इस अभियान के बाद ‘चौकीदार चोर है’ का नारा उछालने वाले विपक्षियों को सांप सूंघ गया है। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि इसका क्या जवाब दिया जाए। चौकीदार को चोर कहने पर अब एकसाथ असंख्य चौकीदार जवाब में उतर पड़ रहे हैं। दरअसल ये मोदी की राजनीति है, जो जितनी सकारात्मक भावना से ओतप्रोत है, विपक्ष को जवाब देने में उतनी ही प्रभावी भी है।
सकारात्मक व्यक्ति की ख़ास बात यह होती है कि वो भीषण नकारात्मकता में भी सकारात्मकता खोज लेता है। नरेंद्र मोदी इसी तरह के व्यक्ति हैं। वे अक्सर सकारात्मक और रचनात्मक राजनीति की बात करते रहे हैं। अभी देश में चुनाव का मौसम चल रहा है, तो जाहिर है कि विपक्ष की तरफ से उनपर होने वाले जुबानी हमले भी बढ़े हैं।
मोदी खुद को देश का चौकीदार कहते हैं, इस बात को पकड़कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी पर निशाना साधते हुए अक्सर अपनी रैलियों में ‘चौकीदार चोर है’ का नारा उछालते रहते हैं। कहने की जरूरत नहीं कि देश के मेहनतकश और ईमानदारी से अपना काम करने वाले चौकीदारों का अपमान करने वाला ये नारा राहुल की सतही समझ और अपरिपक्व दृष्टि का ही सूचक है।
लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘चौकीदार चोर है’ जैसे नकारात्मक नारे के जवाब में जिस तरह से ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान की शुरुआत की है, वो साबित करता है कि वे विरोधियों द्वारा उनपर फेंके जाने वाले पत्थरों से ही मार्ग बनाकर आगे बढ़ना बाखूबी जानते हैं। 2014 में जब उन्हें चायवाला कहकर उनका मजाक उड़ाने की कोशिश की गयी थी, तो इसे भी उन्होंने ‘चाय पर चर्चा’ के रूप में एक कामयाब अभियान बना दिया था। अब फिर एकबार उन्होंने वो कहानी दुहराई है।
http://https://www.youtube.com/watch?v=T1hvCp1BCnk
गौरतलब है कि पिछले दिनों एक रोज अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मैं भी चौकीदार’ शीर्षक का एक गीत साझा किया तथा अपने ट्विटर हैंडल का नाम बदलकर ‘चौकीदार नरेंद्र मोदी’ कर लिया। सरकार के तमाम मंत्रियों, भाजपा नेताओं ने भी अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ लगा लिया।
इसके बाद तो सोशल मीडिया पर यह एक अभियान की तरह चल पड़ा और फेसबुक से ट्विटर तक असंख्य यूजर्स ने अपने नाम में चौकीदार जोड़कर इस अभियान के प्रति समर्थन व्यक्त किया। ‘मैं भी चौकीदार’ हैशटैग दुनिया में नम्बर एक पर ट्रेंड करने लगा। हर कोई अपने आप में एक चौकीदार बन गया। लोग कहने लगे कि जिसे है देश की फ़िक्र, वो चौकीदार है।
इस अभियान के बाद ‘चौकीदार चोर है’ का नारा उछालने वाले विपक्षियों को सांप सूंघ गया है। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि इसका क्या जवाब दिया जाए। चौकीदार को चोर कहने पर अब एकसाथ असंख्य चौकीदार जवाब में उतर पड़ रहे हैं। दरअसल ये मोदी की राजनीति है, जो जितनी सकारात्मक भावना से ओतप्रोत है, विपक्ष को जवाब देने में उतनी ही प्रभावी भी है।
इस अभियान ने विपक्ष की बोलती तो बंद की ही है, साथ ही देश के चौकीदार समाज का सम्मान हुआ है तथा देश के सामान्य नागरिकों में भी भ्रष्टाचार, अपराध को रोकने के लिए कर्तव्य-भावना जागृत हुई है। मोदी अक्सर इसी तरह की सकारात्मक राजनीति की बात करते रहते हैं और चुनाव के इस दौर में उन्होंने ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान के जरिये इसका एक परिचय भी दे दिया है। ‘चौकीदार चोर है’ और ‘मैं भी चौकीदार’ इन दो नारों के जरिये हम इन्हें देने वाले दोनों नेताओं की राजनीतिक दृष्टि, चिंतन-धारा और जनजुड़ाव को समझ सकते हैं। बाकी जनता सबकुछ देख-समझ रही है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)