डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वे भारत के साथ मिलकर आतंकवाद को खत्म करेंगे। जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद जैसी चुनौती सबसे बड़ी प्राथमिकता है। हम मानव जाति की रक्षा के लिए इसे मिलकर खत्म करेंगे। संसार के दो बड़े और असरदार लोकतांत्रिक देशों के नेताओं में आतंकवाद के खात्मे को लेकर इस तरह की सहमति बनना विश्व बिरादरी के लिए अहम घटना है। उम्मीद की जा सकती है कि इस मुलाकात के बाद दोनों देशों द्वारा आतंकवाद पर जोरदार प्रहार किया जाएगा।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात पर दुनिया की निगाहें थीं। दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के इन राष्ट्राध्यक्षों की इस पहली मुलाकात से काफी कुछ बेहतर निकलने की उम्मीद की जा रही थी। ये मुलाकात विशेष रही भी। मोदी से अपनी वार्ता से पहले ट्रंप ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, ऐसे महान प्रधानमंत्री का स्वागत करना हमारे लिए सम्मान की बात है। दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच आतंकवाद का खात्मा प्रमुख विषय रहा।
डोनाल्ड ट्रंप को मालूम है कि किस तरह से इस्लामिक कट्टरपंथ से अभिप्रेरित आतंकवाद दुनिया को दीमक की तरह चाट रहा है। वो अमेरिकी राष्ट्रपति पद की कैंपेन के समय भी इस कट्टर इस्लामिक आतंकवाद पर करारे प्रहार कर रहे थे। वही ट्रंप अब भारत के साथ इस्लामिक आतंकवाद से लड़ने के लिए तैयार हैं। ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद को दुनिया से खत्म करने की बात कही है। दोनों नेता वाशिंगटन में मिले। दोनों की मुलाकात के नतीजों को सारा संसार देख रहा था। अमेरिका की तरह भारत भी आतंकवाद का मारा है। ऐसे में, दोनों नेताओं के बीच आतंकवाद और चरमपंथ पर बातचीत हुई है। क्षेत्रीय हालात पर भी दोनों में चर्चा हुई।
खत्म करेंगे आतंकवाद
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वे भारत के साथ मिलकर आतंकवाद को खत्म करेंगे। जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद जैसी चुनौती सबसे बड़ी प्राथमिकता है। हम मानव जाति की रक्षा के लिए इसे मिलकर खत्म करेंगे। संसार के दो बड़े और असरदार लोकतांत्रिक देशों के नेताओं में आतंकवाद के खात्मे को लेकर इस तरह की सहमति बनना विश्व बिरादरी के लिए अहम घटना है। जाहिर तौर पर दुनिया प्रसन्न होगी कि अब कट्टर इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ कायदे से लड़ाई लड़ी जाएगी। आतंकवाद से सारी मानव जाति त्राहि-त्राहि कर रही है। इसके बावजूद अभी तक इन खून के प्यासों से दुनिया के सभी महाशक्ति देश मिलकर ठीक ढंग से नहीं लड़ रहे।
तुष्टिकरण नामंजूर
ट्रंप सीधी बातें कहने में यकीन करते हैं। तुष्टिकरण उन्हें नामंजूर है। इसलिए ही वे अपने राष्ट्रपति पद की कैंपेन में आतंकवाद से इस्लाम के सम्बन्ध पर खुलकर बोले थे। वे खुलकर कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद से लड़ने का वादा कर रहे थे। इसी कारण उनकी अप्रत्याशित विजय से इस्लामिक संसार और तथाकथित सेकुलर बिरादरी, सब सन्न हो गए थे। डोनाल्ड ट्रंप बार-बार इस्लाम को लेकर विवादित बयान दे रहे थे। कैंपेन के दौरान उन्होंने इस्लाम को अमेरिका विरोधी बताते हुए मुसलमानों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने की मांग तक दोहराई थी। सीएनएन से बातचीत में उन्होंने कहा था कि उनकी लड़ाई कट्टरपंथी मुसलमानों से है।
ट्रंप आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के पनपने के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा और हिलेरी क्लिंटन को दोषी मान रहे थे। ट्रंप के उपर्युक्त बयानों पर उन्हें अमेरिका के एक बड़े वर्ग का समर्थन भी मिला था। वे इस बात से लगभग बेपरवाह थे कि ऐसे बयानों के चलते उनसे मुसलमान मतदाता दूर हो सकते हैं।
भारत कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद से लड़ रहा है। पर, अब इससे और बेहतर तरीके से लड़ा जा सकेगा, क्योंकि हमारे साथ अमेरिका भी होगा। आज चारों ओर ‘इस्लामिक स्टेट’ नामक क्रूर और खूँखार आतंकी संगठन के चर्चे हैं। कुछ वर्ष पहले जब तक ओसामा जीवित था, तब ‘अल-कायदा’ का डंका बजता था।
और, उससे भी पहले जब अफगानिस्तान में बुद्ध की प्रतिमा को उड़ाया गया था, तब ‘तालिबान’ का नाम चलता था। भारत-अमेरिका को आईएसआई को कुचलना होगा। हमारे अपने देश में बीच-बीच में खबरें आती रहती हैं कि कुछ मुसलमान युवक इस घनघोर आतंकी संगठन से जुड़ रहे हैं। हालांकि गृहमंत्री राजनाथ सिंह कह चुके हैं कि भारत में आईएसआईएस का खतरा नहीं है। परन्तु, हमें सजग तो रहना ही होगा।
इसमें कोई शक नहीं है कि ट्रंप को अपनी कैंपन में एंटी मुस्लिम बयानबाजी से भरपूर लाभ मिला था। वे अमेरिकी नागरिक जो कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद से प्रताड़ित हैं, वे ट्रंप के साथ खड़े थे। उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा ट्रंप को। सिर्फ आहवान करने से बात नहीं बनेगी। उन्हें इससे आगे बढ़ना होगा। उन्हें सऊदी अरब को भी कसना होगा। सऊदी अरब समूचे इस्लामिक आतंकवाद और कट्टरवाद को खाद-पानी देता है।
बहरहाल मोदी और ट्रंप की जुगलबंदी व बातचीत से निकले बिन्दुओं को देखने पर यह उम्मीद जगती है कि भारत और अमेरिका के संबंधों को मोदी-ओबामा के जरिये जो सकारात्मक दिशा मिली थी, ट्रंप उसे और आगे ले जाएंगे। आतंकवाद के खात्मे के साथ दोनों देश व्यापार और विकास की दिशा में भी परस्पर सहयोग बढ़ाने को लेकर काम करेंगे।
(लेखक यूएई दूतावास में सूचनाधिकारी रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)