भारतीय संस्कृति में मानवता और वसुधैव कुटुम्बकम का दर्शन रहा है। इसी के साथ आत्म संयम व कर्तव्य पालन को भी महत्व दिया गया। मोदी के सन्देश में इन्हीं तत्वों का समावेश था। इस बीमारी के बारे में यह जगजाहिर हो गया है कि यह बीमार व्यक्ति के छूने से होती है। इतना ही नहीं, उसके द्वारा छुई गई वस्तुओं से भी संक्रमण हो जाता है। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति के इलाज के साथ ही भीड़भाड़ न करना, जहां तक संभव हो घर में ही रहना भी अपरिहार्य है। इसी सन्देश को फिलहाल दिनचर्या में उतारने के लिए मोदी ने बाइस मार्च को जनता कर्फ्यू की अपील की है।
कोरोना विश्वव्यापी संकट है। इससे प्रभावित देश अपने अपने तरीके से बचाव का प्रयास कर रहे हैं। अमेरिका सहित कई देशों ने स्वास्थ्य आपात काल लागू किया है। इधर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साथ तीन मोर्चो पर कार्य कर रहे हैं। उंन्होने विश्व समुदाय को साझा रणनीति बनाने का सुझाव दिया। यह वादा किया कि भारत इसमें अपनी भूमिका का निर्वाह करेगा। दूसरा उंन्होने सार्क देशों का केवल आह्वान ही नहीं किया, बल्कि इस संगठन के सबसे बड़े सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी के निर्वाह का जज्बा दिखाया। कहा कि भारत कोरोना से निपटने की तैयारी में सार्क के नेतृत्व हेतु भी तैयार है।
मोदी का तीसरा मोर्चा राष्ट्रीय स्तर पर है। उंन्होने दवाई,जांच आदि के प्रति सरकार की जिम्मेदारी को रेखांकित किया। सरकार इसके लिए सभी संभव प्रयास कर रही है। राज्य सरकारों के साथ भी सहयोग किया जा रहा है। इसके अलावा मोदी ने अभिभावक के रूप में भी राष्ट्र ने नाम सन्देश दिया है। विश्व के किसी भी शासक ने ऐसी भावपूर्ण अपील नहीं की है, लेकिन भारतीय संस्कृति में ऐसी चीजों का विशेष महत्व होता है।
भारतीय संस्कृति में मानवता और वसुधैव कुटुम्बकम का दर्शन रहा है। इसी के साथ आत्म संयम व कर्तव्य पालन को भी महत्व दिया गया। मोदी के सन्देश में इन्हीं तत्वों का समावेश था। इस बीमारी के बारे में यह जगजाहिर हो गया है कि यह बीमार व्यक्ति के छूने से होती है। इतना ही नही उसके द्वारा छुई गई वस्तुओं से भी संक्रमण हो जाता है। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति के इलाज के साथ ही भीड़भाड़ न करना, जहां तक संभव हो घर में ही रहना भी अपरिहार्य है। इसी सन्देश को फिलहाल दिनचर्या में उतारने के लिए मोदी ने बाइस मार्च को जनता कर्फ्यू की अपील की है।
मोदी ने कहा कि इस दिन आवश्यक सेवाओं वाले लोगों को छोड़कर किसी को भी घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए यथासंभव घरों के अंदर ही रहने से बचाव का तरीका है। मोदी ने कहा कि बाइस मार्च को हमारा आत्म संयम, देश हित में कर्तव्य पालन के संकल्प का एक मजबूत प्रतीक होगा। जनता के लिए जनता के द्वारा लगाया गया कर्फ्यू होगा।
इतना ही नहीं, मोदी चाहते है कि देश कारोना पीड़ितों का उपचार व सेवा करने वालों के प्रति भी आभार व्यक्त होना चाहिये। बाइस मार्च की शाम पांच बजे डॉक्टरों, चिकित्सा के पेशों में लगे लोगों,साफ सफाई में लगे कर्मचारियों को उनकी सेवा के लिए धन्यवाद देना चाहिए।
दरअसल अभी कोरोना वायरस से निपटने के लिए कोई सटीक उपाय नहीं मिला है। न ही कोई टीका विकसित हुआ है। अतः ऐसे सभी निश्चित रूप से धन्यवाद के पात्र हैं जो जोखिम उठाकर आवश्यक कामों में लगे हैं और इस महामारी से लड़ने में मदद कर रहे हैं। रविवार को पांच बजे से अपने घर के दरवाजे पर,,बालकनी में या खिड़कियों के सामने खड़े होकर पांच मिनट तक ताली-थाली बजा कर उन लोगों के प्रति कृतज्ञता जताने का आग्रह मोदी ने किया है।
मोदी के इस आग्रह के प्रति सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों ने जिस प्रकार से समर्थन जताया है और इसका पालन करने का संकल्प लिया है, वो दिखाता है कि मोदी के वक्तव्य का जनमानस के बीच गहरा प्रभाव पड़ा है। शायद लोग इस प्रकार के संबोधन की ही अपेक्षा कर रहे थे, जिससे उन्हें हिम्मत और मार्गदर्शन मिले।
इसके पहले मोदी ने दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन सार्क देशों के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग संवाद किया। मोदी का यह प्रयास इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह बीमारी चीन से फैली है। ऐसे में दक्षिण एशिया के देशो को विशेष सतर्कता बरतनी होगी। इसी में सबकी भलाई है। ये बात अलग है कि पाकिस्तान जैसे देश इस समय भी कश्मीर का राग अलाप रहे है। पाकिस्तान को ऐसे सद्भावना के प्रयास पसंद भी नहीं आते। जबकि सार्क के अन्य सदस्य देशों ने मोदी के प्रयासों का समर्थन किया है। ये देश सहयोग के लिए तैयार हैं।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मोदी जी के प्रस्ताव का स्वागत किया। कहा कि नेपाल सार्क सदस्य देशों के साथ मिलकर इस घातक संक्रमण से लड़ने के लिए काम करने को तैयार है।
भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना आदि ने भी ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में साझा प्रयासों से इस बीमारी का मुकाबला किया जा सकता है। मोदी ने सार्क सदस्यों को बताया था कि प्रशासन और जनता भी इससे निपटने के लिए अपनी ओर से भरपूर प्रयास कर रही है। सार्क सदस्यों को मजबूत रणनीति बनानी चाहिए।
स्पष्ट है कि इस महामारी को लेकर प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार सूझबूझ और तत्परता के साथ काम कर रही है। देशवासियों को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए, संयम और समझदारी के साथ सरकार का सहयोग करना चाहिए। मिलजुलकर के ही इस संकट से लड़ा और जीता जा सकता है।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)