अन्ना हजारे के जनलोकपाल आंदोलन का सहारा लेकर अरविन्द केजरीवाल व उनकी टीम ने मौका देख धीरे-से पूरे आंदोलन को एक-तरफ़ कर अपना नया राजनीतिक एजेंडा आम आदमी पार्टी के रूप में देश में लांच किया। देश में किसी भी व्यक्ति, समूह, संस्था को राजनीतिक गतिविधि करने की आजादी है, लेकिन इसकी आड़ में जन-भावनाओं को उकसाकर, उनमें तरह-तरह की हवाई उम्मीदें पैदा कर फिर उनसे पलटी मार जाने की कला अरविन्द केजरीवाल से बेहतर शायद ही कोई जानता होगा।
दिल्ली में सब जगह सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात करने वाली पार्टी, अब कैमरे लगाना छोड़ मनमाफिक नियुक्तियां देने पर लगी हुई हैं। इस लिस्ट में वकील व आम आदमी पार्टी के नेता एच. एस. फुल्का की बेटी प्रभा सहाय कौर, आप महिला विंग की पूर्व नेता – प्रोमिला गुप्ता, केजरीवाल के एनजीओ से सम्बंधित चाइल्ड राईट एक्टिविस्ट राजमंगल प्रसाद मुख्य रूप से शामिल है। शेष सभी फरहीन मलिक, सारिका चौधरी, गौतम सिंह, लावण्या कौशिक, एकता सैनी, केशर प्रवीण, भूपेन्द्र सिंह इत्यादि ये सब आम आदमी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं, जिन्हें प्रतिमाह 25 हजार से लेकर 70 हजार तक बांटे जा रहे हैं। स्पष्ट है कि केजरीवाल जिस ईमानदार राजनीति का वादा करके सत्ता में आए थे, अब वो छूमंतर हो चुकी है और दिल्ली की जनता का तो पता नहीं. पर पार्टी और परिवार का खूब भला कर रहे हैं।
‘ये भ्रष्ट, वो भ्रष्ट, सब भ्रष्ट, सब मिले हुए हैं’ जैसे राग अलापते हुए जिस तरह से सत्ता की सीढियाँ केजरीवाल ने चढ़ी, उस तरह शायद ही किसी नेता या दल ने एक मैनेजमेंट कंसल्टेंसी कंपनी की तरह तय समय में अपना टारगेट प्राप्त किया हो। जिन-जिन महत्वपूर्ण लोगों के कंधे पर सवार होकर केजरीवाल ऊपर चढ़े, वो सब आज राजनीति व मीडिया के परिदृश्य से लगभग गायब हैं। जबकि केजरीवाल एक राज्य के मुख्यमंत्री बने बैठे हैं। जिस भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा कर ये दल सत्ता में आया, उस मुद्दे की धज्जियां तो इनके 21 विधायकों के संसदीय सचिव बनते ही उड़ गई थीं। अब इन 21 विधायको की बर्खास्तगी कुछ और दिनों की बात है, चुनाव आयोग शीघ्र ही फैसला सुनाने जा रहा है।
नियुक्ति से पहले उपराज्यपाल से मंजूरी नही लेना, फिर रेप-पीड़िता लड़की की पहचान जाहिर करने वगैरह के कारण दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल अपनी नियुक्ति के दिन से ही विवादों में है। दिल्ली महिला आयोग में कुल 85 महिला /पुरुष अभी कार्यरत है। इनमें कुछ 10 -15 पद दिल्ली सरकार के राजकीय कर्मचारियों के हैं, तो शेष सभी पद मनमाफिक रेवड़ियों की तरह आम आदमी पार्टी के पूर्व व वर्तमान पदाधिकारियों व उनके परिवारजनों को बाँट दिए गए हैं। कंसलटेंट, मीडिया एडवाइजर, लीगल कॉउंसलर, मेंबर, निजी सहायक इत्यादि कई पद व उनके ड्राइवर, सहायक कर्मचारी इत्यादि पद दिल्ली महिला आयोग में चल रहे है। सबसे मजे की बात इन सब की नियुक्ति के लिये किसी अख़बार में कोई विज्ञापन नही निकाला गया है। बात-बात पर देश भर के अखबारों में फुल पेज विज्ञापन देने वाली केजरीवाल सरकार ने इन नियुक्तियों का कोई विज्ञापन नही निकाला। यहाँ हम एक लिस्ट जारी कर रहे है कि कौन-कौन दिल्ली महिला आयोग में कार्यरत है व किसकी कितनी सैलरी है, जिसे देख अंदाज लगाया जा सकता है कि सरकारी खजाने को लाखों रुपये महीने का चूना केजरीवाल सरकार जानबूझ कर लगा रही है।
दिल्ली में सब जगह सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात करने वाली पार्टी, अब कैमरे लगाना छोड़ मनमाफिक नियुक्तियां देने पर लगी हुई हैं। इस लिस्ट में वकील व आम आदमी नेता एच. एस. फुल्का की बेटी प्रभा सहाय कौर, आप महिला विंग की पूर्व नेता – प्रोमिला गुप्ता, केजरीवाल के एनजीओ से सम्बंधित चाइल्ड राईट एक्टिविस्ट राजमंगल प्रसाद मुख्य रूप से शामिल है। शेष सभी फरहीन मलिक, सारिका चौधरी, गौतम सिंह, लावण्या कौशिक, एकता सैनी, केशर प्रवीण, भूपेन्द्र सिंह इत्यादि ये सब आम आदमी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं, जिन्हें प्रतिमाह 25 हजार से लेकर 70 हजार तक बांटे जा रहे हैं। स्पष्ट है कि केजरीवाल जिस ईमानदार राजनीति का वादा करके सत्ता में आए थे, अब वो छूमंतर हो चुकी है और दिल्ली की जनता का तो पता नहीं. पर पार्टी और परिवार का खूब भला कर रहे हैं।
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)