मोदी ने इस संकटकाल में न केवल अपने देश को संभाला है बल्कि उन्होंने कई अन्य राष्ट्रों को भी दवाओं व संसाधनों की खेप पहुंचाकर मानवीयता की मिसाल गढ़ी है। एक वैश्विक राजनेता में जो गुण होना चाहिये, मोदी में वे सारे गुण नजर आते हैं। जीवन रक्षक व जरूरी दवाओं से निर्यात प्रतिबंध सही समय पर हटाकर उन्होंने इस बात को साबित भी किया है। उनकी इस त्वरित निर्णय व कार्यक्षमता के चलते आज संपूर्ण विश्व में उनकी स्वीकार्यता बढ़ी है।
दुनिया में कोरोना का कहर चरम पर है। प्रतिदिन संक्रमितों व मृतकों की संख्या में अब पहले की तुलना में अधिक तेजी आई है। इसमें कोई शक नहीं कि आज पूरा विश्व इस घातक महामारी से जूझ रहा है। भारत वैसे भी सघन देश है, ऐसे में दुनिया का ध्यान इस ओर होना स्वाभाविक है कि भारत कैसे इस बीमारी को संभाल पाएगा क्योंकि इसका संक्रमण तेजी से फैलता है। अन्य देशों की तुलना में भारत में देशव्यापी लॉकडाउन सही समय पर लागू कर दिया गया था जो कि एक महत्वपूर्ण निर्णय साबित हुआ। यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता एवं निर्णय क्षमता ही थी कि लाखों लोगों को संक्रमण से बचा लिया गया।
कहा जाता है कि आपदा के समय ही नेतृत्व की पहचान होती है। नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व ने इस कहावत को आज फिर जीवित कर दिया है। उनकी कुशल नेतृत्व क्षमता और कार्यप्रणाली के बूते आज भारत कोरोना के तीसरे स्टेज से बचा हुआ है और अब रोज कोरोना से स्वस्थ होने वालों की भी संख्या बढ़ रही है।
आपदा नियंत्रण में मोदी शुरू से कुशल रहे हैं। उनके लिए यह नई बात नहीं है। वर्ष 2001 में जब वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब गुजरात भूकंप की त्रासदी झेल रहा था। सर्वाधिक तबाही भुज एवं कच्छ में हुई थी। नए मुखिया के लिए मोदी को तब उजड़े हुए प्रदेश को संभालने की चुनौती मिली थी। अपने अदम्य आत्मविश्वास एवं कार्यबल के चलते मोदी ने सरकारी मशीनरी के साथ स्वयं को गुजरात के नव निर्माण के मिशन में झोंक दिया और कुछ ही वर्षों में गुजरात दोबारा फिर से उठकर खड़ा हुआ एवं देश के अग्रणी राज्यों में शुमार हो गया।
आज देश के सामने कोरेाना महामारी से निपटने की चुनौती है लेकिन सभी को मन ही मन यह विश्वास है कि मोदी सब संभाल लेंगे। अवाम को मोदी के फैसलों, नीतियों पर विश्वास है और यह पता है कि वे जो भी करेंगे, उसमें देश हित ही सर्वोपरि होगा। यही कारण है कि लॉकडाउन के दौरान कामकाज, बाजार, व्यापार सब बंद होने के बावजूद लोग इस बीमारी से उबरने के सकारात्मक भाव से भरे हुए हैं।
कोरोना के आरंभिक चरण में संक्रमण की संख्या संतुलित व नियंत्रित थी लेकिन लॉकडाउन के कुछ दिनों बाद ही तब्लीगी जमात के सदस्यों ने पूरे देश में इसका संक्रमण फैलाना शुरू कर दिया। इस कारण कई प्रदेशों में पॉजिटिव मामलों का ग्राफ तेजी से बढ़ गया। देश विरोधी तत्वों ने इस संवेदनशील समय में भी अपनी पैशाचिक प्रवृत्ति का परिचय देते हुए दो बड़े महानगरों में साजिश करते हुए भारी भीड़ जमा की ताकि संक्रमण बढ़ जाए। बावजूद इन सबके विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत अभी संतोषप्रद स्थिति में है।
