उड़ी में सैनिक छावनी पर हुए आतंकी हमले से पूरा देश शोकसंतप्त एवं सन्न है। पूरे देश की भावना, संवेदना, सहानुभूति और एकात्मता सैनिको और उनके परिवारो से जुड़ी हुई है, इसलिए इस हमले को पूरे देश पर हुए हमले के रूप में देखा जाना चाहिए। सत्रह सैनिक शहीद हुए हैं। पिछले 30 वर्षो से पाकिस्तान इसी तरह का छद्म युद्ध लड़ता आ रहा है, जिसमें हमारी सेनाओ को केवल जवाबी कार्यवाही की अनुमति प्राप्त है। हमला कब और कहाँ करना है, यह पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी तय करते हैं तथा हमारे सुरक्षाबल केवल उन हमलो का जवाब ही दे पाते हैं। उड़ी हमला इस शृंखला में पठानकोट के बाद सबसे बड़ा हमला है। विशेषज्ञ इस हमले को सेना के मनोबल पर पर चोट मान रहे हैं, वहीँ पूरा देश यह सोचने को मजबूर है कि भारत कैसा सम्प्रभु राष्ट्र है जो लगातार अपने नागरिको और सैनिको के गिरते शवो को झेलता आ रहा है।
पिछले दिनों भारत ने अपने क्षेत्र में पाकिस्तानी हवाई उड़ानों पर एक महीने के लिए प्रतिबन्ध लगा दिया था, उतने में ही पाकिस्तान की हालत पतली हो गयी थी। जल समझौते से लेकर व्यापार, आर्थिक, यातायात, खाद्यान्न तक सब पर पुनर्विचार कीजिये। सब कुछ खंगालिए ऐसे कम से कम 1000 मामले हैं जिन पर निर्णायक कठोर कदम उठा कर आप पाकिस्तान को घुटनो पर ला सकते हैं। वैसे, ये सब बातें मोदी सरकार कि नीतियों में दिखती हैं, जिनसे उम्मीद है कि ये कदम भी शीघ्र उठाए जाएंगे। कुल मिलाकर देश को अब प्रतिक्रिया का इन्तजार है। उम्मीद है मोदी जी ने जो कल सार्वजनिक रूप से कहा उस पर अक्षरशः अमल करेंगे “मैं देशवासियो को विश्वास दिलाता हूँ कि किसी भी दोषी को बख्शा नही जाएगा”।
यह सर्वविदित ही है कि कोई भी सैन्यदल आक्रामक और सुरक्षात्मक रणनीति का समन्वय बना कर अपनी गतिविधियों को अंजाम देता है। आप अगर हमेशा आक्रामक नही रह सकते तो हमेशा सुरक्षात्मक रहने की रणनीति कैसे अख्तियार कर सकते हैं। हमेशा सुरक्षात्मक रहने से जहां एक तरफ आपकी सेनाओ का मनोबल गिरता है, वहीं सेना की क्षमताएं भी प्रभावित होने लगती है। विशेषकर ऐसी स्थिति में जब छद्म युद्ध का वर्षो से सामना करते आ रहे हो। आप ऐसी स्थिति में हमेशा सेना के हाथ बाँध कर रखने की भूल नही कर सकते। इससे सेना की धार कुन्द होने लगती है और हथियार जंग खाने लगते हैं। लेकिन, पिछली कांग्रेसी सरकारों के दौरान जिस तरह से पाकिस्तान को लेकर हद से ज्यादा रक्षात्मक रुख अपनाया गया, उसने सेना को कमजोर करने का ही काम किया है।
दरअसल पिछली सरकारो की उस एकमात्र सुरक्षात्मक नीति से उपजी हताशा का परिणाम है मोदी सरकार, जनता को अपने सैनिको के कटते सरों की नामंजूरी का परिणाम है मोदी सरकार, केवल कोरी बयानबाजी से उचटते मन का परिणाम है मोदी सरकार, निरन्तर भारत की गिरती साख के दुःसह दुःख का परिणाम है मोदी सरकार, सबल राष्ट्र की भारी जनाकांक्षाओं का परिणाम है मोदी सरकार। अतः मोदी सरकार से इस सम्बन्ध में देश को बहुत उम्मीदें हैं और सुखद है कि वो उन उम्मीदों पर अबतक खरी भी रही है।
गौरतलब है कि पिछले साल मणिपुर में सेना पर हुए आतंकवादी हमले के खिलाफ भारत सरकार ने सेनाओ को खुली छूट दी जिसका परिणाम म्यांमार में सर्जिकल आपरेशन के रूप में सामने आया, जहां हमारी सेना ने जिम्मेदार आतंकवादी संगठन की ईंट से ईंट बजा कर रख दी थी। देश जानता है कि म्यांमार और पाकिस्तान की स्थितियों में धरती आसमान का फर्क है, म्यांमार की सरकार के साथ हम समन्वय में थे, जबकि यहां आतंकवाद पाकिस्तानी नीति का हिस्सा है। पाकिस्तान परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र भी है, जिससे युद्ध की स्थिति भी बन सकती है। लेकिन, परमाणु हमला कहने में जितना आसान है, करना नहीं। पाकिस्तान भी छोटी-मोटी बात पर ये हमला करने का जोखिम लेगा। क्योंकि परमाणु हमला करने का अर्थ होगा कि भारत कि भारत की कुछ क्षति और पाकिस्तान का अस्तित्व समाप्त।
अब पाकिस्तान से दो टूक बात करने का समय है या तो पाकिस्तान इस प्रायोजित आतंकवाद को खत्म करे अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहे। पाकिस्तान अगर खुद को आतंकवादियो से निबटने में सक्षम न होने का बहाना बनाता है तो यह काम भारतीय सेना को करने दे।साथ ही, पाकिस्तान के साथ राजनयिक सम्बन्धो पर पुनर्विचार हो, पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज किये जाएं, बलूचिस्तान और पाक अधिक्रांत जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर मजबूती से आगे बढ़ा जाए, पाकिस्तान को प्राप्त हो रहे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग को बन्द कराने की पुरजोर कोशिश की जाए, पाकिस्तान को आवश्यक सामग्री सप्लाई करने वाले देशो से अनुरोध कर उस पर रोक लगाने के प्रयास किये जाएं। इस दिशा में सरकार बढ़ भी रही है।
पिछले दिनों भारत ने अपने क्षेत्र में पाकिस्तानी हवाई उड़ानों पर एक महीने के लिए प्रतिबन्ध लगा दिया था, उतने में ही पाकिस्तान की हालत पतली हो गयी थी। जल समझौते से लेकर व्यापार, आर्थिक, यातायात, खाद्यान्न तक सब पर पुनर्विचार कीजिये। वैसे, ये सब बातें मोदी सरकार की नीतियों में दिखती हैं, जिनसे उम्मीद है कि ये कदम भी शीघ्र उठाए जाएंगे। कुल मिलाकर देश को अब प्रतिक्रिया का इन्तजार है। उम्मीद है, मोदी जी ने जो कल सार्वजनिक रूप से कहा उस पर अक्षरशः अमल करेंगे “मैं देशवासियो को विश्वास दिलाता हूँ कि किसी भी दोषी को बख्शा नही जाएगा”।
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)