पिछले चार वर्षों में बिजली की स्थापित क्षमता में एक लाख मेगावाट की बढ़ोत्तरी हुई है। इसी का नतीजा है कि मांग और आपूर्ति में 4.2 फीसदी का अंतर घटकर महज 0.7 फीसदी रह गया। इतना ही नहीं, देश पहली बार बिजली का निर्यातक भी बना। सबसे उल्लेखनीय प्रगति नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हुई है। पिछले चार वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता 34000 से बढ़कर 72000 मेगावाट तक पहुंच गई। उत्पादन के साथ-साथ सरकार दक्षता बढ़ाकर खपत में भी कमी कर रही है। स्पष्ट है, सातों दिन-चौबीसों घंटे बिजली मुहैया कराने का लक्ष्य नजदीक है।
जिस देश में योजनाओं की लेट-लतीफी का रिकॉर्ड रहा हो वहां निर्धारित समय से पहले योजना पूरी हो जाए तो इसे चमत्कार ही कहा जाएगा। पंद्रह अगस्त, 2015 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हजार दिनों के भीतर देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा था। राजनीतिक इच्छाशक्ति और नौकरशाही की चुस्ती के कारण यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य 988 दिन में ही पूरा हो गया अर्थात तय समय से 12 दिन पहले।
इस उपलब्धि के साथ ही यह चुनौती भी सामने आई कि विद्युतीकृत गांवों में एक बड़ी संख्या में ऐसे घरों की रही जो अंधेरे में डूबे हैं। ऐसे घरों की तादाद लाख दो लाख न होकर साढ़े चार करोड़ है। इसे देखते हुए हर घर को रोशन करने का भारी-भरकम लक्ष्य, हर गांव तक बिजली पहुंचाने के लक्ष्य से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है।
इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर, 2017 को प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) की शुरूआत किया। बिजली सुविधा से वंचित साढ़े चार करोड़ घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री ने मार्च, 2019 का समय तय किया था, लेकिन विद्युत मंत्रालय इस लक्ष्य को 31 दिसंबर 2018 तक ही हासिल करने में जुटा है। सौभाग्य योजना के तहत ग्रामीण इलाकों के बिजली विहीन सभी परिवारों को और शहरी इलाकों के गरीब परिवारों को नि:शुल्क बिजली कनेक्शन मुहैया कराया जा रहा है।
जो गांव परंपरागत ग्रिड सिस्टम से नहीं जुड़े हैं, वहां सोलर फोटो वोल्टाइक सिस्टम बांटे जा रहे हैं जिससे पांच एलईडी बल्ब और एक पंखा चलाया जा सके। इस योजना के तहत विशेष कैंप लगाकर बिजली के कनेक्शन बांटे जा रहे हैं। 19 नवंबर, 2018 तक 2 करोड़ घरों में बिजली पहुंचा दी गई है। मौजूदा समय में हर रोज एक लाख दस हजार घरों को बिजली का कनेक्शन दिया जा रहा है।
“वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक-2018” के मुतबिक वर्ष 2017 में दुनिया में 12 करोड़ लोगों को पहली बार बिजली सुविधा मिली। यह अब तक की रिकॉर्ड संख्या है। इसका नतीजा यह हुआ कि बिजली से वंचित लोगों की तादाद 2018 में घटकर एक अरब से नीचे पहुंच गई। दुनिया ने यह उपलब्धि पहली बार हासिल की है और इसमें एक बड़ा योगदान भारत का रहा जहां देश के सभी गांवों तक रिकॉर्ड समय में बिजली पहुंचाई गई। इस साल के आखिर तक जब भारत के बिजली विहीन करोड़ों घरों को रोशन कर दिया जाएगा तब बिजली से वंचित लोगों की तादाद में और अधिक कमी दर्ज की जाएगी।
मोदी सरकार बिजली की खपत और आर्थिक विकास के अंतर्संबधों से अच्छी तरह परिचित है। गौरतलब है कि जहां बिजली की खपत ज्यादा है, वहां गरीबी आखिरी सांसे गिन रही है। दूसरी ओर जो इलाके बिजली खपत में पीछे हैं, वहां गरीबी-बेकारी का घटाटोप अंधियारा छाया हुआ है।
उदाहरण के लिए जहां भारत में सालाना प्रति व्यक्ति बिजली खपत 1122 किलोवाट घंटा है, वहीं चीन में यह 4475 किलोवाट घंटा है। विश्व औसत की बात करें तो यह आंकड़ा 2674 किलोवाट घंटा है। स्पष्ट है, मोदी सरकार बिजली खपत को आर्थिक विकास का इंजन मान कर चल रही है। फिर बिजली की कमी होने पर मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसे अभियान भी ठीक ढंग से चल नहीं सकेंगे।
हर घर तक बिजली पहुंचाने के बाद मोदी सरकार का अगला लक्ष्य देश के सभी घरों को सातों दिन-चौबीसों घंटे रोशन करने का है। इसके साथ ही सरकार 2030 तक प्रति व्यक्ति सालाना बिजली खपत को मौजूदा 1122 से बढ़ाकर 4000 किलोवाट घंटा करने का लक्ष्य रखा है। ये महत्वाकांक्षी लक्ष्य तभी पूरा होंगे जब बिजली उत्पादन में भरपूर बढ़ोत्तरी हो और बिजली वितरण तंत्र को आधुनिक बनाया जाए। मोदी सरकार इस दिशा में भी काम कर रही है।
पिछले चार वर्षों में बिजली की स्थापित क्षमता में एक लाख मेगावाट की बढ़ोत्तरी हुई है। इसी का नतीजा है कि मांग और आपूर्ति में 4.2 फीसदी का अंतर घटकर महज 0.7 फीसदी रह गया। इतना ही नहीं, देश पहली बार बिजली का निर्यातक भी बना। सबसे उल्लेखनीय प्रगति नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हुई है। पिछले चार वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता 34000 से बढ़कर 72000 मेगावाट तक पहुंच गई। उत्पादन के साथ-साथ सरकार दक्षता बढ़ाकर खपत में भी कमी कर रही है। स्पष्ट है, सातों दिन-चौबीसों घंटे बिजली मुहैया कराने का लक्ष्य नजदीक है।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)