मोदी सरकार जवान और किसान दोनों को प्राथमिकता देते हुए आत्मनिर्भर भारत की राह पर बढ़ रही है। इसमें किसानों की आय दोगुनी करना और भारत को रक्षा सामग्री का निर्यातक बनाने का मंसूबा शामिल रहा है। सरकार की पहलों में सकारात्मक संभावना नजर आती है, उम्मीद है कि भविष्य में इसके बेहतर परिणाम भी सामने आएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू से ही लाल बहादुर शास्त्री जी के ‘जय जवान जय किसान’ के नारे को चरितार्थ करने का संकल्प लिया हुआ है। इसमें किसानों की आय दोगुनी करना और भारत को रक्षा सामग्री का निर्यातक बनाने का मंसूबा शामिल रहा है। यूपीए सरकार के समय इन दोनों ही क्षेत्रों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था। किसानों को पर्याप्त खाद उपलब्ध नहीं होती थी, उपज के भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं थी, लाखों करोड़ रुपये की सिंचाई परियोजनाएं लम्बित थीं।
इसी प्रकार सामरिक क्षेत्र भी उपेक्षित था। रक्षा कमांडरों ने कमियों की ओर ध्यान भी आकृष्ट किया था। उनके अनुसार चीन व पाकिस्तान की तैयारियों के दृष्टिगत भारत को भी कदम उठाने की जरूरत थी। लेकिन यूपीए सरकार लापरवाह बनी रही।
परन्तु, नरेंद्र मोदी सरकार ने जवान और किसान दोनों ही मोर्चों को संभाला। पिछले कार्यकाल की शुरुआत में ही नीम कोटिंग खाद की व्यवस्था की गई। इसका उत्पादन बढ़ाया गया। इससे किसानों को आसानी से खाद उपलब्ध होने लगी। मृदा परीक्षण व ड्रिप सिंचाई अभियान चलाया गया। इससे कृषि लागत में कमी आई।
अनेक लम्बित सिंचाई योजनाओं पर कार्य शुरु किया गया। कई योजनाएं पूरी हुई। किसानों को अबतक का सर्वाधिक समर्थन मूल्य प्रदान किया गया। किसान सम्मान निधि के माध्यम से उनको आर्थिक सहायता देने की योजना लागू की गई। फसल बीमा को व्यवहारिक बनाया गया।
विकास की दौड़ में गांव पीछे रह गए थे। गांव में उद्योग नहीं लगाए जाते थे, किसानों के लिए अपनी उपज बेचने की उचित व्यवस्था नहीं थी। लेकिन अब आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किसान और उनसे जुड़े इन सारे सवालों के जवाब ढूंढे जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने खेती के लिए एक लाख करोड़ का फंड जारी किया जिससे गांवों में रोजगार के अवसर तैयार किए जाएंगे। सरकार एक देश-एक मंडी की योजना पर काम कर रही है। कानून बनाकर किसान को मंडी टैक्स के दायरे से मुक्त कर दिया गया है।
अब किसान खेत में ही उपज का सौदा कर सकता है या वेयरहाउस से जुड़े व्यापारियों को दे सकता है, जो भी उसे ज्यादा कीमत दे। किसान अब उद्योगों से भी सीधी साझेदारी कर सकती है। ऐसी सभी योजनाओं का निर्माण छोटे किसानों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।
देश की पहली किसान रेल महाराष्ट्र-बिहार के बीच शुरू हो चुकी है जो महाराष्ट्र से संतरा,फल, प्याज लेकर बिहार आएगी और वहां से लीची, मखाने, सब्जियां लेकर लौटेगी। इससे महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। यह ट्रेन वातानुकूलित है। इसमें फसल खराब नहीं होगी। यूँ कह सकते है कि यह पटरी पर दौड़ता हुआ कोल्ड स्टोरेज है। इस ट्रेन से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के किसानों को भी फायदा होगा।
एक लाख करोड़ रुपए के एग्री इंफ्रा फंड का इस्तेमाल गांवों में कृषि क्षेत्र से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में किया जाएगा। इस फंड से कोल्ड स्टोर, वेयरहाउस, साइलो, ग्रेडिंग और पैकेजिंग यूनिट्स लगाने के लिए लोन दिया जाएगा। एग्री इंफ्रा फंड कोविड से निपटने के लिए घोषित किए गए बीस लाख करोड़ रुपए के पैकेज का हिस्सा है।
इस फंड को जारी करने का उद्देश्य गांवों में निजी निवेश और नौकरियों को बढ़ावा देना है। यह लोन प्राइमरी एग्री क्रेडिट सोसायटी, किसानों के समूह, किसान उत्पाद संगठनों, एग्री एंटरप्रिन्योर स्टार्टअप्स और एग्रीटेक प्लेयर्स को दिया जाएगा। इतना ही नहीं, वार्षिक ब्याज में तीन प्रतिशत छूट भी दी जाएगी।
इसके अलावा जवानों को मजबूती देने के लिए भी अनेक प्रमुख व अपरिहार्य कदम उठाए गए हैं। तत्काल आवश्यकता वाले कई रक्षा सौदे पूरे किए गए। राफेल विमान भी भारत आ गए हैं। रूस से भी हथियार मिल रहे हैं। इसके साथ ही अब भारत को रक्षा उत्पादों का हब बनाने की दिशा में भी ठोस रूप में कार्य आरम्भ किया जा चुका है।
इसी क्रम में बीते दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की कि भारत 101 रक्षा उपकरणों का 2024 तक आयात नहीं करेगा, बल्कि इन्हें देश में ही बनाया जाएगा। रक्षा क्षेत्र में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह योजना बनाई गई है।
इन उपकरणों में हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, मालवाहक विमान, पारंपरिक पनडुब्बियां और क्रूज मिसाइल शामिल हैं। रक्षा मंत्री ने ट्विटर पर इसकी घोषणा करते हुए अनुमान लगाया कि इन निर्णय से अगले पांच से सात साल में घरेलू रक्षा उद्योग को करीब चार लाख करोड़ रुपये के ठेके मिलेंगे।
यह निर्णय भारतीय रक्षा उद्योग को खुद के डिजाइन और विकास क्षमताओं का उपयोग करके या फिर डीआरडीओ द्वारा विकसित तकनीकों को अपनाकर सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हथियारों के निर्माण का एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा।
स्पष्ट है कि मोदी सरकार जवान और किसान दोनों को प्राथमिकता देते हुए आत्मनिर्भर भारत की राह पर बढ़ रही है। सरकार की पहलों में संभावना नजर आती है, उम्मीद है कि इसके बेहतर परिणाम भी सामने आएंगे।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)