बदलाव यह भी हुआ है कि अब प्रदेश के सरकारी कार्यालयों पर तिरंगा फहरते देखा जा सकता है। भारतीय पर्वों को भी उल्लास के साथ खुलकर मनाया जाने लगा है। लाल चौक पर अब तिरंगा फहराने से लेकर कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी निकलने तक के दृश्यों को देश देख चुका है। अनुच्छेद-370 के समय जो जम्मू-कश्मीर की स्थिति थी, उसमें ऐसी चीजों का हो पाना बहुत मुश्किल था। यह चीजें दिखाती हैं कि जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद-370 से मुक्त होने के बाद अब भय, हिंसा और आतंक के साए से भी तेजी से मुक्त हो रहा है।
5 अगस्त, 2019 की तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है, जब मोदी सरकार द्वारा संसद के माध्यम से अनुच्छेद-370 को ख़त्म कर जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह से भारत का अविभाज्य अंग बना दिया। आज इस ऐतिहासिक निर्णय को चार वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है। इस दौरान जम्मू-कश्मीर में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक आदि विभिन्न स्तरों पर बहुत बदलाव आया है। सबसे बड़ा बदलाव तो यह है कि प्रदेश में आतंकी घटनाओं और लोगों की जान जाने में लगातार कमी आ रही है। जो जम्मू-कश्मीर पहले आतंकियों की हिंसा और मनमानी का गढ़ था, वहाँ अब शांति और विकास की संभावनाएं साकार हो रही हैं।
घाटी में सुरक्षा बलों की मौजूदगी के कारण पत्थरबाजी की घटनाएं लगभग शून्य हो गई हैं। वहीं एनआईए जैसी केंद्रीय एजेंसियों के कठोर कदमों से आतंकवाद की कमर भी टूट चुकी है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021 के जनवरी से जुलाई तक कश्मीर में 76 पत्थरबाजी की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो 2020 की इसी अवधि में 222 और 2019 की इसी अवधि में हुईं 618 घटनाओं के मुकाबले काफी कम हैं। वर्ष 2019 के मुकाबले 2020 में राज्य में आतंकी घटनाओं में 59 फीसद की कमी आई, जबकि जून, 2021 तक इसी अवधि में आतंकी घटनाओं में 32 फीसद की कमी दर्ज की गई है। जम्मू-
कश्मीर प्रशासन ने 2022 से कानून-व्यवस्था को लेकर ओवरऑल डेटा संग्रह का काम शुरू किया है। इसमें पत्थरबाजी समेत कानून-व्यवस्था भंग होने की सभी घटनाएं शामिल हैं। इस डेटा के अनुसार, 2022 में जम्मू-कश्मीर में सिर्फ 20 बार कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश हुई। यह तथ्य प्रदेश में शांति कायम होने की कहानी ही कह रहे हैं। साथ ही, अब प्रदेश में अलगाववादी नेताओं का जमीन पर असर लगभग न के बराबर रह गया है। ऐसा लग रहा जैसे जम्मू-कश्मीर के लोग इन नेताओं की असलियत को समझने लगे हैं।
अब प्रदेश में पाक समर्थक एवं भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने वालों के खिलाफ भी कोई नरमी नहीं दिखाई जा रही। हाल ही में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता पर बारामुला और बांदीपोरा में तीन लोगों पर पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया। इसी साल फरवरी में अवाम आवाज पार्टी के सदस्य तीन लोगों को भी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था। इस पार्टी ने जब कश्मीर की आजादी के लिए लड़ने की घोषणा की उसके बाद ही पुलिस द्वारा कार्रवाई करते हुए इस पार्टी के अध्यक्ष सुहैल खान तथा उनके दो साथियों को गिरफ्तार किया गया था।
इसी तरह वर्ष 2021 में श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) और शेर-ए-कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) के कुछ छात्रों ने भारत-पाक मैच में पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाते हुए पाकिस्तानी राष्ट्रगान गाया था। तब उन छात्रों पर सख्त कार्रवाई करते हुए यूएपीए कानून के तहत केस दर्ज किया गया था। संदेश साफ है कि देश में रहकर, देश का खाकर पाकिस्तानपरस्ती करने वालों को अब महज ‘गुमराह’ या ‘भटके हुए युवा’ समझकर नरमी नहीं बरती जाएगी। जम्मू-कश्मीर जो ऐसे देश-विरोधी लोगों के लिए अपना गढ़ हुआ करता था, जहां वो कुछ भी करके कानून से बचे रहते थे। अब वो गढ़ तेजी से दरकने लगा है।
