वर्ष 2020 के आरंभ में देश सहित दुनिया का कोरोना वायरस नामक महामारी से सामना हुआ। लगातार बढ़ते मामलों एवं सक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने संपूर्ण भारत में देशव्यापी लॉकडाउन घोषित किया और करोड़ों लोगों को बचा लिया। जिस प्रकार से यह वायरस फैल रहा था उस हिसाब से देश की विराट जनसंख्या संकट में आ सकती थी।
कोरोना महामारी के बीच मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दो वर्ष पूरे हो गए हैं। अभी तक मोदी सरकार के कुल जमा सात साल हुए हैं। इन सात सालों में देश बहुत बदलावों से गुजरा है। ये बदलाव कई स्तरों पर रहे हैं।
मोदी के दोनों कार्यकालों में भिन्नताओं को हम स्पष्ट तौर पर देख सकते हैं। जब 2014 में मोदी ने पदभार संभाला था तब उनके सामने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की नाकामियां, घोटालों पर घोटालों से कमजोर हुई अर्थव्यवस्था, आतंकी वारदातों से निपटने की चुनौती एवं विश्वास जता चुके मतदाताओं की स्वीकार्यता हासिल करने जैसी कई चुनौतियां थीं। उनके सामने यह संशय रहा होगा कि वे पुराने नुकसानों की भरपाई करें या कुछ नया करें। जाहिर है, पुराने नुकसानों की भरपाई उन्होंने की।
उन्होंने कांग्रेस सरकार में शुरू हुई तमाम आर्थिक गड़बडि़यों पर लगाम लगाना शुरू किया। इसी क्रम में उन्होंने फर्जी कंपनियां, चिटफंड कंपनियां, नकली एनजीओ बंद किए। आधार और पैन कार्ड को लिंक करने की अनिवार्यता के पीछे मुख्य ध्येय प्रत्येक नागरिक एवं ग्राहक को एकीकृत करना रहा।
इसी क्रम में नोटबंदी एवं जीएसटी लागू करने जैसे बड़े आर्थिक सुधार लाए गए। विपक्ष को इन सुधारों से बहुत समस्या हुई। विपक्षी के तौर पर विरोध करने के लिए वे विरोध करते रहे लेकिन नए कानूनों से होने वाले लाभ को वृहद परिप्रेक्ष्य में ना देख पाने की उनकी अक्षमता समझ से परे है।
पहले कार्यकाल में जहां प्रधानमंत्री मोदी ने जन धन योजना, मुद्रा योजना, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्वच्छता अभियान जैसे बड़े अभियान एवं योजनाओं को शुरू किया वहीं उरी व पुलवामा आतंकी हमलों के बाद हुई सर्जिकल और एयर स्ट्राइक जैसी त्वरित सैन्य सफल कार्रवाई ने उन्हें देशवासियों के मन में एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित कर दिया।
यहां से उनकी छवि एक ऐसे कूटनीतिज्ञ एवं सख्त राष्ट्राध्यक्ष की बनी जो धरातल पर योजनाओं को चलाता है, समाज में नीतिगत सुधार करता है, नागरिकों से संवाद करता है और समय आने पर देश को चोट पहुँचाने वालों को सबक भी सिखाता है। इन सब घटनाओं से मोदी की लोकप्रियता में निरंतर इजाफा होता रहा।
पहले कार्यकाल से अब तक मोदी को दुनिया के अनेक देशों ने नागरिक सहित अन्य सम्मानों से नवाजा है और उनके साथ वैश्विक मुद्दों पर काम करने की इच्छा जताई है। यह मोदी के बहाने सीधे तौर पर भारत का सम्मान है। 2017 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मोदी को आमंत्रित करना राजनीतिक स्तर पर बहुत बड़ी जीत थी।
पुलवामा में आतंकी हमले का बदला मोदी सरकार ने जल्द लेकर बालाकोट एयर स्ट्राइक की और दुश्मन सहित दुनिया को यह संदेश स्पष्ट मिल गया कि यह नया भारत है। अब यह आतंकवाद से डरने वाला नहीं है, बल्कि उसका खात्मा करने में यकीन रखता है। इससे मोदी का कद तो बढ़ा ही, देश की भी छवि निखरी।
मोदी के अच्छे कार्यों का ही परिणाम था कि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में पूरे देश के मतदाताओं ने मोदी के प्रति अपना विश्वास जताया और उन्हें लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत से प्रधानमंत्री बनाया। स्वाभाविक है, अपेक्षाओं का भी ग्राफ अब बढ़ चुका था। ऐसे में मोदी ने पहले से अधिक श्रम करना आरंभ किया। उनके भाषणों, नीतियों को सर्वत्र सराहना होने लगी। दूसरे कार्यकाल में उन्होंने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर देश को वास्तविक अर्थों में अखंड कर दिया।
