया था। अब मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री और वर्तमान रक्षामंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ स्वयं इसमें शामिल होने के लिए आये। उन्होंने मॉरीशस को छोटा भारत बताया।
इस बार इन्वेस्टर्स समिट के पहले ही योगी आदित्यनाथ ने माहौल बदलने का कार्य किया। इसका अनुभव निवेशकों को भी हुआ। कई उद्योगपतियों ने इसकी चर्चा भी की। मीडिया महारथी सुभाष चंद्रा ने कहा भी कि पिछली सरकारों की अपेक्षा माहौल बदला है। इसका उदाहरण भी उन्होंने दिया। सुभाष चंद्रा ने बताया कि पिछली सरकार के समय उनके संस्थान ने तीस हजार करोड़ के निवेश हेतु एमयूएम किये थे, लेकिन तीन हजार करोड़ के भी निवेश का माहौल नहीं था। ऐसा लगा जैसे केवल प्रचार के लिए ही इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जाता था, जबकि निवेश के अनुकूल माहौल बनाने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। इन्वेस्टर्स समिट में जितने उद्योगपति आये, उनके साथ खुद योगी आदित्यनाथ और संबंधित अधिकारियों का संवाद रहा है। उन्होंने माना कि अब उत्तर प्रदेश में कार्य करना बहुत आसान हो गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्य की छवि से मुक्त करने का संकल्प लिया है। इन्वेस्टर्स समिट इस दिशा में मील के पत्थर की भांति दर्ज हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इसके उद्घाटन के लिए लखनऊ आये थे। इन्वेस्टर्स समिट में उद्यमियों की घर वापसी का एक विशेष सत्र आकर्षण का केंद्र रहा। इसमें वह उद्यमी शामिल थे, जो उत्तर प्रदेश छोड़ कर अन्य प्रदेशों में चले गए हैं। इन्हें उत्तर प्रदेश के बदले हुए माहौल की जानकारी दी गई। इन्हें घर वापसी पर सब्सिडी और रियायत दी जाएगी।
इस सत्र को ‘इंगेजिंग डायस्पोरा फ़ॉर ए प्रोग्रेसिव यूपी’ का नाम दिया गया था। प्रदेश के औद्योगिक एरिया की जानकारी देने वाली लैंड बैंक की किताब का भी लोकार्पण हुआ। इसमें सरकार के पास उद्योगों की स्थापना हेतु उपलब्ध जमीन का ब्यौरा दिया गया है।इन्वेस्टर समिट केवल उद्योग तक सीमित नहीं रहेगी। इसके माध्यम से स्वास्थ्य, कृषि आदि अनेक क्षेत्रों के कायाकल्प का प्रयास किया गया है। जाहिर है कि इन्वेस्टर्स समिट का आगाज शानदार और उत्साहजनक रहा।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)