केंद्र सरकार पर तमिलनाडु राज्य की अनदेखी का आरोप लगाने वालों को यह तथ्य देखने चाहिए, इसके बाद वे शायद यह आरोप लगाने का साहस न जुटा सकें। तमिलनाडु में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत अबतक 9.5 लाख गैस कनेक्शन दिया गया है, स्वच्छता अभियान के अंतर्गत 47 लाख से ज्यादा शौचालयों का निर्माण हुआ है, युवाओं को और उद्यमियों को सशक्त करने की दिशा में मुद्रा योजना द्वारा 5 लाख करोड़ के लोन दिए गये हैं। साथ ही, मोदी सरकार ने तमिलनाडु के किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से संरक्षण हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से 2,600 करोड़ रूपए का बीमा किया है। चेन्नई मेट्रो के लिए भी केंद्र सरकार ने 3600 करोड़ के बजट का आवंटन किया है।
दक्षिण की सियासत पर नजर डालें तो सबसे पहले राजनीतिक मानचित्र पर तमिलनाडु का चित्र उभरकर आता है। यहाँ की राजनीति की ख़ासियत है कि अधिकतर समय यहाँ सिनेमा से सियासत में आए लोग ही सत्ता में रहें हैं। लेकिन जयललिता की मृत्यु के पश्चात् सियासी घमासान से राज्य का विकास बाधित हुआ है।
गौर करें तो जब तमिलनाडु में डीएमके और केंद्र में यूपीए की सरकार थी, तब दक्षिण का यह अहम राज्य केंद्र सरकार द्वारा उपेक्षित था। वहीं राज्य सरकार के ऊपर कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिनमें वर्तमान में डीएमके के प्रमुख एम. के. स्टालिन का नाम भी सामने आता है।
बहरहाल, पिछले कुछ समय से सियासी अस्थिरता के बावजूद वर्तमान केंद्र सरकार तमिलनाडु के विकास के लिए प्रयासरत नजर आ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तमिलनाडु में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की आधारशिला रखी गयी है। इसके अतिरिक्त थंजावुर और तिरुनिलवेली में मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड भी किया गया है। तमिलनाडु में एम्स के आगमन से स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
लेकिन हद तो तब होती है जब कुछ राजनीतिक दल आमजनमानस का हित करने वाली महत्वपूर्ण योजनाओं को दरकिनार करते हुए अपनी नकारात्मक राजनीति पर उतर आते हैं। ऐसे राजनीतिक दलों की सोच जनता के पैरोकार के रूप में दिखने की जरुर होती है। लेकिन यह लोग सिर्फ अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने तथा अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति करने की कोशिश में होते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के तमिलनाडु के मदुरै दौरा का विरोध करने वालों ने ‘मोदी गो बैक’ के नारे लगाए। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व मुख्य रूप से एमडीएमके के पार्टी प्रमुख वाइको ने किया। उनका कहना था कि हम केंद्र सरकार का तमिलनाडु राज्य के हितों की अनदेखी करने पर विरोध प्रदर्शन कर रहें ना कि एम्स का। सवाल है कि केंद्र सरकार तमिलनाडु के हितों की भला कौन-सी अनदेखी कर रही है।
केंद्र सरकार पर तमिलनाडु राज्य की अनदेखी का आरोप लगाने वालों को यह तथ्य देखने चाहिए, इसके बाद वे शायद यह आरोप लगाने का साहस न जुटा सकें। तमिलनाडु में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत अबतक 9.5 लाख गैस कनेक्शन दिया गया है, स्वच्छता अभियान के अंतर्गत 47 लाख से ज्यादा शौचालयों का निर्माण हुआ है, युवाओं को और उद्यमियों को सशक्त करने की दिशा में मुद्रा योजना द्वारा 5 लाख करोड़ के लोन दिए गये हैं।
साथ ही, मोदी सरकार ने तमिलनाडु के किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से संरक्षण हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से 2,600 करोड़ रूपए का बीमा किया है। चेन्नई मेट्रो के लिए भी केंद्र सरकार ने 3600 करोड़ के बजट का आवंटन किया है।जाहिर है, केंद्र सरकार और मुख्य रूप से भाजपा का विरोध करने वाले राजनीतिक दल कई बार हास्यास्पद लगने जैसी तथ्यहीन टिप्पणी कर देते हैं। तमिलनाडु की अनदेखी का आरोप ऐसा ही है। लेकिन एनडीए सरकार के कामकाजों को देखें तो सभी घटक यह प्रमाणित करते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार तमिलनाडु की जनता के विकास के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)