जिस पूर्वोत्तर में योजनाओं की लेट-लतीफी और भ्रष्टाचार आम बात थी अब उसी पूर्वोत्तर में योजनाएं समय से पहले पूरी हो रही हैं तो इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हर स्तर पर जवाबदेही और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित निगरानी व्यवस्था को जाता है। योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन का ही नतीजा है कि पूर्वोत्तर से आतंकवाद, अलगाववाद अब अपनी आखिरी सांसे गिन रहा है।
पूर्वोत्तर भारत को देश की मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयासों में 27 जनवरी 2022 का दिन मील का पत्थर होगा क्योंकि इस दिन मणिपुर के कैमाई रोड रेलवे स्टेशन तक मालगाड़ी का परिचालन शुरू हुआ। आजादी के 75 साल बाद पहली बार मालगाड़ी मणिपुर के रानी गाइदिनल्यू रेलवे स्टेशन पहुंची तो वहां उत्सव जैसा दृश्य था।
इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे राज्य के व्यापार और कनेक्टिविटी में वृद्धि होगी क्योंकि वहां से माल देश के सभी हिस्सों में पहुंचने लगेगा। अब सरकार पर्यटन सर्किट ट्रेनों को पूर्वोत्तर में भी शुरू करने की योजना पर काम कर रही है जो सभी प्रमुख स्थानों को कवर करेगी। इससे पूर्वोत्तर के पर्यटन उद्योग को नया आयाम मिलेगा।
आजादी के बाद से ही पूर्वोत्तर को देश की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अनेक योजनाएं बनीं लेकिन उनमें से अधिकांश योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं। इसका नतीजा यह हुआ कि पूर्वोत्तर के राज्य गरीबी, बेरोजगारी, आतंकवाद, अलगाववाद की आग में झुलसते रहे। पूर्वोत्तर के विकास के लिए बनने वाली अधिकांश योजनाओं और हजारों करोड़ रूपये के आवंटन में दिल्ली में बैठी सरकारों से लेकर राज्यों की सरकारों तक में जमकर बंदरबाट होती रही है।
इसी को देखते हुए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियों को देश के अन्य हिस्सों से रेलवे के माध्यम से जोड़ने की घोषणा की तब अधिकतर लोगों को इस पर विश्वास नहीं हुआ।
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार की पहल पर नेशनल कैपिटल कनेक्टीविटी प्रोजेक्ट्स के तहत छह परियोजनाओं पर काम चल रहा है जो कि 2024 से पहले पूरी हो जाएंगी। असम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा की राजधानियों को पहले ही “ब्रॉड गेज” रेल नेटवर्क से जोड़ा जा चुका है। मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग, मणिपुर की इंफाल, नागालैंड की कोहिमा और मिजोरम की राजधानी आइजोल को नयी ”ब्रॉड गेज” लाइनों से जोड़ने का काम जारी है।
भारतीय रेलवे इंफाल को गुवाहाटी से जोड़ने वाले देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग का निर्माण कर रहा है। जिरीबाम से इंफाल के बीच ऊंचे-नीचे पहाड़ों से होकर गुजरने वाली इस रेल लाइन की लंबाई 111 किलोमीटर है जिसमें से लगभग 62 किलोमीटर रेल लाइन सुरंग से होकर गुजरेगी।
इसके अलावा मोदी सरकार इस इलाके के अधिक आवागमन वाले रेल नेटवर्क के विद्युतीकरण पर जोर दे रही है। इसी के तहत कटिहार से गुवाहाटी तक पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के कुल 649 किलोमीटर रूट का विद्युतीकरण कार्य पूरा हो गया है। इससे अब देश प्रमुख शहरों इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर गुवाहाटी से जुड़ गए हैं। विद्युतीकरण के बाद भारी मालगाड़ियों को तेज गति से चलाया जा रहा है जिससे यहां के स्थानीय उत्पाद देश भर में आसानी से पहुंच रहे हैं।
मोदी सरकार पूर्व की ओर देखो नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए पूर्वोत्तर के राज्यों का दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ सुदृढ़ सड़क-रेल नेटवर्क बनाने की योजना पर काम कर रही है। इससे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ कारोबारी गतिविधियों में तेजी आएगी।
इसके तहत रेलवे उत्तर पूर्वी राज्यों के साथ चीन, म्यांमार और बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों को जोड़ने के लिए 40,000 करोड़ रूपये की लागत वाली कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है।
इसमें अरुणाचल प्रदेश में 180 किलोमीटर रेल लाइन की योजना है जो तवांग में चीन सीमा तक कनेक्टीविटी देगी। मणिपुर में इंफाल से मोरेह तक एक और रेलवे लाइन बिछाई जाएगी। त्रिपुरा और बांग्लादेश को अगरतला में जोड़ने वाले एक रेल लिंक का भी निर्माण किया जाएगा।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)