यह बहुत बड़ी ऐतिहासिक घटना थी। कश्मीर भारत का सदा से अंग रहा है, यह तो निर्विवाद ही है लेकिन इसे कांग्रेस की गलत नीतियों ने उसे जबरिया पृथक कर दिया था, उसे हटाकर मोदी सरकार ने बरसों की भूल एक क्षण में समाप्त कर दी। अयोध्या राम मंदिर के बड़े मामले पर नवंबर 2019 में अदालत का अंतिम निर्णय आया, जिसकी परिणिति अगस्त 2020 में भगवान श्रीराम मंदिर के भूमिपूजन के रूप में देश व दुनिया ने प्रत्यक्ष देखी।
इस वर्षों पुराने संवेदनशील मामले का मोदी सरकार ने इस कुशलता से हल निकाला कि रक्त की एक बूंद भी नहीं गिरी, अन्यथा पूर्ववर्ती सरकारें विभिन्न आंदोलन से जुड़े मामलों में खूनखराबे से भी गुरेज नहीं करती थीं, इसका देश साक्षी रहा है। इस सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून बनाकर देश की सिविलाइजेशन को एक नया आयाम दिया।
वर्ष 2020 के आरंभ में देश सहित दुनिया का कोरोना वायरस नामक महामारी से सामना हुआ। लगातार बढ़ते मामलों एवं सक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने संपूर्ण भारत में देशव्यापी लॉकडाउन घोषित किया और करोड़ों लोगों को बचा लिया। जिस प्रकार से यह वायरस फैल रहा था उस हिसाब से देश की विराट जनसंख्या संकट में आ सकती थी।
लेकिन मोदी ने सूझबूझ का परिचय देते हुए तीन महीने का सख्त लॉकडाउन लगाया एवं बाद में अनलॉक जैसे उपायों को ढील के साथ श्रृंखलाबद्ध रूप से लागू किया। लॉकडाउन के दौरान आम जनता, श्रमिकों, स्टूडेंट्स, निर्धन वर्ग के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत, जन धन योजना के तहत, पीएम किसान योजना के तहत, अन्नपूर्णा योजना के तहत, उज्ज्वला योजना के तहत निशुल्क राशन, गैस सिलेंडर तो मुहैया कराया ही, खातों में सीधे पैसे भी जमा कराए।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने खाताधारकों को पीएफ की राशि में से 75 प्रतिशत अग्रिम भुगतान निकासी की बड़ी सुविधा दी। इसी बीच सरकार ने 20 हजार करोड़ रुपयों का आर्थिक पैकेज घोषित किया और कारोबारी, उद्योगपति वर्ग को भी राहत दी। मोदी सरकार की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि यह रही है कि लॉकडाउन लगाए जाने के बाद 10 महीनों के रिकॉर्ड समय में देश ने कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन ईजाद करने में सफलता हासिल कर ली।
वैक्सीन का उत्पादन निर्बाध गति से चला। कोविशील्ड और कोवैक्सीन नाम के दो स्वदेशी टीकों का अभी तक करोड़ों लोगों ने लाभ लिया है एवं यह क्रम जारी है। भारत में बनी वैक्सीन के प्रति विदेशों ने भी विश्वास जताया। ब्राजील के राष्ट्राध्यक्ष ने भारत से वैक्सीन ली और विश्व में इसकी सराहना हुई।
लेकिन इस साल मार्च के बाद देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश और सरकार के सामने बड़ी चुनौती पेश की है। इससे बड़े पैमाने पर संक्रमण एवं मृत्यु दर बढ़ी। सरकार इस चुनौती से निपटने में जुटी हुई है। पिछले साल से लेकर इस साल अभी तक देश ने कई प्रकार के चक्रवातों एवं समुद्री तूफानों का सामना किया। इनसे जानमाल का बहुत नुकसान होता है।
केंद्र सरकार ने समय-समय पर हर प्रभावित राज्य को भरपूर आर्थिक सहायता दी। इनमें वे राज्य भी शामिल थे जो विपक्षी दलों के थे और इनके नेता सार्वजनिक रूप से प्रधानमंत्री पर आक्षेप करते रहे हैं। इसके बावजूद यह प्रधानमंत्री मोदी का बड़प्पन है कि वे समूचे देश को समभाव से देखते हैं।
सरकार के प्रयासों से आज कोरोना की दूसरी लहर की रफ़्तार धीमी पड़ने लगी है, लेकिन अभी बहुत अधिक सावधान और सजग रहते हुए अपनी तैयारियों को पुख्ता करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दृढ़ संकल्प के बूते भारत को ना केवल आगे बढ़ाने को तत्पर हैं, बल्कि उसे कोरोना संकट के बाद उभरकर आने वाले राष्ट्रों की अग्रिम पंक्ति में ला खड़ा करने को अग्रसर हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)