क्या अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी की हत्या के बारे में झूठ बोले थे फिदेल कास्त्रो ?

क्रांतिकारी फिदेल कास्त्रो के निधन के बाद क्यूबा की क्रांति और उनको लेकर कई लेख लिखे गए। खासतौर पर अमेरिका में। अमेरिका में तो फिदेल कास्त्रो और जॉन एफ कैनेडी पर सैकड़ों किताबें लिखी गईं। कास्त्रो के निधन के बाद अब एक बार फिर से उनपर लगातार लेख लिए जा रहे हैं। किताबें भी आएंगी ही नए खुलासे भी होंगे, तथ्य भी सामने आ सकते हैं। दशकों तक फिदेल के क्यूबा और अमेरिका में तनातनी रही। कई बार अमेरिका ने क्यूबा में तख्तापलट की कोशिशें की और क्यूबा ने भी अमेरिका की नाक में दम कर दिया था। दोनों देशों के बीच करीब चार दशक तक शह और मात का जबरदस्त खेल खेला गया। कास्त्रो के निधन के बाद अचानक से कुछ सालों पहले पढ़ी ब्रायन लैटल की किताब- कास्ट्रो’ज सीक्रेट्स : द सीआईए एंड क्यूबा’ज इंटेलिजेंस मशीन- के कई प्रसंग ताजा हो गए।

ब्रायन की किताब ने जो सवाल उठाए थे कि क्या कैनेडी के कत्ल के मामले में फिदेल कास्त्रो ने झूठ बोला था। उसका उत्तर शायद ही मिल सके। पहले भी क्यूबा और कॉस्ट्रो खुलासों पर खामोश रहकर उसे ठंडे बस्ते में डाल देने की रणनीति पर काम कर चुके हैं। अब तो कास्त्रो रहे भी नहीं। लेकिन खूनी संघर्ष से मुक्ति की राह तलाशनेवाले फिदेल ने क्यूबा पर शासन करने के लिए भी खूनी रास्ता अख्तियार किया था। उनके निधन के बाद एक बार फिर से क्यूबा में उनकी भूमिका को लेकर विमर्श होना चाहिए।

इस किताब के लेखक का दावा है कि क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्ट्रो को अमेरिका के राष्ट्रपति जे एफ कैनेडी के कत्ल के बारे में पता था और उन्होंने 22 नवंबर, 1963 को कैनेडी के कत्ल के बाद झूठ बोला था कि उन्हें इस कत्ल की ना तो कोई जानकारी थी और ना ही आभास। कास्ट्रो ने उस वक्त इस बात से भी इंकार किया था कि वो कैनेडी के कातिल ओसवाल्ड को जानते हैं। करीब तीन चार साल पहले छपी इस किताब में किए दए दावों का कास्त्रो ने खंडन नहीं किया था। ब्रायन ने एक वक्त क्यूबा के डीजीआई इंटेलिजेंस सर्विस के अहम अधिकारी रहे और 1987 में क्यूबा छोड़कर अमेरिका में शरण लेने वाले फ्लोरेन्टिनो लोम्बार्ड के हवाले से बताया है कि कास्ट्रो को कैनेडी के कत्ल की जानकारी थी। लोम्बार्ड के मुताबिक जिस दिन कैनेडी का कत्ल हुआ उस दिन उसको आदेश मिला था कि वो अमेरिका के रेडियो तरंग को पकड़ने के लिए हवाना में लगे एंटिना का रुख मियामी से हटाकर टैक्सास की तरफ कर दें और वहां की हर छोटी बड़ी सूचना से तुरंत ही देश के सर्वोच्च नेता को अवगत कराया जाए। हुक्म देने वाले ने जोर देकर कहा था कि टैक्सास में घटित होनेवाली हर छोटी से छोटी घटना को भी नजरअंदाज नहीं किया जाए। इस फरमान के चंद घंटों के भीतर ही टैक्सास में अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी को ओसवाल्ड ने गोलियों से भून दिया था।

लेखक का दावा है कि फ्लोरेन्टिनो लोम्बार्ड ने उन्हें यह भी बताया था कि कास्ट्रो को इस बात की पहले से जानकारी थी कि ओसवाल्ड कैनेडी को गोली मारेगा। इसके अलावा लैटेल ने जो दावा किया था कि कातिल को क्यूबा का राष्ट्रपति जानता था। कैनेडी के कत्ल के पहले कातिल ओसवाल्ड ने क्यूबा के मैक्सिको स्थित दूतावास में क्यूबा जाने के लिए वीजा का आवेदन दिया था, जिसे दूतावास ने खारिज कर दिया था। वीजा खारिज होने से खफा ओसवाल्ड ने तब दूतावास के बाहर जमकर हंगामा किया था। उसने उस वक्त कहा था कि मैं कैनेडी को मारने जा रहा हूं और कास्ट्रो के समर्थन में नारे लगाए थे। ये बातें कास्ट्रो को उनके दूतावास अधिकारियों ने बताई थी। बाद में कास्ट्रो ने भी एक डबल एजेंट से हुई बातचीत में इस बात को स्वीकार भी किया था।

