मोदी सरकार की नीति से बचेंगे बीएसएनएल और एमटीएनएल

बीएसएनएल और एमटीएनएल का राहत पैकेज अभी दूरसंचार विभाग के पास विचाराधीन है। इसके लिये दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था डिजिटल संचार आयोग की अनुमति लेनी होगी। केंद्र सरकार का मानना है कि दूरसंचार रणनीतिक क्षेत्र है और इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की उपस्थिति जरूरी है।

एक समय टेलीकॉम बाजार में राजा की तरह राज करने वाले भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) आज अकुशल प्रबंधन, ग्राहक सेवा की दयनीय स्थिति, उत्कृष्ट उत्पादों की कमी आदि के कारण दिवालिया होने के कगार पर आ गये हैं। सरकार इन दोनों टेलीकॉम ऑपटेटरों को 13,000 करोड़ रुपये के बेलआउट पैकेज देकर इन्हें संकट से उबारना चाहती है, जिसमें 6,365 करोड़ रुपये का स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पैकेज और 6,767 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश, 4 जी स्पेक्ट्रम का आवंटन और रियल एस्टेट का मुद्रीकरण शामिल है। 

बीएसएनएल और एमटीएनएल का राहत पैकेज अभी दूरसंचार विभाग के पास विचाराधीन है। इसके लिये दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था डिजिटल संचार आयोग की अनुमति लेनी होगी। केंद्र सरकार का मानना है कि दूरसंचार रणनीतिक क्षेत्र है और इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की उपस्थिति जरूरी है। बीएसएनएल और एमटीएनएल अपने परिचालन खर्च वहन करने के लिये बैंकों से ऋण लेने में नाकाम रहे हैं। लिहाजा, फरवरी, 2019 में आयोग की बैठक में बीएसएनएल और एमटीएनएल को पटरी पर लाने के पैकेज पर चर्चा हुई थी।

बीएसएनएल को फिर से पटरी पर लाने की योजना

दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने बीएसएनएल को फिर से पटरी पर लाने की योजना बनाई है, जिसके तहत 4 जी स्पेक्ट्रम का आवंटन और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना को लागू करने के लिये बॉन्ड के जरिये पूँजी जुटाने का प्रस्ताव है। बीएसएनएल बॉन्ड के जरिये 6,767 करोड़ रुपये जुटाना चाहता है। सरकार बीएसएनएल की वित्तीय स्थिति में सुधार लाने के लिये 4 जी स्पेक्ट्रम का आवंटन कर सकती है। कयास लगाये जा रहे हैं कि बीएसएनएल को बाजार कीमत पर 2100 मेगाहट्र्ज बैंड में स्पेक्ट्रम आवंटित किया जा सकता है। इधर, दूरसंचार विभाग की भी बीएसएनएल में निवेश करने की योजना है।

अगर यह योजना मूर्त रूप लेती है तो निवेश की राशि का इस्तेमाल बीएसएनएल बाजार निर्धारित कीमतों पर स्पेक्ट्रम खरीदने में कर सकता है। बीएसएनएल चाहता है कि 4 जी स्पेक्ट्रम 50 प्रतिशत पूंजी निवेश के जरिये आवंटित किया जाये और 50 प्रतिशत बाजार कीमत का निर्धारण 2015 की नीलामी के आधार पर निर्धारित किया जाये।

एमटीएनएल की मुश्किलें

एमटीएनएल को अपने सर्विस लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए तकरीबन 11,000 करोड़ रुपये की जरूरत है, लेकिन वित्तीय स्थिति के खस्ताहाल होने के कारण वह दूरसंचार विभाग को इस राशि का भुगतान करने में असमर्थ है। लिहाज़ा, उसने दूरसंचार विभाग से इस राशि को माफ करने का आग्रह किया है। दूरसंचार विभाग के अनुसार एमटीएनएल को राहत देने के लिये हर संभव कोशिश की जा रही है। फिलहाल, एमटीएनएल की देनदारी 20,000 करोड़ रुपये की है, जिसे उसने केंद्र सरकार की वैधानिक देयताओं के भुगतान के लिए लिया था।