एक सौ पैंतीस करोड़ लोगों की जनसंख्या वाले भारत देश ने अपने नागरिकों को संक्रमित होने से बचाया है और अभी तक संक्रमितों की संख्या महज बीस हजार तक पहुंची है। मोदी के इन प्रयासों के चलते अब समूचे विश्व में उनकी तारीफ हो रही है। हाल ही में मॉर्निंग कंसल्टिंग अनुमोदन रेटिंग के अनुसार पीएम मोदी को कोरोना से लड़ने में विश्व के शीर्ष नेता के रूप में स्वीकार किया गया है।
अमेरिकी ग्लोबल डेटा इंटेलिजेंस कंपनी मॉर्निंग कनसल्ट पॉलिटिकल इंटेलिजेंस के अनुसार गत 14 अप्रैल को पीएम मोदी की लोकप्रियता 68 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई जो कि इस वर्ष के आरंभ में 62 प्रतिशत थी। ध्यान रहे, 14 अप्रैल वही दिन था जब मोदी ने देश में लॉकडाउन को बढ़ाकर 3 मई तक करने की घोषणा की थी। विश्व की कई संस्थानों ने यह माना है कि भारत दुनिया के अन्य विकसित और विकासशील देशों की तुलना में कोरोना वायरस के प्रकोप से प्रभावी रूप से निपट रहा है।
अब इसके चलते लोकप्रियता के मामले में नरेंद्र मोदी विश्व के बड़े नेताओं को पीछे छोड़ते हुए इस क्रम में पहले पायदान पर पहुंच गए हैं। 10 देशों के बीच किए गए सर्वे में मेक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रे मैन्युअल लोपेज ओब्राडार दूसरे क्रम पर थे जबकि मॉर्निंग कंसल्ट के आंकड़ों के अनुसार जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को सबसे कम रेटिंग दी गई है।
यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि मोदी की लोकप्रियता में इतना इजाफा कैसे हुआ। इसका जवाब भी प्रत्यक्ष मौजूद है। मोदी ने इस संकटकाल में न केवल अपने देश को संभाला है बल्कि उन्होंने कई अन्य राष्ट्रों को भी दवाओं व संसाधनों की खेप पहुंचाकर मानवीय आधार की मिसाल गढ़ी है। एक वैश्विक राजनेता में जो गुण होना चाहिये, आज मोदी में वे सारे गुण मौजूद हैं। जीवन रक्षक व जरूरी दवाओं से निर्यात प्रतिबंध सही समय पर हटाकर उन्होंने इस बात को साबित भी किया है। उनकी इस त्वरित निर्णय व कार्यक्षमता के चलते आज संपूर्ण विश्व में उनकी स्वीकार्यता बढ़ी है।
इस क्रम में एक और अहम तथ्य यह है कि माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने भी पत्र लिखकर मोदी की प्रशंसा की है और कोरोना से लड़ाई में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों को चिन्हित किया है। मोदी सरकार के लॉकडाउन और सुरक्षात्मक उपायों की भी उन्होंने जमकर सराहना की है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि कोविड 19 से लड़ाई में मोदी सरकार ने अपनी असाधारण डिजिटल क्षमता का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया है।
हाल ही में भारत सरकार ने कोरोना वायरस की ट्रैकिंग के लिए “आरोग्य सेतु” डिजिटल मोबाइल एप को लांच किया है। स्वयं मोदी ने अपने ताजा राष्ट्र के नाम संबोधन में इस ऐप का विशेष रूप से उल्लेख किया था। गेट्स ने पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि वे मोदी सरकार के प्रयासों की सराहना करते हैं। निश्चित ही मोदी आज भारत ही नहीं पूरे विश्व के प्रभावी नेता बनकर उभरे हैं एवं आज पूरा विश्व कोरोना से बचने के लिए उनके प्रयासों की ओर आशा भारी दृष्टि से देख रहा है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)