मूडीज रेटिंग : सरकार के आर्थिक सुधारों से बढ़ी भारत की रेटिंग, भविष्य में और बढ़ने की संभावना !

मूडीज ने संकेत दिया है कि भविष्य की रेटिंग का उन्नयन राजकोषीय एकीकरण पर निर्भर करेगा। सकारात्मक निवेश चक्र, बैंकों का स्वास्थ बेहतर होने, सरकारी कर्ज के बोझ में कमी आदि महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों से भारत के साख उन्नयन की प्रबल संभावना है। बेशक, अगली साख उन्नयन के लिए भारत को 13 वर्षों का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि सरकार आर्थिक सुधार के दायरे को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

अमेरिकी एजेंसी मूडीज ने 13 सालों के बाद भारत सरकार के स्थानीय एवं विदेशी मुद्रा जारीकर्ता साख का उन्नयन किया। भारत की साख को अपने वर्गीकरण में ऊँचा करते हुए मूडीज ने बीएए-2 श्रेणी में रखा है। पहले उसने भारत को इससे नीचे बीएए-3 श्रेणी में रखा था। मूडीज ने भारत के परिदृश्य को भी ‘स्थिर’ से ‘सकारात्मक’ कर दिया। स्थानीय मुद्रा के असुरक्षित साख को भी मूडीज ने बीएए-3 से उन्नयन करके बीएए-2 कर दिया। अल्पकालिक स्थानीय मुद्रा रेटिंग को भी मूडीज ने पी-3 से पी-2 में उन्नयन किया। साथ ही उसने भारतीय स्टेट बैंक सहित कुछ अन्य बैंकों की साख का भी उन्नयन किया।    

वैसे, विभिन्न श्रेणियों में की गई साख उन्नयन मूडीज के आकलन से कम है। भारत में आर्थिक एवं संस्थागत क्षेत्रों में निरंतर किये जा रहे सुधारों से अर्थव्यवस्था में बेहतरी, सरकारी कर्ज में कमी आदि आ रही है। भारत की उच्च विकास क्षमता, सरकारी ऋण के लिए स्थिर वित्तपोषण आधार, मध्यम अवधि में सरकारी कर्ज में आ रही कमी आदि से अर्थव्यवस्था में गुलाबीपन की स्थिति बनी हुई है। मूडीज का मानना ​​है कि सुधारों ने सरकारी कर्ज में बढ़ोतरी के खतरे को कम किया है। देखा जाये तो भारत का ज्यादातर सार्वजनिक ऋण आंतरिक है। कुल सरकारी बॉन्डों में विदेशी निवेशकों का हिस्सा केवल 4% है और ज्यादातर निवेश, जो लगभग 85% हैं, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, बीमा कंपनियों, रिजर्व बैंक और भविष्य निधि द्वारा किया गया है। साफ है, बेहतर आर्थिक स्थिति को देखते हुए मूडीज को बहुत पहले ही भारत का साख उन्नयन कर देना चाहिए था।

बॉन्ड यील्ड्स पर सकारात्मक प्रभाव

साख उन्नयन का बॉन्ड यील्ड पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जुलाई, 2017 से खुले बाजार से रिजर्व बैंक चलनिधि की लगातार निकासी कर रहा है। इस दौरान औसत मासिक कोर तरलता अप्रैल, 2017 के 4.18 लाख करोड़ रुपये से घटकर नवंबर, 201717 में 1.11 लाख करोड़ रुपये हो गया, जिसके कारण बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी हुई और यील्ड की दर बढ़कर 7.0% से अधिक हो गई। एक अनुमान के मुताबिक 23 नवंबर को लंबित ओएमओ की बिक्री के साथ इस वर्ष की संचयी बिक्री 1 ट्रिलियन तक पहुंच जायेगी। मौजूदा स्थिति में केंद्रीय बैंक को ओएमओ की बिक्री रोकनी चाहिए। इधर, 1 ट्रिलियन का सीएमबी वित्त वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में परिपक्व होने वाला है। इसलिये, रिजर्व बैंक ओएमओ के माध्यम से पहले ही तरलता की निकासी कर चुका है।

भविष्य में साख उन्नयन

मूडीज ने संकेत दिया है कि भविष्य की रेटिंग का उन्नयन राजकोषीय एकीकरण पर निर्भर करेगा। सकारात्मक निवेश चक्र, बैंकों का स्वास्थ बेहतर होने, सरकारी कर्ज के बोझ में कमी आदि महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों से भारत के साख उन्नयन की प्रबल संभावना है। बेशक, अगली साख उन्नयन के लिए भारत को 13 वर्षों का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि सरकार आर्थिक सुधार के दायरे को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में फंसे कर्ज की समस्या के समाधान के लिए दिवालिया कानून लेकर सरकार आई। साथ ही, बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की घोषणा भी सरकार ने की है। धीरे-धीरे जीएसटी से आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है। निवेश के माहौल में भी सुधार हो रहा है। मुद्रास्फीति स्थिर और लक्ष्य के भीतर है और चालू खाता घाटा भी टिकाऊ स्तर पर बना हुआ है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)