एकबार फिर यह साबित हुआ है कि जेएनयू में वामपंथी विचारधारा वाले प्रोफेसर्स के लिए जो नक्सलियों का हितैषी होने की बात कही जाती है, वो एक सच्चाई है। उनका सच पहले जनता को नहीं पता था लेकिन अब जनता को भी पता चल चुका है। अब जनता पुलिस के पास इनकी शिकायत करने लगी है। चंद वामपंथी मानसिकता वालों के कृत्यों की वजह से जेएनयू की बदनामी भी होती रहती है, लेकिन शर्म इन्हें आती नहीं है। दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक़ जेएनयू के प्रोफ़ेसर एक कम्युनिस्ट पार्टी के नेता के साथ नामा और कुम्माकोलेंग गाँव में जाकर लोगों को यह समझाने की कोशिश की कि पुलिस और सरकार से उन्हें कुछ नहीं मिलेगा, इसलिए वे नक्सलियों का समर्थन करें: मॉडरेटर
दैनिक भास्कर।। बस्तर दौरे पर आए दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसरों पर ग्रामीणों को नक्सलियों का साथ देने वाली समझाइश देने के आरोप लगे हैं। इस आशय की एक शिकायत दरभा थाने में ग्रामीणों दर्ज करवाई है। एएसपी विजय पांडे ने बताया कि जेएनयू की प्रोफेसर अर्चना प्रसाद, ऋचा केशव और विनीत तिवारी बस्तर दौरे पर आए थे। इस दौरान उन्होंने कुम्माकोलेंग और नामा गांव में ग्रामीणों की बैठक ली थी। बैठक के दौरान इन प्रोफेसरों ने ग्रामीणों से कहा कि शासन उन्हें कुछ नहीं दे सकता है। उन्होंने ग्रामीणों को समझाइश दी कि वे नक्सलियों के साथ रहें, नहीं तो नक्सली इन दोनों गांवों को जला देंगे।
सीपीएम नेता भी प्रोफेसर के साथ थे
एएसपी ने बताया कि प्रोफेसर की इस क्रियाकलाप की जानकारी कुम्माकोलेंग के ग्रामीणों ने दरभा पुलिस को दी है और साथ में प्रोफेसरों के खिलाफ एक लिखित शिकायत भी दी है। मामले की जांच की जा रही है। दो दिन पहले जेएनयू का एक दल सीपीएम के एक नेता संजय पराते के साथ बीजापुर सहित कुछ अन्य इलाकों में दौरा कर रहे थे। इधर जेएनयू के प्रोफेसर का नाम मामले में आने के बाद अब यह पूरा मामला हाई प्रोफाइल हो चुका है। पुलिस के अनुसार ग्रामीणों ने इसकी शिकायत दरभा थाने में तो की ही है साथ ही साथ इस पूरे मामले की जानकारी ग्रामीणों राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी करेंगे।
स्त्रोत: http://www.bhaskar.com/news/CHH-OTH-MAT-latest-bastar-news-020503-196743-NOR.html