हर गाँव तक बिजली पहुँचाने में कामयाब रही मोदी सरकार !

प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्‍त, 2015 को लाल किले की प्राचीर से एक हजार दिनों में देश के इन गांवों में बिजली पहुंचाने का समयबद्ध लक्ष्‍य तय किया था। इसके लिए दीन दयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना शुरू की गई, जिसके तहत ग्रामीण घरों और कृषि कार्यों के लिए अलग-अलग फीडर की व्‍यवस्‍था कर पारेषण व वितरण ढांचे को मजबूत किया गया और सभी स्‍तरों पर मीटर लगाया गया। आज इसका सुपरिणाम देश के सभी गाँवों के विद्युतीकृत होने के रूप में हमारे सामने है।

आजादी के सत्‍तर साल बाद ही सही लेकिन अब तक अंधेरे में डूबे 18,452 से अधिक गांवों में समय सीमा से पहले बिजली पहुंचना एक बड़ी उपलब्‍धि है। गौरतलब है कि प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्‍त, 2015 को लाल किले की प्राचीर से एक हजार दिनों में देश के इन गांवों में बिजली पहुंचाने का समयबद्ध लक्ष्‍य तय किया था। इसके लिए दीन दयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना शुरू की गई, जिसके तहत ग्रामीण घरों और कृषि कार्यों के लिए अलग-अलग फीडर की व्‍यवस्‍था कर पारेषण व वितरण ढांचे को मजबूत किया गया और सभी स्‍तरों पर मीटर लगाया गया।

इतना ही नहीं, माइक्रो ग्रिड की स्‍थापना की गई और राष्‍ट्रीय पॉवर ग्रिड से दूर-दराज के इलाकों के लिए ऑफ ग्रिड वितरण नेटवर्क तैयार किया गया। इस योजना के अंतर्गत जिस भी गांव के समुदाय भवन अथवा पंचायत भवन तक बिजली पहुंच जाती है, उसे विद्युतीकृत गांव मान लिया जाता है। जिस देश में योजनाओं की लेट लतीफी का रिकॉर्ड रहा हो, वहां इतने महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य का तय समय से बारह दिन पहले ही पूरा हो जाना एक बड़ी कामयाबी है।    

आजादी के बाद सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए बिजली एक अनिवार्य जरूरत होने के बावजूद ग्रामीण विद्युतीकरण पर उतना ध्‍यान नहीं दिया गया, जितना कि दिया जाना चाहिए था। देश के आजाद होने के समय महज 1500 गांवों तक बिजली पहुंची थी। ग्रामीण विद्युतीकरण में तेजी लाने के लिए 1969 में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम की स्‍थापना की गई। इसके साथ कई और प्रयास किए गए जैसे न्‍यूनतम आवश्‍यकता कार्यक्रम के तहत ग्रामीण विद्युतीकरण, कुटीर ज्‍योति योजना, त्‍वरित ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम। इसके बावजूद सभी गांवों को विद्युतीकृत करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका।

अबएक नई समस्‍या पैदा हुई। व्‍यावहारिक कठिनाइयों और राज्‍य बिजली बोर्डों के घाटे में चलने के कारण 2004 तक 6,263 गांव बिजली सुविधा से वंचित कर दिए गए। दूसरे, मीटर व्‍यवस्‍था न होने से बिजली बिल की वसूली नहीं हो पाई और बिजली चोरी में तेजी आई। इस प्रकार ग्रामीण विद्युतीकरण राज्‍य बिजली बोर्डों के लिए एक समस्‍या बन गया।

