जातिय समीकरण होंगे ध्वस्त, बीजेपी बनाएगी यूपी में सरकार

आदर्श तिवारी 

उत्तर प्रदेश का चुनाव अगले साल होना है किंतु सभी दलों ने अभी से अपने सियासी बिसाद बिछाने शुरू कर दिए हैं, दरअसल देश के सबसेamit-shah454 बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजें समूचे देश की राजनीति पर असर डालते हैं। जिसके कारण सभी यूपी में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहतें है। सपा और बसपा  के बाद इसबार यूपी में बीजेपी को लेकर चर्चाएँ जोरो पर हैं। असम की जीत के बाद बीजेपी तथा मोदी सरकार ने यूपी फतह करने के लिए अभी से अपनी रणनीति को स्पष्ट कर दिया है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह कई बार यह बात दोहरा चुके हैं कि यूपी में विधानसभा में बीजेपी विकास के एजेंडे के साथ –साथ कैराना और मथुरा जैसे मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएगी। विगत लोकसभा चुनाव में  यूपी की जनता ने सभी जातिय समीकरणों को पीछे छोड़ते हुए 80 लोकसभा सीटों में से 73 सीट एनडीए गठबंधन की झोली में डाल दिया। इस बार भी बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत सरकार की योजनाओं और विकास को जनता के सामने लाने के साथ –साथ सपा सरकार की विफलताओं को भी जनता तक पहुँचाने की रणनीति से चल रही है।

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह खुद लोकसभा चुनाव में यूपी के प्रभारी थे जाहिर है कि उन्हें यूपी की जनता का मिजाज़ समझने में कठिनाई नही होगी।  बहरहाल, बीजेपी ने पिछले ढेढ़ दशक से यहाँ सत्ता का स्वाद नही चखा है। इस बार बीजेपी बनवास खत्म करने कम लिए हर संभव प्रयास करना शुरू कर दिया है दरअसल,उत्तर प्रदेश की राजनीति ने ऐसा करवट लिया है, जिसमें लोगो के मन में ये बात बैठ गई है कि यहाँ क्षेत्रीय दलों का ही प्रभुत्व रहेगा, पिछले दो-तीन विधानसभा चुनावों मे हमनें देखा है कि सत्ता बसपा सुप्रीमों मायावती और सपा के हाथों घुमती रही है,ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस बार बीजेपी ये चक्र तोड़ने  जा रही ? सवाल की तह में जाए तो यहाँ के जातिय समीकरण विधानसभा चुनाव में पूरी तरह हावी रहतें है, ऐसे में मुलायम और मायावती जैसे सरीखे नेता जातिवाद का झंडा बुलंद किये हुए हैं, मायावती दलितों व पिछड़े समुदाय को अपना वोटबैंक समझती तो मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी यादव,भूमिहार तथा मुसलमान समेत अन्य पिछड़ी जातियों पर अपना वर्चस्व बनाएं हुए है,ऐसे में बीजेपी विकासवाद का नारा देकर एकबार फिर से लोकसभा चुनाव के परिणामों की पुनरावृत्ति करना के लिए प्रयासरत है। एक बात तो तय है कि लोकसभा चुनाव में सभी जातिय समीकरण धरे के धरे रह गये थे। ऐसे में इस बात से इंकार नही किया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में भी जातिय समीकरण ध्वस्त हो जाये। अभी पिछले दिनों आये सर्वे की माने तो मोदी की लोकप्रियता आज भी वैसी ही है जैसे लोकसभा चुनाव के दौरान थी और इसका लाभ बीजेपी को यूपी विधानसभा चुनाव में मिलना तय है। बसपा संगठन में एक के बाद एक हो रहे बगावत से परेशान है तो है तो, सपा शासन में हुए भ्रष्टाचार और लचर कानून व्यवस्था के चलते जनता के बीच पहले ही असंतोष का भाव है इस स्थिति समीकरण बीजेपी के पक्ष में जाते दिख रहें है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)