मोदी सरकार स्वस्थ भारत के दूरगामी उपाय करने के साथ-साथ सस्ते इलाज की तात्कालिक व्यवस्था भी कर रही है। प्रधानमंत्री डायलसीस कार्यक्रम के अंतर्गत गरीब लोगों को सहायता दी जा रही है। इसी तरह जन औषधि केंद्रों के जरिए सस्ती दवाएं मुहैया कराई जा रही हैं। हृदय रोगियों के लिए स्टेंट की कीमत 85 प्रतिशत तक कम हो गई है। इसी तरह घुटना प्रत्यारोपण की कीमत में 50 से 70 प्रतिशत तक की गिरावट आ चुकी है। सभी को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सरकार हर तीन लोक सभा सीट पर एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जा रही है।
आजादी के बाद से गरीबी मिटाने की सैकड़ों योजनाएं बनी लेकिन गरीबी कम होने के बजाए बढ़ती चली गई। इस दौरान गरीबी मिटाने का ख्वाब दिखाने वाले नेताओं और इन योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में लगे भ्रष्ट अधिकारियों-ठेकेदारों की कोठियां जरूर खड़ी हो गईं। भ्रष्टाचार के अलावा गरीबी मिटाने वाली योजनाओं की सबसे बढ़ी खामी यह रही कि इसमें गरीबी पैदा करने वाले कारकों को दूर करने का प्रयास नहीं किया गया। गरीबी पैदा करने वाले कारणों में महंगा इलाज पहले स्थान पर है। खुद सरकारी आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल साढ़े छह करोड़ लोग महंगे इलाज के कारण गरीबी के बाड़े में धकेल दिए जाते हैं।
इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार दूर करने के साथ–साथ गरीबी मिटाने के दीर्घकालिक उपायों पर भी काम करना शुरू किया। बीमारी फैलाने में सबसे बड़ा योगदान स्वच्छता की कमी का रहता है। इसी को देखते हुए 1 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत अभियान शुरू किया गया। इसके जरिए स्वच्छता को जनांदोलन बनाया गया। इस अभियान के तहत करोड़ों शौचालयों का निर्माण हुआ जिससे खुले में शौच जाने वालों की संख्या में कमी आई। लोगों के व्यक्तिगत व सामूहिक स्तर पर स्वच्छता अभियान से जुड़ने से गंदगी से होने वाली बीमारियों में कमी आई।
स्वच्छता की तरह टीकाकरण का भी बीमारी रोकने में बड़ा योगदान रहता है। इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन इंद्रधुनष योजना शुरू की। इसके तहत दो वर्ष के आयु के प्रत्येक बच्चों और उन गर्भवती माताओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया जो टीकाकरण कार्यक्रमों के अंतर्गत यह सुविधा नहीं पा सकी हैं। मिशन इंद्रधनुष के तहत 2020 तक पूर्ण टीकारण का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना को शानदार कामयाबी मिली है।
योजना शुरू होने के चार वर्ष के भीतर 3.15 करोड़ों से ज्यादा बच्चों और 80.63 लाख गर्भवती महिलाओं को रोकी जा सकने वाली बीमारियों से बचाव के टीके लगाए जा चुके हैं। इसका नतीजा नवजात शिशुओं की मौत में कमी के रूप में सामने आया। उदाहरण के लिए 2016 में 867000 नवजात शिशुओं की मौत हुई थी जो कि 2017 में घटकर 802000 ही रह गई।
मिशन इंद्रधनुष से भारत सरकार को देश के यूनिवर्सल इम्युनाजेशन प्रोग्राम(यूआईपी) को मजबूत करने में सहायता मिली है। यह अब 12 वैक्सीन्स को कवर करता है। इनमें जापानी एनसेफ्लाइटिस, रोटा वायरस, पीसीवी और मिजिज्स रूबेला से बचाव के टीके शामिल हैं।
इसके साथ-साथ सरकार ने राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरूआत की है। इसका उद्देश्य बच्चों और माताओं को सही पोषण देना है। बच्चों को स्वस्थ रखने के उद्देश्य के साथ ही इस मिशन के अंतर्गत आवश्यक पोषण और प्रशिक्षण विशेषकर माताओं की ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है। प्रत्येक गांव में आशा कार्यकर्ता की उपलब्धता ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा को मजबूती प्रदान कर रही है।
सरकार स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ा रही है। अभी सकल घरेलू उत्पाद की 1.15 प्रतिशत राशि स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च हो रही है। सरकार ने 2025 तक इस अनुपात को बढ़ाकर 2.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। इससे स्वास्थ्य क्षेत्र में तय किए लक्ष्य हासिल करने में सफलता मिलेगी।
गौरतलब है कि जहां संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, वहीं भारत ने अपने इस लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके लिए टीबी मुक्त भारत अभियान शुरू किया गया है। इसी तरह 2016 में सरकार ने नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलीमिनेशन 2016-2030 जारी किया है। पूर्वोत्तर भारत में लक्ष्य हासिल करने के बाद अब महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों पर जोर है।
मोदी सरकार स्वस्थ भारत के दूरगामी उपाय करने के साथ-साथ सस्ते इलाज की तात्कालिक व्यवस्था भी कर रही है। प्रधानमंत्री डायलसीस कार्यक्रम के अंतर्गत गरीब लोगों को सहायता दी जा रही है।इसी तरह जन औषधि केंद्रों के जरिए सस्ती दवाएं मुहैया कराई जा रही हैं। हृदय रोगियों के लिए स्टेंट की कीमत 85 प्रतिशत तक कम हो गई है। इसी तरह घुटना प्रत्यारोपण की कीमत में 50 से 70 प्रतिशत तक की गिरावट आ चुकी है। सभी को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सरकार हर तीन लोक सभा सीट पर एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जा रही है।
इसके साथ-साथ मेडिकल पीजी में सीटों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी की गई है। स्वास्थ्य क्षेत्र में क्षेत्रीय असंतुलन कम करने के लिए प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत समूचे देश में 22 नए एम्स खोले जा रहे हैं। मोदी सरकार ने इसी तरह के दर्जनों उपाय किए हैं।
यहां पचास करोड़ों लोगों को चिकित्सा सुविधा देने वाली आयुष्मान भारत योजना (प्रधानमंत्री जन अरोग्य योजना) का उल्लेख प्रासंगिक है। इसके तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को सालाना पांच लाख रूपये का स्वास्थ्य बीमा मिल रहा है। योजना के शुरूआती 100 दिनों में ही सात लाख से अधिक लोगों का इलाज किया गया है। गरीबों को महंगे इलाज से मुक्ति दिलाने वाली इस योजना की दुनिया भर में प्रशंसा हो रही है। समग्रत: मोदी सरकार सस्ते इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ बीमारियों की जड़ पर हमला कर रही है ताकि स्वस्थ भारत के निर्माण का ख्वाब हकीकत में बदले।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)