सहकारी संस्थाएं पारदर्शी तरीके से काम करें और हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके इसके लिए सरकार 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों का कंप्यूटरीकरण कर रही है। इन समितियों से 13 करोड़ किसान जुड़े हैं जिनमें से अधिकांशत: लघु व सीमांत किसान हैं। अगले पांच वर्षों में इन समितियों की संख्या बढ़ाकर 3 लाख करने का लक्ष्य मोदी सरकार ने रखा है।
सहकारिता को जन-जन तक पहुंचाने के क्रम में मोदी सरकार प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को 2000 जन औषधि केंद्र खोलने की अनुमति देने के साथ-साथ सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना शुरू कर रही है। पैक्स के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जन औषधि केंद्र खुलने से न केवल पैक्स से जुड़े लोगों की आय बढ़ेगी बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वालों को कम कीमत पर दवाइयां मिल जाएंगी।
इनमें से 1000 जन औषधि केंद्र इस साल अगस्त तक और 1000 दिसंबर तक खोले जाएंगे। उल्लेखनीय है कि अभी तक 9400 से अधिक जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। इनमें 1800 प्रकार की दवाइयां और 285 अन्य चिकित्सा उपकरण उपलब्ध हैं। ब्रांडेड दवाइयों की तुलना में जन औषधि केंद्रों पर दवाइयां 50-90 प्रतिशत तक सस्ती हैं।
भारत में खेती–किसानी की एक विडंबना यह रही कि यहां जितना जोर उत्पादन पर दिया गया उतना जोर उपज के भंडारण-विपणन-प्रसंस्करण पर नहीं। यही कारण है कि न केवल बड़े पैमाने पर अनाज की बर्बादी होती है बल्कि किसानों को उनकी उपज की वाजिब कीमत भी नहीं मिल पाती है। इस कमी को दूर करने के लिए मोदी सरकार सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना शुरू कर रही है।
एक लाख करोड़ रुपये की इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, फसलों के नुकसान को कम करने के साथ-साथ फसलों की खरीद-बिक्री का विकेंद्रित तंत्र स्थापित करना है। उल्लेखनीय है कि अब तक देश की अनाज भंडारण व्यवस्था चुनिंदा फसलों व क्षेत्रों तक ही सिमटी है। उदाहरण के लिए पंजाब में भारतीय खाद्य निगम द्वारा संचालित गोदामों की संख्या 611 है, तो ओडिशा में इनकी संख्या 46 और पश्चिम बंगाल में मात्र 30 है। इसी तरह भंडारण व्यवस्था गेहूं-धान तक सिमटी है।
नई भंडारण योजना के जरिए अगले पांच वर्षों में 7 करोड़ टन अतिरिक्त भंडारण क्षमता का निर्माण होगा। वर्तमान समय में देश की अन्न भंडारण क्षमता 14.5 करोड़ टन है। इस योजना के क्रियान्वयन के बाद देश की कुल भंडारण क्षमता 21.5 करोड़ टन हो जाएगी।
यह सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना है। इस योजना के तहत प्रत्येक ब्लॉक में 2000 टन क्षमता का गोदान स्थापित किया जाएगा और इसके लिए प्रत्येक पैक्स को वित्तीय सहायता दी जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि इन गोदामों में केवल गेहूं-धान ही नहीं मोटे अनाज व दलहनी-तिलहनी उपज भी भंडारित की जाएंगी।
पैक्स केवल गोदाम निर्माण नहीं करेगी बल्कि भारतीय खाद्य निगम व राज्य एजेंसियों के लिए खरीद का काम भी करेंगी। दरअसल मोदी सरकार पैक्स को बहुउद्देश्यीय बना रही है ताकि वह न केवल उचित दर की दुकान के रूप में कार्य करे बल्कि प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करे जिसमें कृषि उपज की जांच, छंटाई, ग्रेडिंग आदि का कार्य शामिल है।
मोदी सरकार खेती-किसानी को गेहूं-धान जैसी चुनिंदा फसलों से बाहर निकालकर बहुफसली बनाना चाहती है। स्थानीय स्तर पर विकेंद्रित खरीद से खाद्यान्न की बर्बादी रुकेगी और देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। किसान बहुत कम मूल्य पर उपज की आकस्मिक बिक्री नहीं करेगा। किसान अपनी उपज का भंडारण पैक्स द्वारा प्रबंधित गोदाम में कर सकेगें और अपनी इच्छा अनुसार समय पर बेच सकेंगे।
इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि खरीद केंद्रों से गोदाम तक और उसके बाद गोदाम से उचित दर की दुकानों तक खाद्यान्नों को ले जाने वाले भारी-भरकम खर्च में काफी कमी आएगी। उल्लेखनीय है कि मौजूदा व्यवस्था में धान खरीदकर पंजाब ले जाया जाता है और उसके बाद धान से चावल निकालकर उसकी आपूर्ति बिहार को की जाती है। इसी तरह सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरित होने वाले अनाज लंबी दूरी तय करते हैं जिससे न केवल ढुलाई लागत बढ़ती है बल्कि अनाज की बर्बादी भी होती है।
सहकारी संस्थाएं पारदर्शी तरीके से काम करें और हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके इसके लिए सरकार 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों का कंप्यूटरीकरण कर रही है। इन समितियों से 13 करोड़ किसान जुड़े हैं जिनमें से अधिकांशत: लघु व सीमांत किसान हैं। अगले पांच वर्षों में इन समितियों की संख्या बढ़ाकर 3 लाख करने का लक्ष्य मोदी सरकार ने रखा है।
इससे हर दूसरे गांव में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) की पहुंच हो जाएगी। सहकारिता मंत्रालय पैक्स से संबंधित उप नियम तैयार कर रहा है ताकि पैक्स की व्यावहारिकता बढ़े और वे जीवंत आर्थिक संस्था बनें। इसके तहत 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियां चिन्हित की गई हैं। समग्रत: जिस सहकारी क्षेत्र को भ्रष्ट व जातिवादी-परिवारवादी नेताओं ने अपनी राजनीति चमकाने का जरिया बना लिया था, उस सहकारिता क्षेत्र को मोदी सरकार पुराना गौरव दिला रही है।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)