हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकी गतिविधियों से संबन्धित कुछ आंकड़े जारी किए हैं जिनके अनुसार 2019 की तुलना में 2020 में आतंकी घटनाओं में 63.93 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं विशेष सुरक्षा बलों के मृत्यु दर में भी 29.11 प्रतिशत की कमी आई है। इसके साथ ही गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष में आतंकी गतिविधियों या संगठनो से जुड़ने वाले युवाओं की संख्या में भी कमी देखी गई है। कहने की आवश्यकता नहीं कि यह सब संभव होने के पीछे एक बड़ा कारण जम्मू-कश्मीर के विकास में वर्षों से अड़चन साबित हो रहे अनुच्छेद-370 को हटाया जाना है।
जब जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद-370 को हटाया गया तो पूरे देश में तथाकथित सेक्युलर-लिबरल गिरोह ने छाती पीटना शुरू कर दिया था। कुछ तथाकथित सेकुलरों ने तो ये तक कह दिया कि 370 को पुनर्स्थापित करने के लिए चीन को आगे आना चाहिए।
इस प्रकार खूब प्रचारित किया गया कि 370 हटने देश भर में हिंसा भड़क जाएगी। लेकिन आज इस अनुच्छेद के हटने के लगभग डेढ़ साल बीत जाने के बाद यह स्पष्ट है कि देश के अन्य हिस्सों की बात तो दूर है, जम्मू-कश्मीर में भी कोई हिंसा नहीं हुई बल्कि शांति और विकास की राह खुली है।
हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकी गतिविधियों से संबन्धित कुछ आंकड़े जारी किए हैं जिनके अनुसार देश में 2019 की तुलना में 2020 में आतंकी घटनाओं में 63.93 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं विशेष सुरक्षा बलों के मृत्यु दर में भी 29.11 प्रतिशत की कमी आई है। आम नागरिकों के साथ हुई दुर्घटनाओं में भी 14.28 प्रतिशत की कमी देखी गई है।
इसके साथ ही गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष में आतंकी गतिविधियों या संगठनो से जुड़ने वाले युवाओं की संख्या में भी कमी देखी गई है। कहने की आवश्यकता नहीं कि यह सब संभव होने के पीछे एक बड़ा कारण जम्मू-कश्मीर के विकास में वर्षों से अड़चन साबित हो रहे अनुच्छेद-370 को हटाया जाना है। ये आँकड़े न केवल अनुच्छेद-370 हटने के बाद की बदलती स्थिति को दिखाते हैं, बल्कि विपक्ष को आईना भी दिखाते हैं।
इन आंकड़ों के अतिरिक्त, विगत महीनों में जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन इस बात का द्योतक है कि राज्य में लोग भी सरकार के निर्णय से खुश हैं। अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद से ही वहाँ केंद्र सरकार की अनेक योजनाओं का लाभ आम लोगों को मिल पा रहा है।
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत सीधे 36384 विस्थापित परिवारों को 5.5 लाख रुपए प्रत्येक परिवार को दिये जा चुके हैं। पूर्व में तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली सरकारों ने जनता के कर से संचालित अनेक सुविधाएं अलगाववादियों को दिया था जिसे अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद हटा दिया गया।
अनुच्छेद-370 हटने से जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों को, जो सबसे बड़ा लाभ हुआ है कि अनेक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएँ अब सीधे तौर पर लागू की जा सकती हैं। धारा 370 हटने के बाद जम्मू और कश्मीर में 48 केंद्रीय कानून और 167 राज्य कानून अब राज्य में प्रभावी किए जा चुके हैं। वही लद्दाख में 44 केंद्रीय कानून और 148 राज्य कानून लागू किए जा चुके हैं। ये सभी कानून पूर्व में अनुच्छेद-370 के कारण लागू नही किए जा सकते थे।
गृह मंत्रालय की इस रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का एक बेंच जम्मू में 6 जून, 2020 को स्थापित किया गया। साथ ही, जम्मू और कश्मीर आधिकारिक भाषा अधिनियम, 2020 को भी 29 सितंबर, 2020 से लागू किया जा चुका है। इस अधिनियम के लागू होने से डोगरी, उर्दू, हिन्दी और अंग्रेजी अब जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषाएँ होंगी।
इस प्रकार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में धीरे-धीरे शांति स्थापित हो रही है। स्थानीय लोग ही कम्यूनिटी पुलिसिंग के द्वारा अनेक आतंकी गतिविधियों को रोकने में सुरक्षा बलों का सहयोग कर रहे हैं। स्थानीय नागरिक जो पहले अलगाववादियों की बातों में आकर पत्थरबाजी करते थे, वे ही अब सुरक्षा बलों के लिए स्थानीय खुफिया तंत्र के रूप में कार्य कर रहे हैं।
अनुच्छेद-370 हटने के बाद ये जो अनेक सकारात्मक संकेत हमें देखने को मिल रहे हैं, यही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास को सुनिश्चित करेंगे। अब यहाँ की जनता न तो अलगाववादियों की बातों में आने वाली है और न ही तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों के साथ है, अपितु वह अब विकास चाहते हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)