प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के प्रति देशवासियों का समर्थन लगातार बढ रहा है तो इसका कारण है कि मोदी सरकार चुनावी वायदों पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। चाहे अनुच्छेद 370 की समाप्ति हो या देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचाना हो, हर मामले में मोदी सरकार खरी उतरी है। किसानों की आय दुगुनी करने के लिए भी सरकार जुटी हुई है और लगातार कदम उठा रही है। इसी दिशा में अब किसान रेल के रूप में सरकार ने एक नयी शुरुआत की है।
देश में पैदा होने वाले फलों-सब्जियों आदि को संरक्षित करने के लिए प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और कोल्ड स्टोरेज जैसे बुनियादी ढांचे की कमी के कारण कुल पैदावार का एक-चौथाई हिस्सा हर साल सड़ जाता है। इससे किसानों का मुनाफा मारा जाता है और उनके पास निवेश करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं बचते।
इसी को देखते हुए इस साल फरवरी के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जल्दी खराब होने वाले फलों-सब्जियों आदि के मालवहन के लिए किसान रेल चलाने की घोषणा की थी और मात्र छह महीने के भीतर किसान रेल चल पड़ी।
भारतीय खेती की बदहाली की एक बड़ी वजह यह रही कि यहां सभी फसलों के उत्पादन पर फोकस नहीं किया गया। दूसरे, उत्पादन के साथ-साथ भंडारण, विपणन, प्रसंस्करण की एकीकृत नीति नहीं बनी। यही कारण है कि कभी आलू–प्याज-टमाटर सड़कों पर फेंके जाते हैं तो कभी उपभोक्ताओं के आंसू निकाल देते हैं। लेकिन अब यह समस्या खत्म होने वाली है।
भारतीय रेलवे ने देश में एक छोर से दूसरे छोर तक ताजा सब्जी, फल, फूल और मछली पहुंचाने के लिए किसान रेल सेवा शुरू की है। पहली किसान पार्सल रेल महाराष्ट्र देवलाली से बिहार के दानापुर के बीच चली है।
किसान रेल पूरी तरह से वातानुकूलित है। एक तरह से यह पटरी पर दौड़ता हुआ कोल्ड स्टोरेज है। यह रेल मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगी और 14 स्टेशनों पर रुकेगी जहां छोटे-बड़े सभी किसान अपनी सब्जियां, फल व अन्य खाद्य सामग्रियों की बुकिंग करा सकेंगे।
जैसे-जैसे देश के दूसरे हिस्सों से किसान रेल की मांग आएगी वैसे-वैसे किसान रेल की संख्या बढ़ाई जाएगी। अगले साल डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर के शुरू हो जाने के बाद इस तरह की किसान रेल दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे देश के बड़े खपत केंद्रों और बंदरगाहों तक फल, फूल, सब्जी आदि पहुंचाने लगेंगी।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि जहां शहर के लोगों को ताजी वस्तुएं मिलेंगी वहीं किसानों को अपनी फसल स्थानीय मंडियों में बेचने की मजबूरी नहीं रहेगी। सबसे बढ़कर फलों-सब्जियों की बनावटी कमी पैदा करके कीमत घटाने-बढ़ाने वाले बिचौलियों का खेल खत्म हो जाएगा। मोदी सरकार द्वारा एपीएमसी एक्ट में संशोधन करने से अब किसान अपनी उपज कहीं भी बेचने के लिए आजाद हैं।
दरअसल सरकार इंटरनेट के जरिए कृषि उत्पादों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बाजार बना रही है ताकि किसान अपनी उपज कहीं भी बेच सके। इसी के तहत राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना (ई-नाम) शुरू की गई है। इससे किसानों को उनकी उपज की वाजिब कीमत मिलेगी और 2022 तक किसानों की आमदनी दो गुनी करने का लक्ष्य हासिल होगा।
किसान रेल सेवा से न केवल फल-सब्जी खराब होने से बचेंगे बल्कि किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा। इसका दूरगामी नतीजा यह होगा कि किसान गेहूं-धान के बजाए बागवानी फसलों को प्राथमिकता देंगे जिससे फसल चक्र में बदलाव आएगा।
उल्लेखनीय है कि देश के 8.5 फीसद फसली क्षेत्र पर बागवानी फसलों की खेती की जाती है लेकिन इनसे कृषिगत सकल घरेलू उत्पाद का 30 फीसद प्राप्त होता है। इतना ही नहीं फलों व सब्जियों की खेती अन्य फसलों के मुकाबले चार से दस गुना ज्यादा रिटर्न देती है। शहरीकरण, मध्यवर्ग का विस्तार, बढ़ती आमदनी, खान-पान की आदतों में बदलाव के चलते दुनिया भर में अनाज के बजाए फलों-सब्जियों की मांग में तेजी से इजाफा हो रहा है।
मोदी सरकार के पिछले छह साल के कार्यकाल में सड़क, बिजली, फ्रीजर, मोबाइल, इंटरनेट, कूरियर जैसी बुनियादी सुविधाओं के देशव्यापी विस्तार ने फलों व सब्जियों की खेती के लिए सुनहरा मौका दिया है।
किसान रेल के देश भर में चलने से दूध की तरह जगह-जगह जल्दी खराब होने वाली कृषि उपजों के लिए वातानुकूलित संग्रह केंद्र खुलेंगे जहां इनकी लोडिंग-अनलोडिंग होगी। इससे न केवल किसानों की बदहाली दूर होगी बल्कि भारतीय फल व सब्जी दुनिया भर में अपनी धाक जमाने में कामयाब होंगे। स्पष्ट है, किसान रेल गांवों के साथ-साथ शहरों के लिए भी खुशहाली लाएगी।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)