मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सक्रियता दिखाते हुए परिस्थितियों का आकलन किया और लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए उचित समय पर उचित निर्णय लिए। गरीबों को तीन माह का राशन उनके घर तक पहुँचाने का प्रबंध किया गया। इसके लिए प्रत्येक जिले को 2000 क्विंटल अतिरिक्त आवंटन दिया गया, ताकि जिन्हें लाभ न मिला हो, उन्हें भी राशन मिल सके। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के आह्वान पर अनेक सामाजिक संगठन भी गरीबों को भोजन, दवाएं, मास्क एवं जरूरी सामान उपलब्ध कराने के लिए आगे आ गए।
कोरोना महामारी से जीतने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्राथमिक उपाय है- लॉकडाउन। कोरोना संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के साथ ही कोरोना संक्रमितों की पहचान करने में भी लॉकडाउन प्रभावी है। आज मध्यप्रदेश में स्थितियां नियंत्रण में दिख रही हैं, तो वह इसलिए कि सरकार ने लॉकडाउन का पालन ठीक से कराया। पूर्ववर्ती सरकार ने प्रारंभ में जिस तरह की लापरवाही दिखाई उसके कारण आज मध्यप्रदेश के हालात बद्तर हो सकते थे।
यह भी समझ लेना जरूरी है कि कोरोना को हराने के लिए आवश्यक उपाय होते हुए भी लॉकडाउन का पालन कराना आसान नहीं है। मध्यप्रदेश जैसे बड़े प्रदेश में तो और भी कठिन था। लॉकडाउन के कारण काम-काज ठप होने से बड़े वर्ग के सामने भूख का संकट उत्पन्न हो जाता है। काम-धंधा बंद होने से आर्थिक और आजीविका पर संकट के बादल मंडराते दिखते हैं। आत्मविश्वास कमजोर पड़ता है। ऐसे मानस में किसी भी व्यक्ति को घर में रोकना आसान है क्या? वह घर में तभी रुक सकता है, जब कोई उसे भरोसा देने वाला हो। कोई उसका आत्मविश्वास पक्का करने वाला हो। कोई ऐसा हो, जिस पर लोगों को विश्वास हो।
संयोग से मध्यप्रदेश को यह भरोसा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रूप में मिल गया। हालाँकि, उन्हें फिर से मध्यप्रदेश की कमान थोड़ी देर से मिली। यद्यपि मुख्यमंत्री शिवराज ने प्रदेश की जनता से संवाद करके उन्हें सब प्रकार से विश्वास दिलाया कि लॉकडाउन में सरकार सबके हितों का ध्यान रखेगी। उनकी सक्रियता और सतत् संवाद का ही असर है कि प्रदेश में सबने लॉकडाउन के पालन में सहयोग किया, जिसके परिणाम सकारात्मक रहे हैं। इस बीच उन्होंने प्रशासन को भी चलायमान रखा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सक्रियता दिखाते हुए परिस्थितियों का आकलन किया और लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए उचित समय पर उचित निर्णय लिए। गरीबों को तीन माह का राशन उनके घर तक पहुँचाने का प्रबंध किया गया। इसके लिए प्रत्येक जिले को 2000 क्विंटल अतिरिक्त आवंटन दिया गया, ताकि जिन्हें लाभ न मिला हो, उन्हें भी राशन मिल सके। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के आह्वान पर अनेक सामाजिक संगठन भी गरीबों को भोजन, दवाएं, मास्क एवं जरूरी सामान उपलब्ध कराने के लिए आगे आ गए।
इधर, सरकार ने आर्थिक सहायता देकर कमजोर-असहाय वर्ग को संबल देने का प्रयास किया। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के अंतर्गत 15.69 लाख रुपये, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना के अंतर्गत 5.36 लाख रुपये और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजना के तहत 99.9 हजार रुपये की राशि हितग्राहियों के बैंक खातों में हस्तांतरित की। किसानों की समस्या को समझा और उनका समाधान निकाला।
यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कार्य-व्यवहार एवं उनके अंत्योदय के प्रति चिंता का ही परिणाम है कि मध्यप्रदेश में महाराष्ट्र और दिल्ली जैसी भगदड़ की स्थितियां नहीं बनीं। उन्होंने न केवल अपने राज्य के गरीब-मजदूरों की चिंता की, अपितु लॉकडाउन के कारण मध्यप्रदेश में फंसे 22 राज्यों के 7 हजार प्रवासी श्रमिकों को 70 लाख रुपए की सहायता राशि उनके खातों में भेजी। निश्चित ही इस मदद से गरीब-मजदूरों को कोरोना से लड़ने का हौसला मिला होगा।
