जब पूरा विश्व घोर निराशा के गर्त में डूबा हुआ हुआ था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान करके देश को एक नयी दिशा दिखाई। प्रधानमंत्री मोदी इस आह्वान से विश्व को सन्देश देने में कामयाब रहे कि अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो राष्ट्र विषम परिस्थितियों में भी प्रगति कर सकता है। प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 20 लाख करोड़ का पैकेज घोषित किया, उसका परिणाम यह हुआ कि महीनों उद्योग और व्यापार ठप्प रहने के बाद भी देश उतरोत्तर प्रगति करता रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के आठ वर्ष पूरे हो गये हैं। इन आठ वर्षों में देश ने उन तमाम उपलब्धियों को हासिल कर लिया है जो आठ साल पहले कल्पना लगती थीं। इस कालखंड में जो नए भारत के निमार्ण की यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गयी थी, अब उसका परिणाम दिखने लगा है। नया भारत अर्थात आत्मनिर्भर भारत, सशक्त भारत और समर्थ भारत जिसकी नींव प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निरंतर आठ सालों से मजबूत की जा रही है।
ऐसा नहीं कि इस यात्रा में सब कुछ सामान्य रहा। मोदी सरकार के द्वितीय कार्यकाल के पहले वर्ष में ही कोरोना महामारी जैसी वैश्विक आपदा आई जो कि सरकार और देश के लिए अग्नि परीक्षा थी। जहाँ दुनिया के अनेक साधन सम्पन्न और सशक्त देशों ने इस महामारी के आगे घुटने टेक दिए वहीं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल कार्यशैली और मजबूत नेतृत्व ने देश को इस महामारी से भी निकाला।
इस बात को लेकर कोई दो राय नहीं है कि कोरोना ने दुनिया के कई देशों की अर्थव्यस्था चौपट कर दी और कई देश आज भी इससे उबरने के लिए संघर्षरत हैं। लेकिन भारत पूरी दुनिया में एकलौता देश है जिसने एक हाथ से अपने प्रगति और विकास के रास्ते में आने वाले कोरोना रूपी काँटों को साफ किया तो दूसरे हाथ से देश की अर्थव्यवस्था को गति दिया। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के नकारात्मक प्रभावों से बहुत अधिक प्रभावित नहीं हो पायी।
जब पूरा विश्व घोर निराशा के गर्त में डूबा हुआ हुआ था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान करके देश को एक नयी दिशा दिखाई। प्रधानमंत्री मोदी इस आह्वान से विश्व को सन्देश देने में कामयाब रहे कि अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो राष्ट्र विषम परिस्थितियों में भी प्रगति कर सकता है। प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 20 लाख करोड़ का पैकेज घोषित किया, उसका परिणाम यह हुआ कि महीनों उद्योग और व्यापार ठप्प रहने के बाद भी देश उतरोत्तर प्रगति करता रहा।
आज भारत विश्व की छठी अर्थव्यवस्था बन गया है। “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” सूचकांक के अनुसार 2015 में भारत जहाँ 142 वें स्थान पर था वहीं 2022 में 63 वें स्थान पर आ गया है। आज भारत दुनिया भर के निवेशकों के लिए पसंदीदा स्थान बनकर उभर रहा है, दुनिया भर के निवेशकों को आकर्षित कर रहा है।
देश को सशक्त बनाने का कार्य नरेंद्र मोदी ने 2014 में ही प्रारम्भ कर दिया था। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद यह महसूस किया कि देश के गरीबों का उन्नयन जब तक नहीं होगा तब तक देश की प्रगति की कल्पना करना बेमानी है, इसलिए समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भारतीय अर्थव्यवस्था से जोड़ने की पहल करते हुए देश के करोड़ों गरीबों का बैंक खाता खुलवाकर इसका शुभारम्भ किया, जिसका परिणाम यह हुआ था कि जो 70 सालों तक बैंक का अर्थ नहीं जनता था वो भी अब देश की अर्थव्यवस्था में अपना अंशदान करने लगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मूल मंत्र ‘सबका साथ सबका विकास’ के माध्यम से विकास के सर्वसमावेशी मॉडल को लेकर आगे बढ़ रहें हैं, इस मंत्र में ही देश के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति का विकास निहित है। वर्षों से चूल्हे और धुंए के जाल में जकड़ी करोड़ों माताओं-बहनों के हृदय की पीड़ा को समझकर उज्ज्वला योजना को लागू कर उन्हें भय, भूख और बीमारी से निकालने का काम किया।
