प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रियों द्वारा जबसे बलूचिस्तान में की जा रही हैवानियत को लेकर पाकिस्तान को आड़े हाथों लेने की शुरुआत की गई है, तबसे पाकिस्तान हर तरह से एकदम बैकफुट पर नज़र आ रहा है। इसके अलावा उसके द्वारा कब्जाए गए कश्मीर का मुद्दा भी भारत अब पूरे दमखम के साथ उठा रहा है, इस बात ने पाकिस्तान को अलग हलकान किया हुआ है। चीन, अमेरिका जैसे उसके वैश्विक साझीदार भी इस मामले में उसका साथ देने को खुलकर आगे नहीं आ रहे। हाँ, रूस उसके साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास को राजी हुआ है, लेकिन इसका ये कत्तई अर्थ नहीं कि वो भारत के खिलाफ किसी गतिविधि में उसका साथ देने का जोखिम लेगा। इस प्रकार पाकिस्तान समझ नहीं पा रहा है कि इस सम्बन्ध में करे तो क्या करे ? दरअसल पाकिस्तान को भारत की तरफ से इस तरह के कठोर रुख की कभी आदत ही नहीं रही। पिछली संप्रग सरकारों के दौरान उसकी हर नापाक हरकत पर सिर्फ कड़ी निंदा करके जिम्मेदारी पूरी कर ली जाती थी। लेकिन, अचानक मोदी सरकार की तरफ से इस तरह का कठोर रुख पाकिस्तान को एकदम से हलकान किए हुए है। परिणामतः अपनी सारी खीझ आज़ादी की मांग कर रहे बेचारे निर्दोष बलोचियों का दमन और हत्या करके निकाल रहा है। मगर, अभी तो ये सिर्फ भारत की इस बलूचिस्तान नीति की एक छोटी-सी झांकी थी, जिसने पाकिस्तान की हालत पतली करके रख दी है, इसका असली वार तो पाकिस्तान पर अब होगा।
दरअसल अब भारत इस मसले को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाने जा रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप का कहना है कि जबतक बलूचिस्तान में दमन जैसे हालात रहेंगे, भारत इस मुद्दे को उठाता रहेगा। लगभग सप्ताह भर बाद संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक बैठक होने वाली है, जिसमें भारत की तरफ से विदेशमंत्री सुषमा स्वराज शिरकत करेंगी। इसकी पूरी संभावना है कि इस बैठक में भारत बलूचिस्तान मामले को पूरी तैयारी के साथ उठाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बेनकाब करेगा। पाकिस्तान भी हरबार की तरह इसबार जम्मू-कश्मीर पर अपना चिर-परिचित दुखड़ा लेकर संयुक्त राष्ट्र में पहुंचेगा, लेकिन अबकी इस मामले में भी उसकी बुरी तरह से भद्द पिटेगी। क्योंकि भारत ने बलूचिस्तान मामले के रूप में एक ऐसा ब्रह्मास्त्र संधान कर लिया है, जिसकी पाकिस्तान के पास कोई काट मौजूद नहीं।
दरअसल पाकिस्तान को भारत की तरफ से कठोर रुख की कभी आदत ही नहीं रही। पिछली संप्रग सरकार के दौरान उसकी हर नापाक हरकत पर सिर्फ कड़ी निंदा करके जिम्मेदारी पूरी कर ली जाती थी। मोदी सर्कार के विषय में भी उसने ऐसा ही सोचा होगा, लेकिन उसकी सोच एकदम गलत निकली और मोदी सरकार का कठोर रुख पाकिस्तान को एकदम से हलकान किए हुए है। परिणामतः अपनी सारी खीझ आज़ादी की मांग कर रहे बेचारे निर्दोष बलोचियों का दमन और हत्या करके निकाल रहा है। मगर, अभी तो ये सिर्फ भारत की इस बलूचिस्तान नीति की एक छोटी-सी झांकी थी, जिसने पाकिस्तान की हालत पतली करके रख दी है, इसका असली वार तो पाकिस्तान पर अब होगा।
चूंकि, भारत अधिकृत जम्मू-कश्मीर में तो पूरी तरह से लोकतंत्र मौजूद है और वहाँ के लोगों को विशेष अधिकार तक दिए गए हैं, वहीं पाकिस्तान के कब्जाए कश्मीर और बलूचिस्तान में सिवाय सेना के दमन के और कुछ नहीं है। ऐसे में, जब पाकिस्तान के अपने क्षेत्रों के लोग आज़ादी की मांग कर रहे हैं और पाक सेना उनके साथ बर्बरता पूर्ण व्यवहार कर रही है, ऐसे में भारत अधिकृत जम्मू-कश्मीर की बात करने का उसे कोई अधिकार ही नहीं है। इस तरह के तर्क जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत द्वारा उठाए जाएंगे तो पाकिस्तान के पास सिवाय मौन साधने के और कोई विकल्प मौजूद न होगा। तिसपर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसकी हकीकत खुलकर सामने भी आ जाएगी। साथ ही इतने के बाद भी अगर पाकिस्तान ने सुधरने का नाम न लिया तो फिर भारत एकदम खुलकर बलूचिस्तान की आज़ादी के लिए आवाज उठाएगा।
इस प्रकार स्पष्ट है कि भारत की जिस बलूचिस्तान नीति के कुछ शुरूआती बयानों भर ने पाकिस्तान की सिट्टी-पिट्टी गुम कर दी है, उस नीति के ये अगले चरण पाकिस्तान के बर्दाश्त कर बाहर होंगे। इन सब बातो को देखते हुए कहना गलत न होगा कि पाकिस्तान के प्रति प्रधानमंत्री मोदी ने बलूचिस्तान नीति को जिस साहस और सूझबूझ के साथ इस्तेमाल किया है, उसीका परिणाम है कि आज पाकिस्तान हर तरह से एकदम पस्त हालत में नज़र आ रहा है। सच्ची बात तो यही है कि बलूचिस्तान के रूप में प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान की ऐसी दुखती रग पकड़ ली है, जो उसे तिगनी का नाच नचाएगी।
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)