ऋण वितरण में तेजी लाने के लिये देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने 9 दिसंबर को एक साल वाले सभी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेज्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) की दर 0.1 प्रतिशत कम कर दी, जो 10 दिसंबर से लागू हो गई है। इससे एमसीएलआर के आधार पर दिये जाने वाले सभी कर्जों की ब्याज दरें घटेंगी। इसके कारण इन कर्जों की मासिक किस्त के रूप में ग्राहकों द्वारा जमा की जाने वाली राशि भी कम हो जायेगी।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से 5 दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में रेपो और रिवर्स रेपो दर में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया था। पिछली मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की गई थी, जिससे रेपो दर कम होकर 5.15 प्रतिशत हो गया। पाँच दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती नहीं करने का मुख्य कारण खुदरा महँगाई में तेजी के आसार और बैंकों द्वारा नीतिगत दर में पूर्व में की गई कटौतियों का पूरा फायदा बैंक कर्जदारों को नहीं देना था।
वित्त सचिव राजीव कुमार के अनुसार बैंकों के पास पर्याप्त मात्रा में पूँजी है। कुमार का कहना है कि बैंक सभी प्रकार क्रेडिट जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं। त्योहारी सीजन अक्टूबर में सरकारी बैंकों ने लगभग 2.5 लाख करोड़ रूपये का ऋण वितरित किया था।
कुमार के अनुसार अक्टूबर 2019 में एनबीएफसी को 19,627.26 करोड़ रूपये का ऋण दिया गया है। अक्टूबर महीने में 1.22 लाख रूपये का कॉरपोरेट ऋण दिया गया है। अक्टूबर महीने में ही कृषि क्षेत्र को 40,504 करोड़ रूपये और एमएसएमई क्षेत्र को 37210 करोड़ रूपये का ऋण दिया गया है। 12,166 करोड़ रूपये के गृह ऋण और 7,058 करोड़ रूपये के ऑटो ऋण भी वितरित किये गये हैं।
ऋण वितरण में तेजी लाने के लिये देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने 9 दिसंबर को एक साल वाले सभी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेज्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) की दर 0.1 प्रतिशत कम कर दी, जो 10 दिसंबर से लागू हो गई है। इससे एमसीएलआर के आधार पर दिये जाने वाले सभी कर्जों की ब्याज दरें घटेंगी। इसके कारण इन कर्जों की मासिक किस्त के रूप में ग्राहकों द्वारा जमा की जाने वाली राशि भी कम हो जायेगी।
गौरतलब है कि स्टेट बैंक एमसीएलआर आधारित ऋण के तहत गृह ऋण की ब्याज दर एक साल के एमसीएलआर के आधार पर तय करता है। एक साल का एमसीएलआर घटने का मतलब यह हुआ कि जिन ग्राहकों ने एमसीएलआर आधारित फ्लोटिंग दर पर गृह ऋण ले रखा है, उनकी मासिक किस्तें कम होंगी। वैसे, स्टेट बैंक ने रेपो दर से जुड़ी ऋण में अभी कोई कटौती नहीं की है।
भारतीय स्टेट बैंक ने एमसीएलआर में लगातार 8वीं बार कटौती किया है। सस्ती पूँजी उपलब्ध होने की वजह से स्टेट बैंक ने सभी अवधि के एमसीएलआर में 0.1 प्रतिशत की कटौती की है। ताजा कटौती से 1 साल की एमसीएलआर की नई दर 8 प्रतिशत से घटकर 7.9 प्रतिशत हो गई है। एचडीएफसी बैंक ने अपने एमसीएलआर में 0.15 प्रतिशत की कमी की है। नई दर 7 दिसंबर से लागू है।
भारतीय स्टेट बैंक और एचडीएफसी बैंक के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा, यूको बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने अपने कर्ज पर ब्याज की दर घटाने की घोषणा की है। इन बैंकों ने एमसीएलआर में 0.20 प्रतिशत तक की कटौती की है। इस कटौती के बाद इन बैंकों के गृह, कार और पर्सनल लोन सस्ते हो गये हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा ने एमसीएलआर में 0.20 प्रतिशत तक की कटौती की घोषणा की है। नई दरें 12 दिसंबर से लागू हो गई हैं।
यूको बैंक ने एमसीएलआर में 0.10 प्रतिशत तक की कटौती की है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने एक साल के एमसीएलआर को 0.05 प्रतिशत कम किया है, जिससे यह घटकर 8.20 प्रतिशत हो गया है। यूनियन बैंक ने एक साल की अवधि के कर्ज पर एमसीएलआर को 8.25 प्रतिशत से घटाकर 8.20 प्रतिशत कर दिया है, जबकि एक दिन के कर्ज पर एमसीएलआर को 0.10 प्रतिशत से कम करके 7.75 प्रतिशत कर दिया है।
वहीं, 1 महीने से 6 महीने के अवधि के कर्ज के लिये एमसीएलआर को 7.80 से 8.05 प्रतिशत के बीच रखा है। इलाहाबाद बैंक ने एमसीएलआर में 0.05 प्रतिशत की कटौती की है। नई दरें 14 दिसंबर से लागू हुई हैं। इलाहाबाद बैंक के अनुसार बैंक की संपत्ति देनदारी प्रबंधन समिति ने मौजूदा एमसीएलआर की समीक्षा के बाद विभिन्न परिपक्वता अवधि के लिए इसमें 0.05 प्रतिशत की कटौती का फैसला किया है
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 5 दिसंबर को की गई मौद्रिक समीक्षा के दौरान कहा था कि केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों को घटाने की जल्दी में नहीं है। दास ने यह भी कहा था कि नीतिगत दर में पहले की गई कटौती का पूरा फायदा बैंक के कर्जदारों को नहीं मिला है। बैंकों को दरों में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को जल्दी से जल्दी देना चाहिये। अभी भी बैंकों के पास इस लाभ को बैंक कर्जदारों तक पहुंचाने की काफी गुंजाइश बची है। जानकारों के अनुसार नये ऋणों में बैंक अभी 0.44 प्रतिशत तक की कटौती कर सकते हैं।
अभी भी नीतिगत दर में कटौती का पूरा फायदा बैंक कर्जदारों को नहीं मिला है और बैंकों के पास पर्याप्त मात्रा में सस्ती पूँजी भी उपलब्ध है, इसलिये, बैंकों को कहा गया है कि वे नीतिगत दर में पूर्व में की गई कटौती का पूरा फायदा बैंक कर्जदारों को दें। मामले में बैंकों ने सकारात्मक पहल की है। उम्मीद है कि आगे आने वाले दिनों में भी बैंक कर्ज दर में और भी कटौती करेंगे।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)