पांच राज्यों में हो रहे विधान सभा चुनावों की एक विशेषता यह है कि इसमें बिजली नहीं “मुफ्त बिजली” के वायदे देखने-सुनने को मिले हैं। स्पष्ट है, मोदी सरकार महज सात साल में देश को लालटेन युग से बाहर निकालने में कामयाब रही है।
बिजली की खपत और आर्थिक विकास में सीधा संबंध पाया जाता है। जिन राज्यों में बिजली की खपत ज्यादा है वहां गरीबी आखिरी सांसे गिन रही है। दूसरी ओर जो राज्य बिजली खपत में पीछे हैं वहां गरीबी-बेकारी का घटाटोप अंधियारा छाया हुआ है। इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने बिजली सुधार पर ध्यान दिया।
बिजली सुधार की दिशा में पहला कदम था देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचाना। इसके लिए प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2015 को लाल किले की प्राचीर से एक हजार दिनों में देश के बिजली विहीन 18452 गांवों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय किया।
इसके लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना शुरू की गई। इसके तहत ग्रामीण घरों और कृषि कार्य के लिए अलग-अलग फीडर की व्यवस्था कर पारेषण और वितरण ढांचे को मजबूत किया गया। इतना ही नहीं, माइक्रो ग्रिड की स्थापना की गई और राष्ट्रीय पॉवर ग्रिड से दूर दराज के इलाकों के लिए ऑफ ग्रिड वितरण नेटवर्क तैयार किया गया।
इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सरकार ने हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित की और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित निगरानी प्रणाली विकसित की गई। इसका नतीजा यह हुआ कि तय समय सीमा से 12 दिन पहले अर्थात 28 अप्रैल 2018 को हर गांव तक बिजली पहुंचा दी गई।
इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अप्रैल 2018 को ऐतिहासिक दिन करार दिया। जिस देश में योजनाओं की लेट लतीफी का रिकॉर्ड रहा हो वहां इतने महत्वाकांक्षी लक्ष्य का तय समय से बारह दिन पहले ही पूरा हो जाना एक बड़ी कामयाबी मानी जाएगी।
देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने के बाद सरकार चौबीसों घंटे-सातों दिन बिजली आपूर्ति की दिशा में काम कर रही है। इसी का नतीजा है कि जहां ग्रामीण इलाकों में 2018-19 में औसतन 20.4 घंटे बिजली की आपूर्ति होती थी वहीं दो साल बाद 2020-21 में यह बढ़कर 21.43 घंटे हो गई। इस दौरान शहरी क्षेत्रों में यह औसत 21.4 घंटे से बढ़कर 23.35 घंटे हो गया।
सरकार सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) के तहत बिजली विहीन घरों तक बिजली का कनेक्शन दे रही है। इस योजना के तहत 31 मार्च 2021 तक 2.8 करोड़ घरों में बिजली का कनेक्शन दिया जा चुका है। बिजली नीति 2021 में कहा गया है कि बिजली वितरण कंपनियां बिना कटौती के 24-7 बिजली आपूर्ति करें ताकि डीजल जनरेटर चलाने की नौबत न आए।
मोदी सरकार नवीकरणीय ऊर्जा से चौबीसों घंटे-सातों दिन बिजली आपूर्ति की दिशा में काम कर रही है। 2016 में कुल बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 19.6 प्रतिशत था जो 2021 में बढ़कर 30 प्रतिशत हो गया।
समग्रत: मोदी सरकार देश के लाखों गांवों को उत्पादक केंद्र बनाने की दूरगामी योजना पर काम कर रही है। शहरी सुविधाओं को पहुंचाने के साथ-साथ इन गांवों में आर्थिक गतिविधियां शुरू की गईं हैं। एक जिला-एक उत्पाद जैसी योजनाओं के जरिए देश के लाखों गांव उत्पादन की धुरी बनेंगे।
इन गांवों में अब पक्की सड़क, मोबाइल, इंटरनेट, शौचालय, पाइपलाइन से जलापूर्ति जैसी शहरी सुविधाएं पहुंच चुकी हैं जिससे यहां कारोबारी गतिविधियों में बाधा नहीं आएगी। स्पष्ट है बिजली क्रांति से देश में एक नए युग का सूत्रपात होगा।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)