सरकार महिलाओं के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान के लिए अनेक योजनाएं चला रही है। किन्तु बहुधा महिलाओं को इनके बारे में जानकारी नहीं हो पाती, ऐसे में तमाम महिलाएं इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पा पाती हैं। सरकार का प्रयास है कि महिलाएं इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाएं। इसीलिए महिलाओं को इस बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने ‘नारी’ नामक एक पोर्टल भी बनवाया है। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने 2 जनवरी, 2017 को नई दिल्ली में इसका शुभारंभ किया था।
आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज न कराई हो। महिलाएं समाज की प्रथम इकाई परिवार का आधार स्तंभ है। एक महिला सशक्त होती है, तो वह दो परिवारों को सशक्त बनाती है। प्राचीन काल में भी महिलाएं शक्ति का उदाहरण थीं। वे ज्ञान का भंडार थीं। किन्तु, एक समय ऐसा आया कि महिलाओं को घर की चारदीवारी तक सीमित कर दिया गया। किन्तु, ये समय भी अधिक समय तक नहीं टिका। एक बार फिर से महिलाएं घर की चौखट से बाहर आने लगी हैं। आज महिलाएं सभी क्षेत्रों में अपना परचम लहरा रही हैं। शिक्षा हो या खेलकूद, अंतरिक्ष हो या प्रशासनिक सेवा, व्यवसाय हो या राजनीति, वे हर क्षेत्र में अपनी कुशलता और योग्यता सिद्ध कर रही हैं। यहाँ तक कि भारतीय सेना में भी वे मजबूती से अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही हैं।
दरअसल महिला सशक्तिकरण के बिना देश व समाज का विकास अधूरा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार महिला सशक्तिकरण को लेकर प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि नारी सशक्तिकरण के बिना मानवता का विकास अधूरा है। आज मुद्दा महिलाओं के विकास का नहीं, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास का है। यह जरूरी है कि हम स्वयं को और अपनी शक्तियों को समझें। जब कई कार्य एक समय पर करने की बात आती है तो महिलाओं को कोई नहीं पछाड़ सकता। यह उनकी शक्ति है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए।
हमें अपनी बेटियों पर समान रूप से गर्व होना चाहिए। हमें समाज में ही नहीं, बल्कि परिवार के भीतर भी महिलाओं और पुरुषों के बीच भेदभाव को रोकना होगा। महिलाओं को खुद से जुड़े फैसले लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। सही मायने में हम तभी नारी सशक्तीकरण को सार्थक कर सकते हैं। नारी सशक्तिकरण में आर्थिक स्वतंत्रता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चाहे वो शोध से जुड़ी गतिविधियां हों या फिर शिक्षा क्षेत्र, महिलाएं काफी अच्छा काम कर रही हैं। कृषि के क्षेत्र में भी महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।
सरकार महिलाओं के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान के लिए अनेक योजनाएं चला रही है। किन्तु बहुधा महिलाओं को इनके बारे में जानकारी नहीं हो पाती, ऐसे में तमाम महिलाएं इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पा पाती हैं। सरकार का प्रयास है कि महिलाएं इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाएं। इसीलिए महिलाओं को इस बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने ‘नारी’ नामक एक पोर्टल भी बनवाया है। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने 2 जनवरी, 2017 को नई दिल्ली में इसका शुभारंभ किया था।
इस पोर्टल को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने विकसित किया है। इस पोर्टल में केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की पूरी जानकारी दी गई है। इस पोर्टल में महिलाओं के कल्याण के लिए 350 सरकारी योजनाओं से संबंधित तथा अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे महिलाओं को लाभ होगा। सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है। विकट परिस्थितियों में महिलाओं की सहायता के लिए 168 जिलों में वन स्टॉप सेंटर उपलब्ध हैं। संकट के समय महिलाएं इन केन्दों में जाकर अपने लिए सहायता की माघ कर सकती हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पंजीयन में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है।
सरकार कन्या भ्रूण हत्या रोकने और महिला शिक्षा के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना चला रही है। यह अभियान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय के समन्वित प्रयासों से चलाया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं। कामकाजी महिलाओं के लिए नया मातृत्व लाभ संशोधित अधिनियम 1 अप्रैल, 2017 से लागू कर दिया है। इसके अंतर्गत कामकाजी महिलाओं के लिए वैतनिक मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दी गई है।
साथ ही 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले संस्थान में एक निश्चित दूरी पर क्रेच सुविधा उपलब्ध कराना भी अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि महिलाएं अपने छोटे बच्चों को वहां छोड़ सकें। महिलाओं को मातृत्व अवकाश के समय घर से भी काम करने की छूट दी गई है। मातृत्व लाभ कार्यक्रम 1 जनवरी, 2017 से लागू है। इसके अंतर्गत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्म के लिए तीन किस्तों में 6000 रुपये की नकद प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाती है।
सरकार गरीब परिवारों की महिलाओं को चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाने और स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना चला रही है। इसके अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं को एलपीजी गैस कनेक्शन और चूल्हा निशुल्क प्रदान किया जाता है। सरकार, सुकन्या समृद्धि योजना के माध्यम से बालिकाओं के भविष्य को सुरक्षित करने का कार्य भी कर रही है। इस योजना के अंतर्गत जन्म से लेकर 10 साल तक की कन्याओं के खाते डाकघर में खोले जाते हैं। इन खातों में जमा राशि पर 8.1 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज देने का प्रावधान है। बेटियों की शिक्षा और समृद्धि की यह योजना अभिभावकों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है।
इतना ही नहीं, सरकार ने स्टैंड-अप इंडिया के अंतर्गत अपना व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए एक महिला को 10 लाख से लेकर 1 करोड़ रूपये तक का ऋण उपलब्ध कराने का नियम भी बनाया है। हर बैंक शाखा को महिलाओं को ऋण देना होगा। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत महिलाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए 11 लाख से अधिक महिलाओं को अलग-अलग तरह के कौशल में प्रशिक्षित किया गया है। सरकार महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए भी कार्य कर रही है।
कार्य स्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की घटनाएं रोकने के लिए ई-प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया गया है। इस ई-प्लेटफॉर्म की सुविधा के माध्यम से केंद्र सरकार की महिला कर्मचारी ऐसे मामलों में ऑनलाइन ही शिकायत दर्ज करा सकेंगी। सरकार द्वारा चलाई जा रही ये योजनाएं और अन्य प्रयास महिला सशक्तीकरण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। ये सब बातें महिला सशक्तिकरण के सम्बन्ध में इस सरकार की प्रतिबद्धता को ही दिखाती हैं।
(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)