देश में उच्‍च शिक्षा को बढ़ावा देने में कामयाब हो रही मोदी सरकार

इसे विडंबना ही कहेंगे कि देश में हर साल उच्‍च शिक्षा पर खर्च होने वाले बजट से दो गुनी धनराशि भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई पर खर्च कर देते हैं लेकिन इसके बावजूद कांग्रेसी सरकारों ने देश में उच्‍च शिक्षा को बढ़ावा देने का गंभीर प्रयास नहीं किया। अब यह कार्य मोदी सरकार कर रही है। इसी का नतीजा है कि पिछले सात वर्षों में देश में प्रतिदिन दो कॉलेज और प्रति सप्‍ताह एक विश्‍वविद्यालय खुले।

भ्रष्‍टाचार में लिप्‍त और वोट बैंक की राजनीति करने वाली कांग्रेसी सरकारों ने देश के बहुआयामी विकास की ओर कभी ध्‍यान ही नहीं दिया। यही कारण है कि 70 साल से अधूरे पड़े कामों को मोदी सरकार पूरा कर रही है। सरकार हर गांव तक बिजली, पानी, सड़क, रसोई गैस जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने के साथ-साथ उन क्षेत्रों में भी काम कर रही है जो अभी तक अछूते रहे हैं। इनमें एक प्रमुख क्षेत्र है देश में उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों को बढ़ावा देना।

कांग्रेसी सरकारों ने देश में बढ़ती मांग के अनुरूप उच्‍च शिक्षा का ढांचा नहीं बनाया इसका नतीजा यह निकला कि बड़ी संख्‍या में भारतीय छात्र उच्‍च शिक्षा के लिए विदेश जाने लगे। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार हर साल छह लाख भारतीय छात्र उच्‍च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं। इनमें से आधे छात्र अमेरिका, 15 पतिशत आस्‍ट्रेलिया, सात प्रतिशत कनाडा, छह प्रतिशत ब्रिटेन और बाकी अन्‍य देशों में जाते हैं।

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार ये छात्र हर साल पढ़ाई पर 72,000 करोड़ रूपये खर्च करते हैं जो देश में उच्‍च शिक्षा पर खर्च होने वाले बजट का दो गुना है। इससे हर साल बड़ी मात्रा में दुर्लभ विदेशी मुद्रा चली जाती है। इसके अलावा जो छात्र पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैा उनमें से अधिकतर उसी देश के होकर रह जाते हैं।

इससे देश को आर्थिक के साथ-साथ प्रतिभा का भी नुकसान उठाना पड़ता है। इसी को रोकने के लिए मोदी सरकार देश में उच्‍च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तमाम जरूरी कदम उठा रही है ताकि न केवल भारी-भरकम विदेशी मुद्रा बचे बल्‍कि भारतीय प्रतिभाएं देश के विकास में अपना योगदान करें।

पिछले सात वर्षों में मोदी  सरकार ने हर सप्‍ताह औसतन एक विश्‍वविद्यालय खोला है। 2013-14 में जहां कुल 723 विश्‍वविद्यालय थे वहीं वर्ष 2019-20 में इनकी संख्‍या 1043 हो गई है। इस दौरान देश में 320 नए विश्‍वविद्यालय खोले गए। इस दौरान विश्‍वविद्यालय ही नहीं कॉलेजों के खोलने की रफ्तार भी बहुत तेजी रही। रिपोर्ट के अनुसार इन सात सालों में देश में हर दिन दो कॉलेज खोले गए।

वर्ष 2013-14 में देश में कॉलेजों की कुल संख्‍या 36,634 थी जबकि 2019-20 में कॉलेजों की संख्‍या बढ़कर 42,343 हो गई । इसका परिणाम यह हुआ कि देश में उच्‍च शिक्षा की नामांकन दर भी बढ़ी। वर्ष 2013-14 में में जहां 3.45 करोड़ नामांकन हुए वहीं वर्ष 2019-20 में यह संख्‍या बढ़कर 3.85 करोड़ हो गई।

विश्‍वविद्यालयों, कॉलेजों की भांति मोदी सरकार ने प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्‍थानों में भी बढ़ोत्‍तरी की है। वर्ष 2014 में देश में 16 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (आइआइटी) थे वहीं अब इनकी संख्‍या 23 हो गई है। इस दौरान भारतीय प्रबंधन संस्‍थानों (आइआइएम) की संख्‍या भी बढ़कर 13 से 20 हो गई।

सरकार देश में उच्‍च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नौ शहरों में उच्‍च शिक्षा के केंद्र बना रही है ताकि यहां विदेशी छात्र भारतीय संस्‍थानों की ओर आकर्षित हों। इसके लिए सभी विश्‍विविद्यालयों और उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों में विदेशी छात्रों की सहायता के लिए काउंटर खोले गए हैं। इसके साथ ही इंटरनेट मीडिया और दूसरे माध्‍यमों से दुनिया के करील 30 देशों में ब्रांडिंग भी कराई जा रही है। स्पष्ट है कि मोदी सरकार देश को उच्‍च शिक्षा की धुरी बनाने में जुटी है और अच्छी बात ये है कि वह इसमें सफल भी हो रही है।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)