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फिदेल कास्त्रो और अमेरिकी राष्ट्रपति जे एफ कैनेडी

लेखक द्वारा इस किताब में इन दो बातों के आधार पर ये साबित करने की कोशिश की गई है कि कास्त्रो को कैनेडी के कत्ल की पहले से जानकारी नहीं होने के बारें में झूठ बोला था। लेकिन, लेखक इस बात को लेकर बेहद सावधान हैं कि इस किताब से यह ध्वनित नहीं हो कि कैनेडी के कत्ल की साजिश रचने में कास्ट्रो की कोई प्रत्यक्ष भूमिका थी। ब्रायन ने यह स्वीकार किया है कि – उन्हें नहीं मालूम कि फिदेल कास्त्रो ने कत्ल का हुक्म दिया था। उन्हें यह भी नहीं मालूम कि कातिल ओसवाल्ड कास्त्रो के इशारे पर काम कर रहा था। ब्रायन के मुताबिक ये मुमकिन हो सकता है कि ओसवाल्ड, कास्त्रो के इशारे पर काम कर रहा हो, लेकिन उन्हें अपने शोध के दौरान इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिला। उन्होंने ये साबित करने की कोशिश की है कि फिदेल कास्त्रो को कैनेडी से अपनी जान का खतरा था। इतिहास में इस बात के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं कि बगैर अमेरिकी जनता की जानकारी और अमेरिकी कांग्रेस को विश्वास में लिए जॉन एफ कैनेडी और रॉबर्ट कैनेडी ने आठ बार फिडेल के कत्ल की साजिश रची और आठों बार नाकाम रहे। दरअसल फिदेल कास्त्रो की खुफिया जानकारियां और रणनीति अमेरिकी खुफिया एजेंसियों और उनकी रणीनित से बेहतर थी। इस वजह से अमेरिका की तमाम कोशिशों को बावजूद क्यूबा को झुका नहीं पाया।

ब्रायन लैटल की किताब – कास्ट्रो’ज सीक्रेट्स : द सीआईए एंड क्यूबा’ज इंटेलिजेंस मशीन में जो बातें क्यूबा के कम्युनिस्ट नेता फिडेल कास्ट्रो के बारे में लिखी गई हैं उसका जिक्र कैनेडी हत्याकांड की जांच कर रही किसी एजेंसी ने नहीं किया। कैनेडी की हत्या की जांच करनेवाली वॉरेन कमीशन, द हाउस असेसिनेशन कमेटी और द चर्च कमेटी ने अपनी जांच के दौरान इन तथ्यों को क्यों नजरअंदाज कर दिया। कैनेडी की हत्या पर अमेरिका में वर्षों से शोध हो रहे हैं।  सरकरी कमीशनों और खुफिया एजेंसियों ने इस हत्याकांड और उसे जुड़े तथ्यों को करीब पचास लाख पन्नों में दर्ज किया है, लेकिन उन पचास लाख पन्नों में इन दो तथ्यों का उल्लेख नहीं होना हैरान करनेवाला है। हो सकता है कि कई सालों बाद जब कुछ और वर्गीकृत सूचनाएं सार्वजनिक हों तो इस बात का खुलासा हो लेकिन ब्रायन की किताब ने जो सवाल उठाए थे कि क्या कैनेडी के कत्ल के मामले में फिडेल कास्ट्रो ने झूठ बोला था। उसका उत्तर शायद ही मिल सके। पहले भी क्यूबा और कॉस्ट्रो खुलासों पर खामोश रहकर उसे ठंडे बस्ते में डाल देने की रणनीति पर काम कर चुके हैं। अब तो कास्त्रो रहे भी नहीं। लेकिन खूनी संघर्ष से मुक्ति की राह तलाशनेवाले फिडेल ने क्यूबा पर शासन करने के लिए भी खूनी रास्ता अख्तियार किया था। उनके निधन के बाद एक बार फिर से क्यूबा में उनकी भूमिका को लेकर विमर्श होना चाहिए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)