मोदी सरकार के ब्याज पर प्रभारित ब्याज की राशि को माफ़ करने और मोरेटोरियम अवधि को बढ़ाने के फैसले से कोरोना महामारी से प्रभावित ऋणियों को तत्काल राहत मिलेगी, क्योंकि नौकरी छूटने और कारोबार के बंद होने की वजह से बहुत से आमलोग एवं कारोबारी क़िस्त एवं ब्याज का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं। एक अनुमान के अनुसार आगामी 12 से 24 महीनों में कारोबारियों के हालात बेहतर हो सकते हैं। जाहिर है, संकटकाल के समाप्त होने के बाद अधिकांश ऋणी क़िस्त एवं ब्याज चुकाने में समर्थ होंगे। लेकिन तबतक के लिए ये सरकार की तरफ से बड़ी राहत है।
भौतिकवादी संस्कृति में बिना ऋण लिये विविध जरूरतों को पूरा करना मुमकिन नहीं है। ऐसे लोगों की संख्या न्यून है, जो बैंक से कर्ज नहीं लेते हैं। कार, घर एवं अन्य जरुरत के सामानों को खरीदने के लिये बैंक से ऋण लेना मौजूदा समय में आम बात है।
कोरोना महामारी के इस समय में ऋणधारकों को राहत देने के लिये सरकार के निर्देश पर बैंकों ने 1 मार्च से 31 अगस्त तक के लिये मोरेटोरियम की सुविधा दी थी अर्थात ऋण के क़िस्त एवं ब्याज को 31 अगस्त तक के लिये टाल दिया था, लेकिन मोरेटोरियम अवधि समाप्त होने के बाद ऋणी चूककर्ता बनने की स्थिति में आ गये हैं।
बैंक भी गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) में भारी-भरकम बढ़ोतरी होने की आशंका से सहमे हुए हैं। सर्वोच्च अदालत के निर्देश पर केंद्र सरकार ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिये 10 सितंबर को महर्षि समिति का गठन किया था। सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई में कहा कि कोरोना महामारी के कारण ऋण नहीं चुकाने वाले कर्जदारों को चूककर्ता नहीं घोषित किया जायेगा। अदालत ने यह भी कहा कि ऋण की मोरेटोरियम अवधि को 24 महीने के लिये और बढाया जाये या ऋण खातों का पुनर्गठन किया जाये, ताकि ऋणियों को आर्थिक मार से सँभलने के लिये वक्त मिल सके।
इसी आलोक में सरकार ने कहा है कि मोरेटोरियम के जद में आने वाले खातों को 3 नवंबर तक एनपीए नहीं घोषित किया जायेगा। साथ ही, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों को खुदरा ऋण खातों के पुनर्गठन करने या मोरेटोरियम की सुविधा देने के लिये 15 सितंबर 2020 तक की समय-सीमा दी थी, ताकि जल्द से जल्द ऋणियों को राहत मिल सके। मामले में सर्वोच्च अदालत 28 सितंबर को फिर से सुनवाई करने वाली थी, लेकिन अब यह सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।
इधर, केंद्र सरकार ने शिक्षा ऋण, गृह ऋण, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं पर दिये गये ऋण, ऑटो ऋण, पेशेवर ऋण आदि एवं एमएसएमई को बड़ी राहत दी है। सरकार ने सर्वोच्च अदालत में हलफनामा दाखिल करके कहा है कि वह मोरेटोरियम अवधि के 6 महीनों के ब्याज पर प्रभारित ब्याज को माफ़ कर देगी।
इस ब्याज माफी का लाभ दो करोड़ रूपये तक के ऋण पर मिलेगा। इसके अलावा जिन लोगों ने मार्च से अगस्त तक के बकाया का भुगतान कर दिया है, उन्हें भी ब्याज पर प्रभारित ब्याज की माफी का लाभ मिलेगा।
एक अनुमान के अनुसार सभी ऋण खातों पर लगे ब्याज पर प्रभारित ब्याज को माफ़ करने से बैंकों पर 6 लाख करोड़ रूपये का बोझ पड़ सकता है। चूँकि, इससे बैंकों के कुल नेटवर्थ में बड़ी कमी आने का अनुमान है। इसलिये, सिर्फ 2 करोड़ या इससे कम वाले ऋण के ब्याज पर ब्याज की माफी का फैसला लिया गया है।
गौरतलब है कि किसी प्राकृतिक या अन्य आपदा की वजह से जब ऋणियों की वित्तीय स्थिति खस्ताहाल हो जाती है, तो बैंकों द्वारा भुगतान करने के लिये कुछ समय की मोहलत दी जाती है या फिर उनके ऋण खातों का पुनर्गठन किया जाता है।
मोरेटोरियम की सुविधा खुदरा ऋण लेने वाले ऋणियों को दी जा रही है, जबकि पुनर्गठन (रिस्ट्रक्चरिंग) की सुविधा सूक्ष्म, लघु और मझौले कारोबारियों एवं कोर्पोरेट्स के साथ-साथ खुदरा ऋण लेने वाले ग्राहकों को भी दी जायेगी।
