सरकार ने संसद में हाल ही में जो जानकारी पेश की है, उसमें यह बात उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग ने गत वर्ष दिसंबर तक विदेशी काला धन कानून के तहत कुल जमा 12 हजार 600 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की अघोषित संपत्त्ति के मामलों में नोटिस जारी किए हैं। कुल 422 ऐसे मामले हैं, जिनमें संबंधितों को नोटिस जारी हुए हैं।
काला धन इस देश में हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है। हाल ही में संसद में केंद्र सरकार ने काले धन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां प्रस्तुत की हैं। ये जानकारियां गौरतलब इसलिए भी हैं क्योंकि इससे सरकार की मंशा ही नहीं, बल्कि सरकार के कृत्यों की भी पुष्टि होती है।
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया है कि वर्ष 2015 में जबसे कर अधिरोपण अधिनियम लागू हुआ है, उसके बाद से इस दिशा में लगातार कार्यवाही हुई है। आयकर विभाग ने काले धन को सहेजने की प्रवृत्ति पर लगाम कसने के लिए और अघोषित संपत्तियों के गोरखधंधे पर अंकुश लगाने के लिए इस एक्ट को लागू किया था।
इसके बाद से सरकार ने लगातार कई बड़े एवं कड़े कदम उठाए ताकि काले धन को खिलाफ देश की लड़ाई को जारी रखा जा सके। सरकार ने संसद में हाल ही में जो जानकारी पेश की है, उसमें यह बात उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग ने गत वर्ष दिसंबर तक विदेशी काला धन कानून के तहत कुल जमा 12 हजार 600 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की अघोषित संपत्त्ति के मामलों में नोटिस जारी किए हैं। कुल 422 ऐसे मामले हैं, जिनमें संबंधितों को नोटिस जारी हुए हैं।
यह तो वर्ष 2019 की कार्यवाही का ब्यौरा है लेकिन मौजूदा सरकार तो लंबे समय से इस दिशा में काम कर रही है। निश्चित ही यह श्रेय की राजनीति नहीं है लेकिन सरकार के कदम से विदेशी काले धन को लाने और देश के काले धन लगाम लगाने की उसकी मंशा का तो पता चलता ही है।
काले धन की बात चली है तो बता दें कि देश में काले धन के चलते अर्थव्यवस्था के डगमगाने का सिलसिला आम हो गया था। केंद्र की भाजपा सरकार ने नोटबंदी और बेनामी कानून संपत्ति के तहत इसके खिलाफ मोर्चा खोला। बीते कुछ वर्षों में सरकार द्वारा नोटबंदी, जीएसटी, आईबीसी जैसे आर्थिक सुधार करने वाले बड़े फैसले लिए गए।
सरकार ने आयकर पर शिकंजा कसते हुए एक तयशुदा राशि से अधिक राशि के बैंक में जमा किए जाने पर भी सख्ती बरती। दूसरी तरफ, लाखों की संख्या में फर्जी आधार एवं पैन कार्ड ब्लॉक किए गए। इसके समानांतर ही, आधार व पैन को लिंक करने का काम भी चल रहा है ताकि हर व्यक्ति की आर्थिक गतिविधियों की स्पष्ट एवं सीधे तौर पर निगरानी की जा सके।
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने यह भी बताया कि एचएसबीसी मामलों के लेकर अवैधानिक रूप से संचालित हो रहे विदेशी बैंक खातों (जिसमें स्विस बैंक का भी अच्छा खास प्रतिशत संभव है) में जमा की गई रकम को लेकर अभी तक कुल 8 हजार 460 रुपए से भी अधिक मूल्य की अघोषित, बेनामी आय को दंड के दायरे में लाया गया है। इन पर 1290 करोड़ रुपए से भी अधिक राशि का कर एवं जुर्माना देय होगा।
अभियोजन ने इन मामलों में अभी तक 204 शिकायतें दर्ज की हैं। आईसीजे ICJ यानी इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने ऐसे कई मामले उजागर किए हैं। इनकी जो जांच हुई है, उसमें यह बात पता चली है कि अभी तक कई गुमनाम खातों में धन जमा किया गया था जो कि 11 हजार करोड़ से भी अधिक का है। इनमें करीब 99 शिकायतें अभियोजन पक्ष ने दर्ज की हैं।
साल भर पहले चर्चाओं में रहे पनामा पेपर्स लीक मामले में 1550 करोड़ रुपए से भी ज्यादा विदेशी निवेश का पता चला है। अभियोजन ने इसमें भी 30 से अधिक शिकायतें दर्ज की हैं। इन सारे तथ्यों से स्पष्ट पता चलता है कि केंद्र की भाजपा सरकार काले धन के खिलाफ लड़ाई को लेकर कितनी कृत संकल्पित है।
देश की जांच एजेंसियां प्रवर्तन निदेशालय एवं सीबीआई ने भी पिछले दो-तीन वर्षों में कई छापामार कार्यवाही करते हुए देश एवं विदेश में बड़े पैमाने पर संपत्तियां जब्त की हैं। भगोड़े कारोबारी विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी की देश व विदेश में संपत्ति जब्त करने जैसे कई उल्लेखनीय कदम हैं जो काले धन के खिलाफ सरकार की सख्ती को जाहिर करते हैं।
काला धन पर रोकथाम भाजपा का प्रमुख वादा रहा है। नोटबंदी, आईबीसी जैसे निर्णय इसी की परिणिति के रूप में सामने आए हैं। केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश उक्त आंकड़े इस बात को पुख्ता करते हैं कि काले धन को लेकर सरकार देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी उतनी ही सक्रिय है।
अभी तो सरकार ने संबंधितों को महज नोटिस ही जारी किए हैं। इस क्रम में अब आगामी कार्यवाही आकार लेने लगी है। अब इनकी भी संपत्ति जब्त की जा सकती है और संपत्ति के स्त्रोत का भी खुलासा होगा एवं नियमानुसार उचित कार्यवाही होगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)