पिछली बार जब यह सर्वे किया गया था तब मोदी की रेटिंग 66 फीसदी थी जो कि अब बढ़कर 70 प्रतिशत हो गई है। यानी मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ गत दो माह में भी तेजी से बढ़ा है। इसके साथ ही उनकी डिसअप्रूवल रेटिंग में 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, और यह सूची में सबसे निचले स्थान पर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता ने एक नई ऊँचाई प्राप्त की है। एक अंतरराष्ट्रीय रेटिंग में उन्होंने विश्व के कई दिग्गज नेताओं को पछाड़ते हुए शीर्ष स्थान पाया है। द मॉर्निंग कंसल्ट नामक अंतर्राष्ट्रीय डाटा इंटेलिजेंस कंपनी द्वारा किए गए इस वैश्विक सर्वे में लोकप्रियता के आधार पर नरेंद्र मोदी प्रथम स्थान पर हैं।
इस सर्वे में शामिल की जाने वाली शख्सियतों को प्रतिशत के आधार पर रेटिंग दी जाती है। इसमें मोदी को सर्वाधिक 70 प्रतिशत अंक दिए गए हैं। उन्होंने जिन बड़े नेताओं को पीछे किया उनमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन, इम्नुअल मैक्रों, स्कॉट मारिसन, एंजेला मार्केल, जस्टिन ट्रूडो जैसे चर्चित एवं दिग्गज राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं।
बाइडेन को 48 फीसदी तो जॉनसन को महज 41 फीसदी अंक मिले हैं। मोदी के बाद इस सूची में मैक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रे मैनुएल लोपेज ओब्रेडोर 64 प्रतिशत अंकों के साथ दूसरे क्रम पर हैं। इसके बाद इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी 63 फीसदी अंकों के साथ तीसरे क्रम पर हैं।
इस रेटिंग में बारे में यदि थोड़ा जान लिया जाए। इसे अप्रवूल रेटिंग कहा जाता है जो कि एक निश्चित समय पर की जाती है। पिछली बार जब यह सर्वे किया गया था तब मोदी की रेटिंग 66 फीसदी थी जो कि अब बढ़कर 70 प्रतिशत हो गई है। यानी मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ गत दो माह में भी तेजी से बढ़ा है। इसके साथ ही उनकी डिसअप्रूवल रेटिंग में 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, और यह सूची में सबसे निचले स्थान पर है।
अब यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि इस सर्वे में मोदी के शीर्ष पर होने के पीछे क्या कारण हैं ? उन्होंने ऐसा क्या किया है जो उनकी वैश्विक लोकप्रियता इस तरह से बढ़ रही है। थोड़ समझें कि रेटिंग के दिए गए अंकों को तैयार करने के लिए मॉर्निंग कंसल्ट ने भारत में 2 हजार से अधिक लोगों का ऑनलाइन साक्षात्कार किया था। इस साक्षात्कार में उनसे देश के प्रधानमंत्री के बारे में निसंकोच एवं निर्विवाद राय मांगी गई थी।
मॉर्निंग कंसल्ट ने इस सर्वे के लिए ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका में भी वहाँ के शीर्ष नेताओं के लिए राय ली है। इसके आधार पर मोदी को जो रेटिंग दी गई वह सर्वप्रथम निकली एवं उन्होंने सबको पीछे करते हुए शीर्ष मुकाम हासिल किया।
दरअसल इसके पीछे कोई संयोग नहीं है बल्कि मोदी की कड़ी मेहनत, दूरदर्शिता, कार्यशैली एवं कुशल प्रशासनिक कौशल सबका मिला जुला प्रभाव है। आज देश में जो विपक्षी नेता मोदी की बात-बेबात पर आलोचना करते नहीं थकते हैं और व्यर्थ ही उनके कामों में मीनमेख निकालते रहते हैं, उन्हें यह रेटिंग आईना दिखाने वाली है।
दरअसल नरेंद्र मोदी वो नेता हैं जो विरोध और आलोचना का जवाब देने की बजाय केवल अपना कार्य करने में विश्वास रखते हैं एवं कार्य से ही सबको जवाब मिल जाता है। मौजूदा परिदृश्य को देखा जाए तो देश में कोरोना महामारी को नियंत्रित करते हुए सरकार ने टीकाकरण अभियान में विराट सफलता पाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज भारत जिस प्रकार से कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर कीर्तिमान बना रहा है और महामारी से मुकाबला कर रहा है, आज वह पूरा विश्व बारीकी से देख रहा है।
चूंकि कोरोना संकट आजाद भारत की सबसे बड़ी विपदा रही है और पूरी दुनिया ही इसकी चपेट में है। जब भारत में कोरोना संकट ने पैर पसारना शुरू किया तब मोदी ने अपनी दूरदर्शिता के चलते इसकी आहट को सही समय पर भांप लिया था और देशव्यापी लॉकडाउन जैसा अहम फैसला लिया। इसके चलते उन्होंने देश में एक बड़ी आबादी को संक्रमण की चपेट में आने से बचा लिया। संक्रमण दर कम होने पर उन्होंने प्रतिबंधात्मक उपायों के साथ अनलॉक की शुरुआत की और अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाए। उनके कोरोना प्रबंधन की सराहना पूरे विश्व में हुई।
मोदी के परिश्रम एवं कौशल को विश्व बिरादरी सही दृष्टि से पहचान पा रही है और उसके अनुसार उनकी लोकप्रियता शीर्ष पर है, जबकि देश के अंदर विपक्षी केवल अंधविरोध में लगे हैं। केंद्र सरकार के हर अच्छे काम में गलतियां निकालने और उसका बेवजह मुद्दा बनाने वाले विपक्षी नेता तथा कुछ वामपंथी बुद्धिजीवी और पत्रकार मोदी सरकार के विरोध को ही अपना शगल बना चुके हैं।
यह बात अलग है कि इन लोगों के व्यर्थ प्रलाप को मोदी कभी गंभीरता से नहीं लेते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि देश की जनता उन पर आज भी अटूट विश्वास रखती है और यह विश्वास ही उनकी लोकप्रियता का आधार है। जनता के विश्वास के दम पर ही वे दो बार सत्ता में काबिज हुए और इसी के चलते आज विश्व के सभी नेताओं के बीच उनकी लोकप्रियता शीर्ष पर है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)