मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत ने पाकिस्तान की आतंक परस्ती को दुनिया के सामने बेनकाब करने की नीति अपना ली है। लगभग हर वैश्विक मंच से प्रधानमंत्री खुद पाकिस्तान की आतंक परस्ती पर निशाना साधते रहे हैं। इस नीति पर चलते हुए भारत ने पाकिस्तान को विश्व बिरादरी से अलग–थलग करने की दिशा बड़ी कूटनीतिक कामयाबी हासिल की है। अबतक भारत पाकिस्तान को आतंक का पनाहगार कहता था, अब अमेरिका ने भी भारत के इस दावे पर अपनी मुहर लगा दी है। ये भारत की बड़ी सफलता है।
भारत लंबे समय से पाक परस्त आतंकवाद से पीड़ित रहा है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर वैश्विक मंच से आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरते रहे हैं। भारत संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य वैश्विक मंचों के माध्यम से इस बात पर लगातार जोर देता रहा है कि पाक जैसे देश जो विश्व शांति के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, उन्हें आतंकी देश की सूची में शामिल किया जाए। भारत की इस मुहीम को बड़ी सफलता हाथ लगी है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टेरेरिज्म’ में इस बात को स्वीकार किया है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन पाक से अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं तथा ये आतंकी सगंठन आतंकियों को प्रशिक्षण देने के साथ–साथ चंदा भी जुटाते हैं।
गौर करें तो भारत की मांग भी यही है कि जो देश आतंकियों के पनाहगाह बने बैठे हैं, उन्हें आर्थिक रूप से सहयोग दे रहें हैं, उनपर कड़ी कार्यवाही हो। अब अमेरिका ने भी इस बात को खुले तौर पर स्वीकार कर लिया है। अमेरिका द्वारा आतंकवाद को पोषित करने वाले देशों की सूची में पाकिस्तान का नाम भी जोड़ दिया गया है। इससे पहले इस सूची में अफगानिस्तान, सोमालिया, यमन, इराक समेत बारह देश शामिल थे; पाकिस्तान तेरहवें देश के रूप में इस सूची का हिस्सा बना है। आतंकवाद सहयोगी देशों की सूची में पकिस्तान का नाम आने पर उसके ऊपर आतंकी सगठनों पर कार्यवाही करने का दबाव बनना तय है।
गौरतलब है कि भारत में होने वाले लगभग हर आतंकवादी हमले के पीछे पाक पोषित आतंकवाद का हाथ होता है, जिसके पुख्ता सुबूत भी भारत के पास मौजूद हैं, पर पाकिस्तान इस बात को नकारता रहा है। भारत ने जब-तब अपने यहाँ हुए तमाम आतंकी हमलों के तार पाकिस्तान से जुड़े होने के सुबूत उसे सौंपे भी है, लेकिन अभी तक पाकिस्तान ने उन आतंकियों पर कोई कड़ी कार्यवाही नहीं की है।
लश्कर-ए-तैयबा, अलकायदा और जैश–ए–मोहम्मद समेत कई आतंकी संगठन पाकिस्तान द्वारा पोषित और संचालित किये जाते हैं। पाकिस्तान इन आतंकी सगठनों का भारत के साथ–साथ अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अशांति व हिंसा फैलाने के लिए इस्तेमाल करता रहता है। यह बात जगजाहिर है कि पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता है और उसका ज्यादातर इस्तेमाल भारत में अस्थिरता उत्पन्न करने के लिए करता है।
खैर, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत ने पाकिस्तान की आतंक परस्ती को दुनिया के सामने बेनकाब करने की नीति अपना ली है। लगभग हर वैश्विक मंच से प्रधानमंत्री खुद पाकिस्तान की आतंक परस्ती पर निशाना साधते रहे हैं। इस नीति पर चलते हुए भारत ने पाकिस्तान को विश्व बिरादरी से अलग–थलग करने की दिशा बड़ी कूटनीतिक कामयाबी हासिल की है। अब आतंक परस्त देशों की सूची में नाम होने के बाद पाकिस्तान के रूख में क्या बदलाव आता है, यह देखने वाली बात होगी।
किन्तु, इस इसमें को दोराय नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकसूत्रीय एजेंडे के तहत जिस प्रकार से आतंकवाद के खिलाफ विश्व को एक मंच पर लाने की कवायद की है, उसी का परिणाम है कि आज अमेरिका ने यह कड़ा कदम उठाया है। गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में जम्मू–कश्मीर में होने वाले आतंकी हमलों के लिए भी पाकिस्तान को ज़िम्मेदार बताया गया है।
रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि भारत ने 2016 से अमेरिका के साथ आतंकवाद रोधी सहयोग को और गहरा बनाया है तथा सूचनाएं भी साझा करने का प्रयास किया है। पाक को हर मंच से अलग–थलग करने की भारत की रणनीति के चलते पाकिस्तान अब बैकफूट पर आ गया है। आतंक को पनाह देने की बात भारत ने हर मंच से उठाई है और इसके पुख्ते सुबूत भी वैश्विक मंचो पर रखे हैं, जिससे पाकिस्तान की फजीहत हर वैश्विक मंच पर हो रही है। निश्चित रूप से इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जाना चाहिए।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)