संविधान का उल्लंघन केजरीवाल की रणनीति का हिस्सा है

शैलेन्द्र कुमार शुक्ल 

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी के नेता खुद को संविधान से उपर समझने लगे। वे हर उस संवौधानिक प्रक्रिया को तुच्छ समझने लगे जिसका समर्थन भारतीय संविधान करता है। केजरीवाल ने संविधान के इतर जाकर ही संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी जिसको बाद में माननीय न्यायलय द्वारा असंवैधानिक घोषित कर दिया गया। इस वाकया से सबक लेने और संवैधानिक प्रक्रियाओं का एक फिर से उल्लंघन किया और दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के लिए जनमत संग्रह कराने का राग अलापने लगे। जबकि यह मामला सरासर संविधान का उल्लंघन था। यही नहीं हर छोटी-छोटी घटनाओं पर केन्द्र सरकार और भाजपा को कोसना भी केजरीवाल की नियति बन गयी है। केजरीवाल तथ्यों की विवेचना किए बगैर ही आरोप लगाना शुरु कर देते हैं। उनको ना तो संविधान से कोई सारोकार रहता है और ना ही नियम-कानून से। हाल की घटनाओं पर अगर नजर डाली जाए जो उक्त बातों को और भी ज्यादा बल मिलता है, जहां केजरीवाल केवल आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करते नजर आते हैं।

दरअसल विकास के कार्यों को करने में असमर्थ केजरीवाल अगर फिर से इस्तिफा दे देते हैं तो उन पर भगोड़ा का तमगा लग जाएगा, इसलिए वो लगातार संविधान के इतर जाकर काम कर रहे हैं, जिससे संविधान के उल्लंधन के आरोप में उनकी सरकार को  बर्खास्त कर दिया जाय और इसका आरोप केन्द्र सरकार पर लगाकर केजरीवाल फिर से देश भर में बवाल काटे और इसी के नाम पर आगामी समय में उत्तर प्रदेश पंजाब और गोवा में चुनाव लड़े।

हाल ही में संगम विहार के विधायक दिनेश मोहनिया को महिला से अभद्रता के आरोप में पुलिस द्वारा लगातार नोटिस देने के बाद भी जब हाजिर नहीं हुए तब उन्हे गिरफ्तार किया गया। अपनी गिरफ्तारी की खबर को भांपकर मोहनिया ने उसी समय प्रेस कांफ्रेंस  बुला लिया ठीक उसी वक्त  पुलिस उन्हे गिरफ्तार करने पहुंची और अपनी कार्यवाही की। यह मामला पूर्णतः कानून व्यवस्था से संबंधित था जिसका किसी पार्टी अथवा सरकार से कोई भी सारोकार नहीं था। लेकिन केजरीवाल सहित आप के सभी नेताओं ने आरोप प्रत्यारोप सहित दिल्ली में जो उत्पात किया वो सबके सामने था। दूसरी घटना ओखला के विधायक अमानतउल्लाह खान जुड़ा है। कुछ दिन पहले जसोला इलाके की एक महिला ने जब अपने इलाके की बिजली समस्या की शिकायत करने गयी तो विधायक द्वारा उस महिला के साथ अभद्रता की गयी जिसकी शिकायत महिला ने दर्ज करायी। दिल्ली पुलिस ने मामले की गंभीरता को संज्ञान लेते हुए विधायक को गिरफ्तार की। मामला यह भी पूरी तरह से कानून व्यवस्था से जुड़ा हुआ था। लेकिन इस गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी जानबूझकर गिरफ्तारियां करवा रहे हैं। दूसरी ओर आप कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर दिल्ली में कई जगह जाम लगा दिया जिससे लोगों को अपने दैनिक कार्यों को निबटाने में काफी दिक्कत हुई।

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Photo:Indianexpress

यही नहीं और भी बहुत सारे उदाहरण मिल जाएंगे केजरीवाल सरकार के जिसमें उन्होने काम करने के बजाय लगातार दोषारोपण करते रहे। कुछ दिन पहले ही ‘आप’ सांसद भगवंत मान का संसद के अंदरूनी हिस्से का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। इस घटना को संज्ञान मे लेते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने उनको 3 अगस्त तक निलंबित कर दिया गया है। और इसकी जांच के लिए नौ सदस्यों की एक कमेटी गठित की गयी है। प्रथम दृष्टया मामला यहां भी संविधान के उल्लंघन का ही है। जहां सांसद मान नियमों के विरुद्ध जाकर ऐसा काम किया, वह तब जब उसी संसद पर एक बार आतंकवादी हमला हो चुका है। इस मामले में क्या निर्णय आएगा अभी यह काल की गर्त में है, लेकिन संसदीय नियमों के तहत अगर मान की सदस्यता को रद्द किया जाता है तो यह तय है कि केजरीवाल की नौटंक एक बार फिर वही होगी बो हर बार होती है। वह वही रुदाली करते नजर आएंगे कि मोदी और भजपा हमें काम करने नहीं देती है हमको परेशान करती है। केजरीवाल रोएंगे, चिल्लाएंगे लेकिन वो संविधान के नियमों एवं शर्तों शर्तों का पालन कभी भी नहीं करेंगे। अब सवाल उठता है कि आखिर सारी स्थितियों से परिचित होने के बाद भी केजरीवाल ऐसे करते क्यों है? इस सवाल का उत्तर थोड़ी सी गंभीरता से विचार करने पर मिल जाता है। दरअसल यह सब केजरीवाल का राजनीतिक स्टंट है, जिस दिल्ली में विकास की गंगा बाहाने का दंभ केजरीवाल भरते थे उसे पूरा करने में केजरीवाल अब असमर्थ हैं, जनता से किए वादे उनसे पूरा नही हो पा रहा है। जिससे दिल्ली की जनता परेशान है, दिल्ली की जनता तो केजरीवाल और उनके सहयोगियों के ड्रामेबाजी से भी परेशान है। केजरीवाल भी जनता से की अपनी इस वादाखिलाफी को बखूबी समझ रहे हैं लेकिन उनके सामने कोई नया विकल्प नहीं है। इसलिए वो अपनी कमियों को छुपाने के लिए केन्द्र सरकार पर नित नए आरोप लगा रहे हैं। संविधान के इतर जाकर काम करना भी उनके रणनीति का ही हिस्सा है। दरअसल विकास के कार्यों को करने में असमर्थ केजरीवाल अगर फिर से इस्तिफा दे देते हैं तो उन पर भगोड़ा का तमगा लग जाएगा, इसलिए वो लगातार संविधान के इतर जाकर काम कर रहे हैं, जिससे संविधान के उल्लंधन के आरोप में उनकी सरकार को  बर्खास्त कर दिया जाय और इसका आरोप केन्द्र सरकार पर लगाकर केजरीवाल फिर से देश भर में बवाल काटे और इसी के नाम पर आगामी समय में उत्तर प्रदेश पंजाब और गोवा में चुनाव लड़े।

संविधान के जानकारों की माने तो केजरीवाल ने जिस तरह से संविधान को ताक पर रखकर लगातार मनमानी की उससे उनके सरकार को कभी का बर्खास्त हो जाना चाहिए, लेकिन इसे केन्द्र सरकार की महानता ही कहा जाएगा कि वो अभी इस पर कुछ कार्यवाही नहीं कर रही है। जिसका केजरीवाल गलत फायदा उठाकर दिल्ली सहित देश में लगतार अराजकता का माहौल बना रहे हैं।