कुछ दिन पहले राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी अपने राजनीतिक फायदे के लिए उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित गैंग रेप मामले में राजनीतिक पर्यटन करने गए थे। तब महिला सम्मान और सुरक्षा को लेकर उन्होंने खूब माहौल बनाया था। मगर कमलनाथ के बयान पर इनकी महिला सम्मान और सुरक्षा की बातें जाने कहाँ गुम हो गयी हैं।
कांग्रेस पार्टी की महिला विरोधी मानसिकता मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बयान से फिर देश के सामने है। ये मानसिकता कुछ लोगों के लिए नई जरुर हो सकती है, परन्तु, जिसे कांग्रेस पार्टी के बारे में थोड़ी सी भी जानकारी होगी वो कांग्रेस की इस सोच को बड़ी आसानी से समझ सकता है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनावों का प्रचार करते हुए कांग्रेस नेता कमलनाथ ने मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री इमरती देवी को ‘आइटम’ जैसे आपत्तिजनक शब्द से संबोधित किया था। खैर, ये वही कमलनाथ हैं, जो मध्य प्रदेश के 2018 के विधानसभा चुनावों में कहा था कि उन्होंने महिलाओं को ‘सजावट के आधार’ पर टिकट नहीं दिया है। आज की भांति उस समय भी महिला संगठनों ने कांग्रेस की महिला विरोधी मानसिकता का विरोध किया था।
मध्य प्रदेश की कैबिनेट मंत्री इमरती देवी के लिए ऐसे शब्दों के प्रयोग पर कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी ने कहा कि, वे ऐसी भाषा का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन, सवाल यह है कि जो राहुल गाँधी बिना देर किए ट्वीट करके भाजपा राज्यों के मुख्यमंत्रियों का इस्तीफा मांगने लगते हैं, क्या उन्हें कमलनाथ पर कठोर कार्यवाही नहीं करनी चाहिए थी?
मगर, महज मीडिया में अपनी छवि बनाने के लिए ये कह देना कि ‘ऐसी भाषा का समर्थन नहीं करते’, खुद को संवेदनशील नेता दिखाने की असफल कोशिश है। जब पूरा देश नवरात्रि का पावन पर्व मना रहा है, ऐसे में एक महिला के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग बेहद शर्मनाक है। कांग्रेस में यदि थोड़ी-सी भी नैतिकता और संवेदना शेष है, तो उसे कमलनाथ के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।
लेकिन, ये सभी जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी में महिला विरोधियों तथा समाज को बांटने वालों की तरक्की तेजी से होती है और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी उसे सर आँखों पर बिठाकर रखता है, जिसका सबसे सटीक उदाहरण कमलनाथ के अतिरिक्त और कौन हो सकता है।
ये वही कांग्रेस है, जिसके खुद के कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश के देवरिया में अपनी ही पार्टी की महिला कार्यकर्ता को सिर्फ इस लिए पीट दिया था, क्योंकि उसने पार्टी द्वारा बलात्कार के आरोपी को टिकट दिए जाने का विरोध किया था। तब उस समय कहाँ गायब थे राहुल गाँधी और कहाँ थीं प्रियंका गाँधी, क्या यह कांग्रेस की महिला कार्यकर्ता पीड़ित नहीं थी?
कांग्रेस पार्टी महिलाओं के नाम पर सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम करती है। कांग्रेस के तमाम बड़े नेता समय-समय पर महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करते रहे हैं और ऐसी घटनाएँ पार्टी के भीतर होती रहती हैं। 2018 में कांग्रेस के नेताओं पर ही दिल्ली में राहुल गांधी के दफ्तर में सोशल मीडिया सेल में काम करने वाली महिला से अभद्र व्यवहार का मामला सामने आया था।
स्वयं राहुल गांधी ने 10 अक्टूबर, 2017 को वडोदरा में महिलाओं को लेकर अमर्यादित बयान देते हुए कहा था कि क्या संघ की शाखाओं में महिलाएं शॉर्ट्स पहने दिखती हैं। दिग्विजय सिंह, शशि थरूर, अशोक गहलोत, सुशील कुमार शिंदे ये सभी अपने नेता राहुल गाँधी से पीछे नहीं हैं।
कुछ दिन पहले राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी अपने राजनीतिक फायदे के लिए उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित गैंग रेप मामले में राजनीतिक पर्यटन करने गए थे। तब महिला सम्मान और सुरक्षा को लेकर उन्होंने खूब माहौल बनाया था। मगर कमलनाथ के बयान पर इनकी महिला सम्मान और सुरक्षा की बातें जाने कहाँ गुम हो गयी हैं।
बहरहाल, जब पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गाँधी महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करेंगे तो बाकी कार्यकर्ता तो इसमें अपनी शान समझेंगे ही! इतना सब होने के बाद भी जब कांग्रेस पार्टी महिलाओं के आरक्षण और उनके हितों की बात करती है तो ये महिलाओं और पूरे समाज को समझ आता है कि इनकी ‘कथनी और करनी’ में कितना अंतर है। जनता इस बात को बखूबी समझती है कि सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी समेत वर्तमान की पूरी कांग्रेस पार्टी महज ‘बातों की वीर’ है और इनसे कुछ भी उम्मीद करना खुद को ठगना जैसा है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)