बिजली केंद्रित अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी बाधा है बिजली बिलों के भुगतान की स्वस्थ संस्कृति विकसित न होना। जिस देश में मुफ्त बिजली को वोट बैंक की राजनीति का जरिया बना दिया गया हो और चुनावों के दौरान मुफ्त बिजली का पासा फेंकने वाले नेताओं की कमी न हो वहां समय से बिजली बिलों का भुगतान आसान काम नहीं है। इसी को देखते हुए सरकार सूचना प्रौद्योगिकी तकनीक आधारित हस्तक्षेप के जरिए देश में बिजली क्रांति का आगाज करने में जुटी है। इस दिशा में अहम पड़ाव है प्रीपेड स्मार्ट मीटर।
आज बिजली के मामले में देश लगभग आत्मनिर्भर बन चुका है। यही कारण है कि चुनावों के दौरान बिजली आपूर्ति के नहीं मुफ्त बिजली के वायदे किए जाने लगे हैं। मोदी सरकार बिजली आपूर्ति को रोशनी, सिंचाई जैसे परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से आगे बढ़ाकर समूची अर्थव्यवस्था की धुरी बनाने की दिशा में काम कर रही है ताकि दुर्लभ विदेशी मुद्रा की बचत के साथ-साथ प्रदूषण में भी कमी आए।
इसके तहत गांव-गांव उद्योग-धंधे लगाने, रेलवे का शत प्रतिशत विद्युतीकरण, बिजली से चलने वाले कार, बाइक आदि के लिए देश भर में चार्जिंग प्वाइंट की स्थापना जैसे उपाय शामिल हैं। इतना ही नहीं अब तो ई कॉमर्स कंपनियां महंगे पेट्रोल-डीजल और प्रदूषण से छुटकारा पाने के लिए अपने समूचे डिलीवरी सिस्टम को विद्युतीकृत कर रही हैं।
बिजली केंद्रित अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी बाधा है बिजली बिलों के भुगतान की स्वस्थ संस्कृति विकसित न होना। जिस देश में मुफ्त बिजली को वोट बैंक की राजनीति का जरिया बना दिया गया हो और चुनावों के दौरान मुफ्त बिजली का पासा फेंकने वाले नेताओं की कमी न हो वहां समय से बिजली बिलों का भुगतान आसान काम नहीं है। इसी को देखते हुए सरकार सूचना प्रौद्योगिकी तकनीक आधारित हस्तक्षेप के जरिए देश में बिजली क्रांति का आगाज करने में जुटी है। इस दिशा में अहम पड़ाव है प्रीपेड स्मार्ट मीटर।
प्रीपेड स्मार्ट मीटर बिजली की खपत मापने का एक यंत्र है। अभी तक के मीटरों में बिजली बिल उपयोग के बाद देने होते हैं, इसमें पहले देने होंगे। प्रीपेड स्मार्ट मीटर ठीक उसी तरह से काम करता है जैसे प्रीपेड मोबाइल। मतलब जितने पैसों का रिचार्ज कराएंगे उतनी बिजली मिलेगी। इसमें एक ऐसा उपकरण लगा होता है जो मोबाइल टावर्स से बिजली कंपनियों में लगने वाले रिसीवर तक सिग्नल पहुंचाता है जिससे बिजली कंपनियां अपने कार्यालय से मीटर की रीडिंग और निगरानी कर सकती हैं।
प्रीपेड स्मार्ट मीटर से बिजली उपयोग के कई माह बाद तक बिल न चुकाने की मौजूदा परंपरा खत्म होगी। मीटर में लगे उपकरण से उपभोक्ता प्रतिदिन की ऊर्जा खपत देख पाएगा। कागजी बिल और गलत बिल से भी छुटकारा मिल जाएगा। इतना ही नहीं इससे वितरण ट्रांसमिशन नुकसान भी कम होगा।
बिजली मंत्रालय कृषि क्षेत्र को छोड़कर सभी जगह प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की योजना पर काम कर रहा है। ब्लॉक लेवल तक के सभी सरकारी कार्यालयों में दिसंबर 2023 तक प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगा दिए जाएंगे। इसके बाद धीरे-धीरे पूरे देश में 2025 तक प्रीपेड स्मार्ट मीटर लग जाएंगे। सरकार ने 2023 तक 10 करोड़ और 2025 तक 25 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए मोदी सरकार ने स्मार्ट मीटर नेशनल प्रोग्राम शुरू किया है।
अब तक देश भर में 40 लाख प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। ये मीटर बिजली चोरी रोकने में कामयाब रहे हैं। प्रीपेड स्मार्ट मीटर से न केवल बिजली बिलों की बेहतर वसूली होगी बल्कि खपत के आंकड़ों के सटीक विश्लेषण से कंपनियों की वित्तीय स्थिति भी सुधरेगी। इतना ही नहीं इससे पीक ऑवर और लीन ऑवर के लिए अलग-अलग रेट से वसूली संभव होगी।
हर चुनाव के समय मुफ्त बिजली का पासा फेंकने वाले भूल जाते हैं कि देश के हर घर को चौबीसों घंटे–सातों दिन रोशन करने में सबसे बड़ी बाधा मुफ्त बिजली की राजनीति है। उल्लेखनीय है कि आजादी के बाद से हर चुनाव में बिजली का मुद्दा उठाया जाता लेकिन चुनाव बीतते ही उसे भुला दिया जाता।
2005 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वादा किया था कि 2009 तक सभी गांवों तक बिजली पहुंचा दी जाएगी। उसी समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आगे बढ़कर कहा था कि 2009 तक देश के सभी घरों तक बिजली पहुंचा दी जाएगी लेकिन वादा पूरा नहीं हुआ।
2014 में जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला तो देश में 18000 गांव ऐसे थे जहां तक बिजली नहीं पहुंची थी। प्रधानमंत्री ने उन गांवों तक बिजली पहुंचाने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाया और तय समय पहले देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचा दी गई।
इसके बाद अगली चुनौती थी देश के उन चार करोड़ घरों को रोशन करने की जो अंधेरे में डूबे थे। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 2017 में सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) शुरू किया। अब मोदी सरकार देश की समूची अर्थव्यवस्था को बिजली केंद्रित बनाने बनाने में जुटी है। उम्मीद है कि सरकार इस लक्ष्य को भी अवश्य प्राप्त कर लेगी।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)