सुनीता मिश्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज समूचे विश्व में अपने कुशल कूटनीति के तहत सभी देशों को आकर्षित किया हैं। उर्जा से लबरेज़ प्रधानमंत्री देश में
रहें या फिर विदेश दौरे पर अपनी सक्रियता के चलते उनकी उपस्थिति हर जगह होती है।तभी तो अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी उनकी तारीफों के पुल बांधते नहीं थकते हैं। ऐसे ही देश में बच्चे—बच्चे की जुबान पर मोदी—मोदी रहता है।भला हो भी क्यों न,इनके द्वारा लिखे गए एक पत्र पर पीएम तुरंत उस पत्र में लिखी समस्या के निवारण के लिए कार्यवाही करतें हैं। हाल ही में पुणे में दिल की बीमारी से जूझ रही छह वर्षीय वैशाली यादव ने कभी कल्पना भी नहीं कीहोगी, कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे उसके पत्र पर इतनी तेजी से कार्रवाई होगी और उसे अपने दिल के ऑपरेशन के लिए मदद मिलेगी। एक सप्ताह के भीतर ही प्रधानमंत्री कार्यालय का पुणे जिला प्रशासन को अलर्ट करना और बच्ची की मदद करना बेहद ही काबिलेतारीफ काम है।यह मदद मिलने पर न केवल बच्ची की सर्जरी हुई, अपितु उसके स्वास्थ्य में भी सुधार आ रहा है। एक गरीब परिवार से आने वाली वैशाली यादव कक्षा दो की छात्रा थी उसके दिल में छेद था। मकानों की पुताई कर घर का खर्च चलाने वाले उनके पिता के लिए दिल के ऑपरेशन का खर्च उठाना संभव नहीं था स्थिति इनती दयनीय थी कि उन्होंने दवाइयां खरीदने के लिए खिलौने और साइकिल तक बेच दी थी।यह कोई पहला ऐसा वाक्या नहीं है। जिसमें पीएम मोदी की तरफ से त्वरित कार्रवाई की गई हो। इससे पहले भी कानपुर में अपने बीमार पिता के इलाज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम दो मासूम बच्चों के एक पत्र पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने तुरंत कार्रवाई की और कानपुर के जिलाधिकारी को इलाज में मदद करने को कहा और बच्चों के बीमार पिता का इलाज तुरंत शुरू हो गया ।स्कूली यूनिफॉर्म की सिलाई का काम करने वाले नौबस्ता के संजय गांधी नगर के 50 वर्षीय सरोज मिश्रा पिछले दो साल से अस्थमा से बुरी तरह पीड़ित थे। बीमारी के चलते उनका काम बंद होने से घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई तथा उनके बेटे सुशांत व तनमय की पढ़ाई पर भी संकट आ गया था। तब बच्चों ने 28 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर अपने पिता का इलाज कराने की बात कही थी।वहीं दिल्ली से सटे नोएडा की एक बेटी ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी कि वह उसकी शादी में मदद करें।31 वर्षीय लड़की जो कि12वीं पास थी वह अपनी दो छोटी बहनों और दो भाईयों के साथ बरोला गांव के छोटे से मकान में रहती थी। पिता एक प्राईवेट कम्पनी में माली थे और मां गृहणी। माता-पिता उसकी शादी करने के लिए काफी समय से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन दहेज के कारण शादी तय नहीं हो पा रही थी।आर्थिक तंगी के कारण शादी की डेट भी आगे बढ़ती जा रही थी। जिससे पूरा परिवार मानसिक रूप से परेशान हो चला था। लड़की ने दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल से भी मदद मांगी थी, लेकिन वहां से भी कोई मदद नहीं मिली तब उसने प्रधानमंत्री मोदी जी को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई। यहां न केवल उसके दर्द को सुना गया, बल्कि सभी प्रकार की मदद भी की गई।इसी प्रकार एक 12 साल का बच्चा नयन सिन्हा ने भी रेलवे ट्रैक की बाधा से परेशान होकर सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिख दी। पीएमओ ने भी नयन सिन्हा का भरोसा न तोड़ते हुए उसकी चिट्ठी पर तुरंत एक्शन लेते हुए रेल विभाग को निर्देश जारी कर मामले को सुलझाने।इस प्रकार हमारे समक्ष हज़ारों उदहारण हैं। जो हमें अच्छे दिन के एहसास दिलातें है।
(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)