एमटीएनएल चाहता है कि सरकार इस कर्ज को मूलधन और ब्याज भुगतान के पूर्ण दायित्व के साथ सॉवरिन गारंटी में तब्दील करे, ताकि उसे हर वर्ष 2,000 करोड़ रुपये का ब्याज भुगतान नहीं करना पड़े। एमटीएनएल 3 जी स्पेक्ट्रम का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर सका है, इसलिये वह इसे दूरसंचार विभाग को वापस करना चाहता है, जिससे उसे 3,500 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है, जिसका इस्तेमाल एमटीएनएल अपने कारोबार को बढ़ाने में कर सकता है।

बीएसएनएल को मिलेगा नेटवर्क का फायदा

बीएसएनएल का नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है, जिसका इस्तेमाल करके वह अपने राजस्व को बढ़ाना चाहता है। आज भी निजी टेलीकॉम ऑपरेटर अपने कारोबार को बीएसएनएल और एमटीएनएल की मदद से आगे बढ़ा रहे हैं, क्योंकि उनका खुद का नेटवर्क बहुत कम है। यदि बीएसएनएल और एमटीएनएल अपने सेवा एवं उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार लाकर नेटवर्क का सही इस्तेमाल करें तो वे मौजूदा घाटे से बाहर निकल सकते हैं, क्योंकि बिना बीएसएनएल और एमटीएनएल की मदद के निजी टेलीकॉम ऑपरेटर बाजार में नहीं टिक सकते हैं।   

बीएसएनएल द्वारा रिकॉर्ड राजस्व अर्जित

हाल ही में बीएसएनएल ने अन्य उपक्रमों के साथ साझा कारोबार करके 6,500 करोड़ रूपये का रिकार्ड राजस्व जुटाया है। बीएसएनएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अनुपम श्रीवास्तव के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान बीएसएनएल ने उपक्रमों के साझा कारोबार खंड में 6,500 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया है।

बीएसएनएल के मुताबिक यह राजस्व राशि अब तक का सर्वाधिक है, जिसमें 91 उद्यमों ने भुगतान किया है। अब तक इस क्षेत्र में अमूमन 50-60 उद्यमों से ही बीएसएनएल सालाना राजस्व संग्रह करता रहा है। श्री श्रीवास्तव के अनुसार राजस्व वसूली के मामले में बीएसएनएल की स्थिति में सुधार आ रहा है।

बीएसएनएल के ग्राहक आधार में इजाफा

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार 28 फरवरी, 2019 तक बीएसएनएल और एमटीएनएल की फिक्स्ड-लाइन बाजार में 66.77 प्रतिशत की भागीदारी थी। बीएसएनएल ने इस अवधि में 9 लाख नये मोबाइल ग्राहक जोड़े, जिससे उसका कुल ग्राहक आधार बढ़कर फरवरी में 11.62 करोड़ हो गया।

वायरलेस ग्राहक वृद्धि के मामले में रिलायंस जियो और बीएसएनएल ने फरवरी में 86.39 लाख मोबाइल ग्राहक जोड़े थे, जिससे कुल दूरसंचार उपभोक्ता आधार में मामूली बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 120.5 करोड़ हो गया, जबकि भारती एयरटेल तथा वोडाफोन-आइडिया समेत अन्य दूरसंचार कंपनियों के ग्राहक आधार में आलोच्य अवधि में गिरावट दर्ज की गई। उलेखनीय है कि रिलायंस जियो ने इस अवधि में 77.93 लाख ग्राहक नये जोड़े, जिससे उसका कुल ग्राहक आधार बढ़कर 29.7 करोड़ हो  गया। 

