भारतीय जनता पार्टी के राम मंदिर अभियान को कमजोर करने के लिए वामपंथी-कांग्रेसी सोच के बुद्धिजीवी, पत्रकार, कलाकार, नेता राम मंदिर की जगह अस्पताल बनाने का सुझाव देते रहे हैं। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने न सिर्फ भगवान राम के भव्य मंदिर का मार्ग प्रशस्त किया बल्कि स्वास्थ्य रक्षा के क्षेत्र में भी अनूठे कीर्तिमान स्थापित कर रही है।
मंदिर नहीं अस्पताल की मुहिम चलाने वाले वामपंथी-कांग्रेसी सोच वालों के लिए देशभर, विशेषकर पिछड़े व दूरदराज इलाकों, में एम्स की स्थापना संबंधी आंकड़ें किसी सदमें से कम नही होंगे। कांग्रेस के 57 साल लंबे शासनकाल में एम्स, दिल्ली की भांति मात्र छह एम्स खुले। भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर, ऋषिकेश।
सबसे बढ़कर कांग्रेसी सरकारों ने एम्स की स्थापना में जनता की जरूरतों के बजाए राजनीतिक हानि-लाभ को प्राथमिकता दिया। दूसरे, कांग्रेसी सरकारों ने चुनावों को ध्यान में रखकर नए एम्स बनाने की घोषणा तो कर दी लेकिन उन्हें पूरा कराना भूल गईं। इसका परिणाम यह हुआ कि नई दिल्ली स्थित एम्स पर रोगियों की भीड़ बढ़ती ही गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए न सिर्फ कांग्रेसी काल में घोषित हुए नए एम्स के निर्माण कार्य को तेजी से पूरा कराया बल्कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत बिना राजनीतिक लाभ-हानि देखे पूरे देश में नए एम्स बनवाने की घोषणा की।
जिनका विवरण विवरण इस प्रकार है- रायबरेली (उत्तर प्रदेश), मंगलागिरी (आंध्र प्रदेश), नागपुर( महाराष्ट्र), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), भटिंडा (पंजाब), कल्याणी (पश्चिम बंगाल), गुवाहाटी (असम), बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश), मदुराई (तमिलनाडु), विजयपुर और अवंतीपुरा (जम्मू व कश्मीर), देवघर (झारखंड), राजकोट (गुजरात), बीबीनगर (तेलंगाना), मनेठी (हरियाणा), चांदसारी (असम), दरभंगा (बिहार)। इनमें से आठ एम्स 2021 तक पूरे हो जाएंगे जबकि बाकी एम्स में 2023 से रोगियों का उपचार किया जाने लगेगा।
गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए देश भर में एम्स की स्थापना के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों के मुफ्त इलाज आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरू किया है। 2018 में शुरू हुई इस योजना के तहत हर परिवार को पांच लाख रूपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा कवर मिलता है।
इसके तहत अस्पताल में इलाज और भर्ती होने के खर्च का भुगतान पॉलिसी से किया जाता है। योजना के तहत लाभार्थियों को ई-कार्ड दिया जाता है। यह सरकार द्वारा प्रायोजित दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना है। अब तक इस योजना के तहत 10 करोड़ गरीब व जरूरतमंद परिवारों और 50 करोड़ लोगों को जोड़ा जा चुका है। यह संख्या अमेरिका, मेक्सिको और कनाडा की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है।
कोरोना संकट और चीन की कुटिल नीतियों को देखते हुए मोदी सरकार दवाओं में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक तत्वों (एपीआई) और अन्य महत्वपूर्ण सामग्रियों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने पर काम कर रही है।
उल्लेखनीय है कि एपीआई और दूसरी प्रमुख सामग्रियों के लिए चीन पर 65 से 70 प्रतिशत तक निर्भरता है। इतने बड़े पैमाने पर किसी एक देश पर निर्भरता को किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता। इसी को देखते हुए मोदी सरकार एपीआई उत्पादन के लिए देश भर में क्लस्टर स्थापित कर रही है।
समग्रत: मोदी सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में नए-नए कीर्तिमान स्थापित करने के साथ-साथ आम आदमी तक जीवन की मूलभूत सुविधाएं उनके आसपास उपलब्ध करा रही है। इसी का नतीजा है कि एक ओर मोदी और भाजपा के समर्थन में बढ़ोत्तरी हो रही है तो दूसरी ओर वामपंथी-कांग्रेसी और जातिवादी पार्टियों के जन समर्थन में लगातार कमी आ रही है।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)