कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित तमाम विपक्षी नेताओं द्वारा मोदी सरकार पर माल्या को भगाने का अनर्गल आरोप लगाया जाता रहा है। जबकि वास्तविकता यह है कि माल्या को अंधाधुंध कर्ज देने का काम कांग्रेस सरकार ने किया था। मोदी सरकार का शासन आने पर जब उसे लगा कि अब उसपर तलवार लटक सकती है, तो वो विदेश भाग निकला। लेकिन अब सरकार की कोशिशों से उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी मिलने के बाद विपक्षी नेताओं की बोलती बंद होना तय है।
भारतीय बैंकों का पैसा लूटकर ब्रिटेन भागने वाले कारोबारी विजय माल्या को देश लाए जाने का रास्ता साफ़ हो गया है। लन्दन की कोर्ट में विजय माल्या के प्रत्यर्पण सम्बन्धी मामले में आज फैसला आया, जिसमें अदालत ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। इस सुनवाई के दौरान भारत की तरफ से अदालत में सीबीआई के संयुक्त निदेशक और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दो अधिकारी उपस्थित रहे। माल्या भारतीय बैंकों के करीब 9,000 करोड़ रुपये लेकर ब्रिटेन भागा हुआ है। ब्रिटेन में पिछले साल अप्रैल में उसकी गिरफ्तारी हुई थी।
मोदी सरकार उसके प्रत्यर्पण की लगातार कोशिश कर रही थी, जो आखिरकार अब एक अंजाम को पहुँची है। हालांकि माल्या को ऊपरी अदालत में अपील के लिए पन्द्रह दिन का समय मिला है, लेकिन इस फैसले से पूर्व उसने लन्दन की मीडिया से कहा था कि अदालत का फैसला उसे मंजूर होगा। ऐसे में देखना होगा कि इस फैसले के बाद उसका रुख क्या होता है।
अभी गत दिनों ही अगस्ता-वेस्टलैंड मामले के एक अभियुक्त क्रिश्चियन मिशेल को प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया और अब विजय माल्या के प्रत्यर्पण को मंजूरी मिलना मोदी सरकार की बड़ी कामयाबी मानी जा सकती है। तब माल्या ने ट्विट किया था कि वो बैंकों का पूरा पैसा लौटाने को तैयार है। जाहिर है, मिशेल के प्रत्यर्पण के बाद ही कहीं न कहीं उसे अंदेशा हो गया होगा कि अब उसका नंबर भी आ सकता है।
इसके अलावा बीते दिनों सर्वोच्च न्यायालय में विजय माल्या की वह याचिका भी खारिज हो गयी थी, जिसमें उसने प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई पर रोक लगाने की अपील की थी। दरअसल प्रवर्तन निदेशालय ने मुंबई स्थित विशेष अदालत में अर्जी दाखिल कर मांग की है कि माल्या को नए कानून के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जाए। ऐसा होने से ईडी को माल्या की संपत्ति जब्त करने का अधिकार मिल जाएगा। इन सब संकटों को देखते हुए ही माल्या बार-बार पूरा पैसा चुकाने की बात कर रहा है।
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित तमाम विपक्षी नेताओं द्वारा मोदी सरकार पर माल्या को भगाने का अनर्गल आरोप लगाया जाता रहा है। जबकि वास्तविकता यह है कि माल्या को अंधाधुंध कर्ज देने का काम कांग्रेस सरकार ने किया था। मोदी सरकार का शासन आने पर जब उसे लगा कि अब उसपर तलवार लटक सकती है, तो वो विदेश भाग निकला। लेकिन अब सरकार की कोशिशों से उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी मिलने के बाद विपक्षी नेताओं के आरोपों की हवा निकल गयी है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)