बेहतर है एमटीएनएल की लैंडलाइन और फाइबर सेवा

अभी भी एमटीएनएल का लैंडलाइन और फाइबर सेवाओं का कारोबार बढ़िया चल रहा है। वह इन दोनों क्षेत्रों में बीएसएनएल सहित अन्य टेलीकॉम कंपनियों से बेहतर काम कर रहा है। अगर एमटीएनएल इन दोनों क्षेत्रों में निवेश करता है तो उसके कारोबार में इजाफा हो सकता है।

अचल संपत्तियों का फ़ायदा

बीएसएनएल और एमटीएनएल का कर्ज निजी क्षेत्र की इकाइयों की तुलना में बहुत ही कम है और उनके पास ढेर सारी अचल संपत्तियां हैं। बीएसएनएल और एमटीएनएल के पास पूरे देश में करीब 7,500 रियल एस्टेट परिसंपत्तियां हैं, जिनका मूल्य लगभग 70,000 करोड़ रुपये है। कंपनी का प्रस्ताव ज़मीनों को पट्टे पर देकर राजस्व अर्जित करना है। इसलिये, बीएसएनएल और एमटीएनएल देशभर में अपनी जमीन को सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी इकाइयों को किराये पर देने की योजना बना रहे हैं। इनका कहना है कि परिसंपत्तियों की सीधी बिक्री के बजाय उन्हें किराये पर देने से उन्हें ज्यादा फायदा होगा।

4 जी सेवाओं से राजस्व में इजाफा

केंद्र सरकार को दिये गये पुनरुद्धार आवेदन में बीएसएनएल और एमटीएनएल ने 4 जी सेवाओं की मांग की है, ताकि वे ग्राहकों को बेहतर विकल्प और सेवा मुहैया करा सकें। बीएसएनएल और एमटीएनएल चाहते हैं कि सरकार उनके बेकार पड़े या कम इस्तेमाल किये जाने वाले रियल एस्टेट को बेचकर राजस्व इकठ्ठा करे।

विलय से भी हो सकता है समस्याओं का समाधान

जानकारों का कहना है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय से उनकी सेहत में सुधार आ सकता है। एमटीएनएल के दिल्ली और मुंबई मंडल का एकीकरण करना सबसे आसान और बेहतर विकल्प है। रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिये बीएसएनएल और एमटीएनएल का एकीकरण करना समय की मांग है।

डीओटी के पूर्व सदस्य (वित्त) एनी मोरिस के अनुसार मोदी सरकार भी बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय के पक्ष में है। लिहाजा, एमटीएनएल और बीएसएनएल को इस प्रस्ताव पर विचार करना चाहिए, क्योंकि दोनों के साथ आने से एक मजबूत टेलीकॉम इकाई का निर्माण होगा। दोनों के पास ढेर सारी रियल एस्टेट संपत्तियां हैं और 4 जी स्पेक्ट्रम के साथ टीम के रूप में काम करने के लिये उनके पास पर्याप्त संसाधन भी हैं।

निष्कर्ष

इसमें दो राय नहीं है कि आज बीएसएनएल और एमटीएनएल की माली स्थिति अच्छी नहीं है। हालाँकि, इन दोनों टेलीकॉम ऑपरेटरों के पास प्रशिक्षित कर्मचारी, देशव्यापी नेटवर्क, मजबूत आधारभूत संरचना, तकनीकी जानकारी आदि संसाधनें उपलब्ध हैं। बावजूद इसके, इन दोनों का कंगाली के दरवाजे पर पहुंचाना कौतूहल का विषय है। बहरहाल, सरकार की पुनरुद्धार योजना में दो अहम मुद्दों कर्मचारी और कर्ज पर जोर रहने की संभावना है।

वैसे, अभी भी देर नहीं हुई है। अगर बीएसएनएल और एमटीएनएल चाहें तो बेहतर ग्राहक सेवा और कुशल प्रबंधन से बिगड़ती स्थिति पर काबू पा सकते हैं, लेकिन इसके बरक्स सरकार को भी सकारात्मक भूमिका निभानी होगी, जिसके लिये वह कोशिश करती प्रतीत हो रही है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)