आयुष्मान भारत योजना से देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को पंख लगे और गरीबों के लिए असम्भव सा लगने वाला इलाज अब आसान और सुलभ हो गया, मुद्रा योजना से लाखों बेरोजगार युवाओं के सपनो को पंख लग गए। और किसान सम्मान निधि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का वो क्रांतिकारी कदम था जो देश के लाखों लघु और मध्यम किसानो को वास्तव में सम्मान दिलाने का काम किया। पूर्ववर्ती सरकारों में किसान को हर समय छोटी-छोटी कृषि आवश्यकताओं हेतु धन के लिए साहूकारों के चक्कर काटने पड़ते थे और इसका परिणाम ये होता था कि वो हर समय कर्ज में डूबे रहते थे, लेकिन किसान सम्मान निधि से किसानों के सपनों को नया मुकाम मिला।
स्वच्छ भारत अभियान से देश खुले में शौच से मुक्त हुआ। जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से देश के हर वर्ग का उत्थान हुआ और अर्थ व्यवस्था को गति मिली। देश की आन्तरिक और बाह्य सुरक्षा दोनों समान रूप से मजबूत हुई। आतंकवाद के प्रति सख्त नीति का ही परिणाम है कि विगत आठ साल से देश में एक भी आतंकवादी घटना नहीं हुई। जहाँ पूर्ववर्ती सरकारों के दौर में निंदा और भर्त्सना के माध्यम से प्रतिकार किया जाता रहा, वहींउसके ठीक विपरीत प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के जरिये विश्व को यह सन्देश देने में सफल रहे कि देश की संप्रभुता और अखंडता के साथ किसी भी सूरत में कोई समझौता नहीं होगा और यह एक सशक्त नेतृत्व के कारण ही संभव हो पाया है।
आज सेना सभी प्रकार के अत्याधुनिक हथियारों से लैस है, एक वो दौर भी था जब सरकारें यह रोना रोती थी कि सेना को हथियार और असलहा देने के लिए सरकार के पास पर्याप्त धन नहीं है। इसका परिणाम यह होता था कि सेना चाह कर भी किसी मिशन को अंजाम नहीं दे पाती थी। आज सेना के पास राफेल जैसा उच्च स्तरीय और आधुनिक लड़ाकू विमान है तो एस-400 जैसी मिसाइल रक्षा प्रणाली देश को मज़बूत बना रही है।
कांग्रेस सरकार के समय रक्षा सामग्री को लेकर देश हमेशा दूसरे देशों पर निर्भर रहता था उसके ठीक विपरीत आज भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ है अपितु राजग सरकार के कार्यकाल में 10000 करोड़ की रक्षा सामग्री का निर्यात हुआ है और 2025 तक इसे 35000 करोड़ तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह इसलिए हुआ कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा को राष्ट्रहित का विषय बनाया।
नोटबंदी के समय में भी प्रधान सेवक पर देश का भरोसा, गैस सब्सिडी को छोड़ने के आह्वान पर करोड़ों लोगों द्वारा गैस सब्सिडी को छोड़ना, लाकडाउन में भी देश की जनता का प्रधान सेवक के साथ कदमताल करना यह एक जन कल्याण कारी नेतृत्व का परिचायक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति देश की जनता के लगाव और स्नेह को देखकर हिंदी के प्रख्यात कवि और साहित्यकार स्व. श्री सोहनलाल द्विवेदी की एक पंक्ति याद आती है –
चल पड़े जिधर दो डग-मग में
चल पड़े कोटि पग उसी ओर
पड़ गयी जिधर भी एक दृष्टी
गड़ गए कोटि दृग उसी ओर
(लेखक श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध अधिष्ठान में रिसर्च एसोसिएट हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)