विद्युतीकृत गांवों की घटती संख्‍या को देखते हुए ग्रामीण विद्युतीकरण से संबंधित सभी योजनाओं का विलय कर 2005 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना शुरू की गई। इसमें दिसंबर 2012 तक सभी घरों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्‍य रखा गया जो पूरा नहीं हो पाया। 2014 में सत्‍ता में आने के बाद मोदी सरकार ने देश के सभी हिस्‍सों में सातों दिन-चौबीसों घंटे निर्बाध व गुणवत्‍तापूर्ण बिजली आपूर्ति के लिए नवंबर 2015 में दीन दयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना (डीडीयूजीजेआई) की शुरूआत की। डीडीयूजीजेआई  की प्रेरणा गुजरात में ग्रामीण बिजली वितरण की कामयाब रही योजना से ली गई।

हर गांव तक बिजली पहुंचाने के बाद अब चुनौती हर घर को रोशन करने की है। गौरतलब है कि अभी भी साढ़े तीन करोड़ करोड़ ग्रामीण घर अंधेरे में डूबे रहते हैं। बिजली सुविधा से वंचित इन घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए मार्च 2019 की समय सीमा निर्धारित की गई है। इसके लिए प्रधानमंत्री सहज हर घर बिजली योजना (सौभाग्‍य) शुरू की गई है। इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को मुफ्त में बिजली कनेक्‍शन मुहैया कराया जा रहा है। यह योजना बिजली की प्रति व्‍यक्‍ति खपत को बढ़ाने का काम करेगी जो अभी 1200 किलोवाट घंटा ही है। बिजली खपत का यह औसत विश्‍व में सबसे कम खपत करने वाले देशों में है।

बीते समय में ग्रामीण विद्युतीकरण की सबसे बड़ी खामी यह रही कि इसकी सफलता को घरों को रोशन करने के लिए कनेक्‍शन देने तक सीमित कर दिया गया। यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) की “एनर्जी प्‍लस” नामक रिपोर्ट के मुताबिक केवल रोशनी के लिए बिजली जरूरी है, लेकिन इससे ग्रामीण विकास का लक्ष्‍य हासिल नहीं होगा। बिजली का असली लाभ तभी मिलेगा जब इसका उपयोग उत्‍पादक गतिविधियों में हो ताकि यह आमदनी बढ़ाने और गरीबी उन्‍मूलन का कारगर हथियार बने। स्‍पष्‍ट है ग्रामीण विद्युतीकरण का असली उद्देश्‍य तभी हासिल होगा जब बिजली को उत्‍पादक गतिविधिेयों से जोड़ दिया जाए। इससे बिजली बिल की समय से वसूली होगी और आपूर्ति में भी सुधार आएगा।

सौभाग्‍य योजना में इस पहलू पर विशेष ध्‍यान दिया गया है। इस योजना में बिजली आपूर्ति को घरों को रोशन करने से आगे बढ़ाकर सामाजिक-आर्थिक विकास से जोड़ दिया गया है। दूसरे शब्‍दों में बिजली आपूर्ति को पर्यावरण सुधार, सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षण गतिविधियों, संचार संपर्क आदि से संबंद्ध कर दिया गया है। स्‍पष्‍ट है, सौभाग्‍य योजना की कामयाबी के बाद बिजली खपत में तेजी आएगी और भारत अमेरिका व चीन के बाद विश्‍व का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उपभोक्ता बन जाएगा।

गौरतलब है कि भारत में दुनिया की 16 फीसदी आबादी रहती है, लेकिन विश्‍व की कुल बिजली खपत में इसकी हिस्‍सेदारी महज 3.5 फीसदी ही है। देश में व्‍याप्‍त गरीबी, बेकारी की एक बड़ी वजह यह भी है। ग्रामीण इलाकों में बिजली खपत बढ़ने से डीजल पर निर्भरता घटेगी जिससे खेती की लागत में कमी आएगी। इतना ही नहीं, बिजली के अभाव में ग्रामीण इलाकों में जो आर्थिक गतिविधियां शुरू नहीं हो पाती हैं, वे भी शुरू होंगी। केरोसिन पर निर्भरता घटेगी जिससे भारत अपनी जलवायु परिवर्तन संबंधी प्रतिबद्धताओं पर खरा उतरेगा।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)