बदलाव यह भी हुआ है कि अब प्रदेश के सरकारी कार्यालयों पर तिरंगा फहरते देखा जा सकता है। भारतीय पर्वों को भी उल्लास के साथ खुलकर मनाया जाने लगा है। लाल चौक पर अब तिरंगा फहराने से लेकर कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी निकलने तक के दृश्यों को देश देख चुका है। अनुच्छेद-370 के समय जो जम्मू-कश्मीर की स्थिति थी, उसमें ऐसी चीजों का हो पाना बहुत मुश्किल था। यह चीजें दिखाती हैं कि जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद-370 से मुक्त होने के बाद अब भय, हिंसा और आतंक के साए से भी तेजी से मुक्त हो रहा है।
प्रदेश के निवासियों को अब केंद्र सरकार की विकास योजनाओं का लाभ मिलने लगा है। अनुच्छेद-370 हटने के साल भर के अंदर ही एलओसी के निकट बसे गांवों में बिजली और सड़क पहुँचाने का काम किया गया। बड़ी तादाद में युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गई हैं तथा आगे और दी जानी हैं। एक आंकड़े के अनुसार, सरकार ने वर्ष 2019 में अनुच्छेद-370 समाप्त होने के बाद से 2022 तक सार्वजनिक क्षेत्र में कुल 29,806 भर्तियाँ की हैं। साथ ही, इसी अवधि में स्व-रोजगार योजनाओं के माध्यम से भी 5.2 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजित होने का अनुमान है।
जम्मू-कश्मीर में पीएम आवास योजना का लक्ष्य पूरा करने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। इस बीच पूरा राज्य ओडीएफ यानि खुली शौच की समस्या से मुक्त घोषित किया जा चुका है। ग्रामीण स्कूलों, आंगनबाडी, अस्पतालों में सौ फीसदी पानी पहुंचाया जा चुका है। वर्ष 2021-22 में प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट पूरा करते हुए कुल 92,560 योजनाएं पूरी की गईं।
लंबित परियोजनाएँ कार्यक्रम के तहत, 1984 करोड़ रुपये की 1193 परियोजनाएँ पूरी की गईं, जिनमें 5 परियोजनाएँ जो 20 वर्षों से अधिक समय से अधूरी थीं, 15 परियोजनाएँ 15 वर्षों से अधिक समय से और 165 परियोजनाएँ 10 वर्षों से अधिक समय से अधूरी थीं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत मार्च, 2022 तक 17601 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया था। इस आंकड़े में अब निस्संदेह वृद्धि ही हुई होगी। नई बनिहाल सुरंग और चेनानी नाशरी सुरंग पूरी हो गई और यातायात के लिए खोल दी गई।
वर्ष 2022 तक प्रदेश में 02 नए एम्स, 07 नए मेडिकल कॉलेज, 02 राज्य कैंसर संस्थान और 15 नर्सिंग कॉलेज शुरू किए गए। 854 सीटों की प्रवेश क्षमता जोड़ी गई, जिसमें 600 एमबीबीएस, 50 पीजी पाठ्यक्रम, 26 बीडीएस, 38 एमडीएस और 140 डीएनबी शामिल हैं। 2020 से 2022 के बीच प्रदेश में लगभग 3000 मेगावाट क्षमता की बिजली परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने का काम किया गया है। स्पष्ट है कि सरकार जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए पूरी प्रतिबद्धता और शक्ति के साथ लगी है।
अनुच्छेद-370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में सांस्कृतिक परिवर्तन भी आकार लेने लगे हैं। बीते वर्षों में मोदी सरकार द्वारा प्रदेश के लिए नई भाषा नीति की घोषणा भी की गई है। इससे पूर्व प्रदेश में उर्दू और अंग्रेजी, इन दो भाषाओं को ही आधिकारिक दर्जा मिला हुआ था, परन्तु, इस नयी भाषा नीति के तहत उर्दू-अंग्रेजी के अतिरिक्त और तीन भाषाओं हिंदी, कश्मीरी व डोगरी को भी प्रदेश में आधिकारिक भाषा का दर्जा प्रदान किया गया।
यह विडंबना ही थी कि कश्मीरियत की बात करने वालों ने कभी कश्मीरी को आधिकारिक भाषा बनाने की जरूरत नहीं समझी। यह काम भी मोदी सरकार द्वारा ही किया गया। कुल मिलाकर कहने का आशय यह है कि अनुच्छेद-370 हटने के बाद से मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक आदि सभी क्षेत्रों में बदलाव के लिए कदम उठाए गए हैं, जिसके परिणामस्वरुप जम्मू-कश्मीर देश के विकास की मुख्यधारा से कदमताल करते हुए तेजी से आगे बढ़ रहा है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)