नरेंद्र मोदी सरकार ने व्यापारिक सुगमता की दृष्टि से अनेक कारगर कदम उठाए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। इसमें कुछ फैसले तात्कालिक रूप में लोक लुभावन नहीं थे, लेकिन सरकार ने साहस का परिचय देते हुए उन्हें न केवल लिया बल्कि लागू भी किया। इन कदमों को बहुत पहले ही लागू होना चाहिए था। लेकिन पिछली सरकार ने यह साहस नहीं दिखाया था। मोदी सरकार के इन क़दमों के सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगे हैं। व्यापार सुगमता में भारत की रैंकिंग में जबरदस्त उछाल इसका सबसे ताजा प्रमाण है। इस ग्राफ में अभी और बढ़ोत्तरी होगी।
भारत ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में एक बार फिर छलांग लगाई है। इसका मतलब है कि भारत के आर्थिक सुधार कारगर हो रहे हैं। ऐसे में अर्थव्यवस्था से जुड़ी रिजर्व बैंक सहित अन्य संस्थाओं को सुधार कार्यो में साझा प्रयास करने चाहिए। यह नहीं भूलना चाहिए कि संवैधानिक संस्थाएं लोगों के कल्याण के लिए हैं।
ईज ऑफ डूइंग बिजनस रैकिंग में भारत ने लगातार दूसरे साल बड़ा सुधार किया है। विश्व बैंक की ओर से जारी सूची में भारत ने तेईस पायदान के सुधार के साथ सतहत्तरवां स्थान हासिल किया है। पिछले दो सालों में भारत की रैकिंग में कुल 53 पायदान का सुधार आया है। इससे भारत को अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी। विश्व बैंक के अध्यक्ष ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी है।
पिछली कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत 30 पायदान की छलांग के साथ सौ वें स्थान पर पहुंच गया था। यह एक वर्ष के अंतराल में भारत द्वारा लगाई गई सबसे बड़ी छलांग थी। इसमें एक सौ नब्बे देशों को रैंकिंग दी जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को शीर्ष पचास देशों में शामिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
विश्व बैंक की रैंकिंग दस मानदंडों पर आधारित है। इसमें कारोबार का प्रारंभ, निर्माण परमिट, बिजली कनेक्शन हासिल करना, कर्ज हासिल करना, टैक्स भुगतान, सीमापार कारोबार, अनुबंध लागू करना और दिवाला मामले का निपटारा शामिल है। विश्व बैंक की ताजा वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि छह मानकों पर भारत की स्थिति सुधरी है। इन मानदंडों में कारोबार शुरू करना, निर्माण परमिट, बिजली की सुविधा प्राप्त करना, कर्ज प्राप्त करना, करों का भुगतान, सीमापार व्यापार, अनुबंधों को लागू करना और दिवाला प्रक्रिया से निपटारा शामिल है।
साढ़े चार वर्ष पहले भारत 142वें स्थान पर था। नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों से कारोबार सुगमता रैंकिंग 67 अंक बेहतर हुई। वित्त मंत्री ने कहा कि हमने भ्रष्टाचार और लालफीताशाही को खत्म किया है। विश्व बैंक ने इस मामले में सबसे अधिक सुधार करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में भारत को दसवें स्थान पर रखा है।
मोदी सरकार ने नये व्यवसाय की प्रारंभिक प्रक्रिया को आसान बनाया है। बिजली की उपलब्धता बढ़ाई गई। बिजली कनेक्शन मिलने में लगने वाला समय और लागत को कम किया गया। इसके लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई। व्यावसायिक संपत्ति के रजिस्ट्रेशन में लगने वाले समय और खर्च में कमी हुई। ऋण लेने में सहूलियत प्रदान की गई। कर्ज प्रक्रिया में आने वाली जटिलताओं को दूर किया गया। अब तो एक घण्टे में एक करोड़ रुपये कर्ज मिलने की व्यवस्था भी शुरू हो गयी है। मुद्रा बैंक योजना पहले से ही लागू है जो छोटे उद्यमियों को उद्यम हेतु ऋण प्रदान करती है।
सरकार चाहती है कि छोटे व्यापारियों को सुगमता से पर्याप्त कर्ज मिल सके। इसके अनुसार व्यवस्था करने की आवश्यकता है। बैकों को कुछ छूट देनी होगी। वहीं आरबीआई ने एनपीए के दबाव के कारण कई बैंकों पर कर्ज देने पर रोक लगाईं हुई है। लेकिन इसे सरकार और आरबीआई के बीच कोई बड़ा टकराव या आरबीआई की स्वायत्तता पर संकट मानना ठीक नहीं है। कतिपय सलाह से स्वायत्तता की समाप्ति नहीं हो जाती।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आरबीआई पर 2008 से 2014 के बीच कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकामी का आरोप लगाया। इससे बैंकों में फंसे कर्ज एनएपी में भारी बढ़ोतरी हुई। यूपीए अर्थव्यवस्था को कृत्रिम रूप से आगे बढ़ाने के लिए बैंकों को अपना दरवाजा खोलने तथा मनमाने तरीके से कर्ज देने को कहा गया था। उस दौरान अंधाधुंध तरीके से कर्ज दिए गए। यही कारण था कि उस दौरान क्रेडिट ग्रोथ एक साल में चौदह प्रतिशत से बढ़कर इकतीस हो गई। यह वृद्धि बिना टैक्स दर बढ़ाए हुई।
देखा जाए तो भाजपा के सत्ता में आने तक आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या करीब तीन करोड़ थी। चार साल में यह संख्या बढ़कर छह करोड़ से ज्यादा पर पहुंच गई है। इस साल इसके सात करोड़ हो जाने का अनुमान है। जीएसटी के क्रियान्वयन के पहले साल में ही अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या करीब पचहत्तर प्रतिशत बढ़ी है।
जाहिर है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने व्यापारिक सुगमता की दृष्टि से अनेक कारगर कदम उठाए हैं जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। इसमें कुछ फैसले तात्कालिक रूप में लोक लुभावन नहीं थे, लेकिन सरकार ने साहस का परिचय देते हुए उन्हें न केवल लिया बल्कि लागू भी किया। इन कदमों को बहुत पहले ही लागू होना चाहिए था। लेकिन पिछली सरकार ने यह साहस नहीं दिखाया था। मोदी सरकार के इन क़दमों के सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगे हैं। व्यापार सुगमता में भारत की रैंकिंग में जबरदस्त उछाल इसका सबसे ताजा प्रमाण है। इस ग्राफ में अभी और बढोत्तरी होगी।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)