खुदरा ऋण के तहत उपभोक्ता ऋण, शिक्षा ऋण, गृह ऋण, शेयर के बदले लिये गये ऋण, उपभोक्ता उपयोग हेतु खरीदे गये उत्पादों हेतु लिये गये ऋण, क्रेडिट कार्ड ऋण, ऑटो ऋण (कमर्शियल वाहन हेतु लिये गये ऋण को छोड़कर), ज्वैलरी ऋण, मियादी जमा के बदले लिये गये ऋण, पर्सनल ऋण, पेशेवर ऋण आदि ऋण खातों का पुनर्गठन किया जायेगा। इसके तहत किस्तों की राशि को कम करने के लिये भुगतान अवधि बढाई जायेगी या फिर प्रभारित ब्याज को ऋण में तब्दील किया जायेगा।
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के निर्देशानुसार खुदरा ऋण लेने वाले ऋणियों को मोरेटोरियम या पुनर्गठन की सुविधा देने के लिये भारतीय स्टेट बैंक ने सबसे पहले ग्राहक पोर्टल https://bank.sbi/ या https://sbi.co.in की शुरुआत की है, जिसकी मदद से वे अपने ऋण खाते को पुनर्गठन या फिर 1 से 24 महीनों तक के लिये मोरेटोरियम की सुविधा लेने के संबंध में बैंक में आवेदन कर सकते हैं।
पोर्टल के जरिये आय का विवरण एवं ऋण खाते के संबंध में वांछित सूचना उपलब्ध कराकर ऋणी पुनर्गठन या मोरेटोरियम की पात्रता के संबंध में जानकारी हासिल कर सकते हैं। पोर्टल शुरू होने के पहले दिन 3500 से ज्यादा ऋणियों ने इस पोर्टल पर विजिट किया, जिनमें से 111 ऋणियों के खाते को पुनर्गठन के योग्य पाया गया। उल्लेखनीय है कि जो ऋणी पुनर्गठन का विकल्प चुनेंगे, उन्हें सामान्य ग्राहकों के मुकाबले 0.35 प्रतिशत अधिक ब्याज चुकाना होगा। इस विकल्प को चुनने की अंतिम तारीख 24 दिसंबर 2020 रखी गई है।
इस सुविधा का लाभ वैसे ऋणी ले सकते हैं, जिनके वेतन में कटौती की गई है और उन्हें फरवरी की तुलना में अगस्त महीने में कम वेतन मिला है या फिर नौकरी चली गई है या फिर कारोबार बंद हो गया है। अन्य शर्तों में पुनर्गठन या मोरटोरियम का विकल्प चुनने की तारीख में ऋण खाता स्टैंडर्ड होना चाहिए यानी ग्राहक का खाता पहले से एनपीए नहीं होना चाहिए एवं ग्राहक का कोरोना महामारी से किसी न किसी रूप में प्रभावित होना जरुरी है आदि।
ऋणी भारतीय स्टेट बैंक की वेबसाइट पर जाकर इस सुविधा को प्राप्त करने के लिये आवेदन कर सकते हैं। हालाँकि, ग्राहक बैंक शाखा जाकर भी इस प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं। दस्तावेज के तौर पर ग्राहक को फरवरी और चालू महीने की वेतन पर्ची देनी होगी। ऋणी को 24 महीने की मोरेटोरियम अवधि खत्म होने के बाद की एक अनुमानित आय या सैलरी की भी जानकारी बैंक को देनी होगी।
नौकरी से निकाले जाने का प्रमाणपत्र, बैंक के उस खाते का स्टेटमेंट, जिसमें सैलरी आती है या फिर कारोबार करने की स्थिति में चालू खाते का स्टेटमेंट देना होगा। ऋणी को घोषणापत्र में यह भी बताना होगा कि कोरोना महामारी के कारण उसकी आर्थिक स्थिति ख़राब हुई है।
इस सुविधा को पाने के लिये उम्र की कोई शर्त नहीं रखी गई है। अगर ऋणी के 1 से ज्यादा ऋण खाते हैं तो वह सभी ऋण खातों में यह सुविधा पाने के लिये आवेदन कर सकता है। इसके लिये बैंक ग्राहक से प्रोसेसिंग शुल्क नहीं लेगा।
इस प्रक्रिया को पूरी करने के लिये बैंक शाखा अमूमन 7 से 10 दिनों (अवकाश को छोड़कर) का समय लेगी। मोरेटोरियम अवधि में ग्राहक को क़िस्त एवं ब्याज नहीं देनी होगी। हालाँकि, ऋण खाते में ब्याज हर महीने प्रभारित होता रहेगा। नई मोरेटोरियम अवधि पहले वाले मोरेटोरियम अवधि से अलग होगी। दोनों को जोड़ा नहीं जायेगा।
कहा जा सकता कि मोदी सरकार के ब्याज पर प्रभारित ब्याज की राशि को माफ़ करने और मोरेटोरियम अवधि को बढ़ाने के फैसले से कोरोना महामारी से प्रभावित ऋणियों को तत्काल राहत मिलेगी, क्योंकि नौकरी छूटने और कारोबार के बंद होने की वजह से बहुत से आमलोग एवं कारोबारी क़िस्त एवं ब्याज का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं।
एक अनुमान के अनुसार आगामी 12 से 24 महीनों में कारोबारियों के हालात बेहतर हो सकते हैं। जाहिर है, संकटकाल के समाप्त होने के बाद अधिकांश ऋणी क़िस्त एवं ब्याज चुकाने में समर्थ होंगे। लेकिन तबतक के लिए ये सरकार की तरफ से बड़ी राहत है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)