लोकसभा चुनाव के दौरान ही नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया था कि सरकार बनने के बाद काला धन रखने वालों को बख्शा नहीं जायेगा, जैसे ही सरकार का गठन हुआ मोदी सरकार ने काला धन के मालिकों पर कार्रवाई शुरू कर दी जिसका असर अब व्यापक रूप से देखने को मिल रहा है। मोदी सरकार ने काले धन को लेकर देश की जनता को आश्वस्त किया था कि इस पर वह कड़े कदम उठाएगी और साथ ही दोषियों पर भी उचित कार्रवाई करेगी। मोदी सरकार को सत्ता में आये दो वर्ष से अधिक समय हो चुका है, तब यह जरूरी हो जाता है कि सरकार के कथनी और करनी का मूल्यांकन किया जाए। अगर हम सरकार के कालेधन पर उठाए गए क़दमों का मूल्यांकन करें तो परिणाम बेहद सकारात्मक देखने को मिलेंगे।
गौर करें तो निश्चित रूप से सरकार ने इस पर कुछ बड़े और महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। मिशाल के तौर पर सरकार ने कालेधन पर सक्रियता दिखाते हुए कैबिनेट की पहली बैठक में ही सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कालेधन के लिए जस्टिस एम।बी। शाह की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया। मोदी सरकार कितनी गंभीर है इस मसले पर इसका अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट के बार–बार कहने के बावजूद उस समय की यूपीए सरकार ने कमेटी गठित करने की जहमत नहीं उठाई। दूसरी तरफ मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार ने अपनी पहली कबिनेट बैठक में ही न्यायलय के इस निर्देश का अनुपालन करते हुए काले धन पर एसआईटी का गठन किया।
मोदी सरकार की भ्रष्टाचार और काला धन निरोधी नीतियों का ही ये असर है कि स्विस बैंक में भारतीयों के धन में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गयी। स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारतीयों के स्विस अकाउंट बैलेंस में एक तिहाई की रिकॉर्ड कमी आई है। स्विस खातों में भारतीयों का धन 1.2 बिलियन फ्रांक (8,392 करोड़) रह गया है। गौरतलब है कि 1997 के बाद से जब से स्विस बैंक ने यह आंकड़े सार्वजनिक करने शुरू किये तब से लेकर अबतक यह भारतीयों के धन में आई सबसे बड़ी गिरावट है। जाहिर है, यह सभी आंकड़े काले धन की रोकथाम इ प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और कार्यशैली को दर्शाते हैं, जिससे आगे और भी सुखद परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
गौरतलब है कि कालेधन का मुद्दा हमेशा ही ख़बरों में बना रहता है और विपक्ष भी इस पर सरकार की आलोचना करने को हमेशा तत्पर रहता है। ज्ञात हो कि कुछ सालों पहले तक हमारे देश के तमाम क्षेत्रों में काले धन का भीषण प्रवाह जारी था। लेकिन अब स्थिति इसके ठीक विपरीत है। मोदी सरकार ने काले धन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं, जिनसे घरेलू और विदेश स्तर पर काले धन में कमी आई है। केंद्र सरकार ने स्विस अकाउंट की जानकारी इकठ्ठा करने के लिए स्विट्ज़रलैंड सरकार के साथ ऑटोमैटिक इनफार्मेशन एक्सचेंज का समझौता किया। इसके अलावा सरकार विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के लिए सख्त जुर्माने के प्रावधानों वाला ‘द ब्लैक मनी एंड इम्पोजिशन ऑफ़ टैक्स एक्ट, 2015’ लेकर आई। साथ ही, केंद्र सरकार ने 2 लाख से ऊपर की खरीदी पर पैन कार्ड को भी अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा मोदी सरकार द्वारा 1 जून, 2016 को शुरू की गयी इनकम डिक्लेरेशन स्कीम (आईडीएस), जिसकी अंतिम तिथि 30 सितम्बर, 2016 थी, भी कारगर साबित होती दिख रही है। इस अघोषित आय खुलासे की योजना से अबतक सरकार को 65, 250 करोड़ रूपए मिले हैं और सरकार को इससे 30 हज़ार करोड़ रूपए टैक्स के रूप में मिलेंगे। इस योजना के तहत आय का खुलासा करने पर 45 प्रतिशत टैक्स देना होगा, जिसमें 30 प्रतिशत इनकम टैक्स, 7।5 प्रतिशत पेनल्टी और 7।5 प्रतिशत कृषि कल्याण टैक्स शामिल है।
अगर मोदी सरकार के कालेधन पर प्रतिबद्धता को आंकने का प्रयत्न करें तो यह आंकड़े काफी हद तक स्थिति को स्पष्ट कर देते हैं। मोदी सरकार ने पिछले दो वर्षों में 50,000 करोड़ रूपए की कर चोरी पकड़ी, इस ५६ हजार करोड़ से अलग 21,000 करोड़ रूपए की अघोषित आय का खुलासा किया, 3,963 करोड़ रूपए का तस्करी का सामान जब्त किया और 1,466 मामलों में क़ानूनी कार्रवाई शुरू की।
मोदी सरकार की इन सभी भ्रष्टाचार और काला धन निरोधी नीतियों का ही ये असर है कि स्विस बैंक में भारतीयों के धन में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गयी। स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारतीयों के स्विस अकाउंट में एक तिहाई की रिकॉर्ड कमी आई है। स्विस खातों में भारतीयों का धन 1.2 बिलियन फ्रांक (8,392करोड़) रह गया है। गौरतलब है कि 1997 के बाद से जब से स्विस बैंक ने यह आंकड़े सार्वजनिक करने शुरू किये तब से लेकर अबतक यह भारतीयों के धन में आई सबसे बड़ी गिरावट है। जाहिर है कि यह सभी आंकड़े सरकार की प्रतिबद्धता और कार्यशैली को दर्शाते हैं, जिससे आगे और भी सुखद परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इन सबके बावजूद भी मोदी के अंधविरोध में डूबे हुए लोगों को यह कार्रवाई मामूली सी लगती है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि काले धन को लेकर इनकी आँखों पर पूर्वाग्रह की काली पट्टी लगी हुई है, इस पट्टी को हठाये बगैर कालेधन के मसले पर सरकार कितनी गंभीरता व चतुराई से काम कर रही है, यह समझना मुश्किल है। हमें इस सच को स्वीकारना होगा कि मोदी सरकार ने देश को काले धन को लेकर जो भरोसा दिया था, उस पर वह पूरी तरह से खरी उतर रही है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)