दूसरे राज्यों में फंसे मध्यप्रदेश के मजदूरों को मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि वे जहाँ हैं, वहीं रहें और स्थानीय प्रशासन का सहयोग करें। उनकी चिंता भी मध्यप्रदेश सरकार करेगी। इस संदर्भ में उनकी अपील को देखना आवश्यक है, उसमें एक अपनत्व है- ‘गरीब-मजदूर भाईयों से कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश सरकार आपके भोजन और आवास की चिंता करेगी। आपसे केवल इतना ही अनुरोध है कि जहां हैं, वहीं रहें और कोविद-19 को परास्त करने में योगदान दें।’ इसके लिए शिवराज सिंह चौहान ने अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से चर्चा की और मध्यप्रदेश के नागरिकों का ध्यान रखने का आग्रह किया।
सरकार ने प्रदेश के नागरिकों को अपने हाल पर एक दिन के लिए भी नहीं छोड़ा। जैसे ही स्थितियां सुधरना शुरू हुईं, सरकार ने मजदूरों को मध्यप्रदेश में लाना प्रारंभ कर दिया है। विभिन्न राज्यों में बसें भेज कर उन्हें मध्यप्रदेश लाया गया। यहाँ उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। स्वस्थ लोगों को उनके घर तक पहुँचाने का प्रबंध सरकार ने किया।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना को फैलने से रोकने के लिए कोरोना संक्रमण के हॉट स्पॉट, कंटेनमेंट एरिया और एपिक सेंटर तय करके वहाँ पूर्ण लॉकडाउन किया गया। ताकि वहाँ से संक्रमण अन्य क्षेत्रों में न पहुँचे। यही कारण है कि मध्यप्रदेश के ज्यादातर जिले-शहर कोरोना की चपेट में आने से बच गए।
इसके लिए सरकार और प्रदेश की जनता को साधुवाद देना चाहिए कि लॉकडाउन के निर्देशों का ठीक से पालन करने के कारण हमने संक्रमण को उन जगहों पर जाने से रोक लिया, जहाँ कोरोना संक्रमण का एक भी केस नहीं मिला। हॉट-स्पॉट चिह्नित करने की रणनीति से संक्रमण पर नियंत्रण आसान हो गया। सरकार ने ऐसे क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरती। स्वास्थ्य दलों को भेजा गया। जिनमें भी संक्रमण के थोड़े भी लक्षण दिखे, उनकी जाँच करायी गई और केंद्र सरकार द्वारा तय मानकों का पालन किया गया।
भोपाल, इंदौर और उज्जैन को लेकर सरकार ने विशेष सतर्कता बरती। यहाँ भी कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले देखकर सरकार ने तत्काल पूर्ण लॉकडाउन लागू कर दिया, जिसके कारण संक्रमण के फैलाव पर रोक लग गई। संक्रमित क्षेत्रों को एपिक सेंटर्स में बाँट कर उन क्षेत्रों की विशेष निगरानी के द्वारा वायरस को उसी शहर के अन्य क्षेत्रों में फैलने से रोक लिया गया।
पहले 21 दिन के लॉकडाउन से प्राप्त सकारात्मक परिणामों को देखकर प्रधानमंत्री के साथ बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था। मध्यप्रदेश में जिस तरह कोरोना पीड़ितों की संख्या सामने आ रही थी, उसे देखकर लॉकडाउन बढ़ाया जाना आवश्यक था। यह सुखद है कि जनता ने भी लॉकडाउन बढ़ाने के निर्णय का स्वागत किया। दरअसल, उसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं- एक, जनता का नेतृत्व पर भरोसा और दो, प्रदेशवासी भी लॉकडाउन के सकारात्मक परिणामों को महसूस कर रहे थे।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस बयान में अपने नागरिकों के प्रति उनकी गहरी संवेदना दिखाई देती है- ‘हमारे लिए जनता की जिंदगी महत्वपूर्ण है। इसलिए लॉकडाउन और सह लेंगे, अर्थव्यवस्था बाद में भी खड़ी कर लेंगे, लेकिन लोगों की जिंदगी चली गई तो वापस कैसे लाएंगे? इसलिए अगर जरूरत पड़ी तो लॉकडाउन को आगे भी बढ़ायेंगे। परिस्थितियां देखकर फैसला करेंगे।’
निश्चित ही नागरिकों का जीवन राज्य की प्राथमिकता होनी चाहिए। बाकी सब बातें तो बाद में हो जाएंगी। सबसे पहले लोगों का जीवन बचाना जरूरी है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि लॉकडाउन के कारण अनेक लोगों का जीवन सुरक्षित है और अनेक लोग संक्रमण की चपेट में आने से बच गए।
(लेखक विश्व संवाद केंद्र, मध्यप्रदेश के कार्यकारी निदेशक हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)