राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन के जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्यमिता और विकास के क्षेत्र में प्रोद्योगिकी ढांचे को मजबूत किया जा सकेगा। सबसे बढ़कर इससे गांवों तक आधुनिक तकनीक की पहुंच बनेगी और सरकार तथा आम आदमी के बीच की दूरी कम होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित कृषि मंडियां देश भर की मंडियों से जुड़ जाएंगी। इससे किसान अपनी उपज को औने-पौने दाम पर बेचने की विवशता से मुक्त होंगे। हर गांव तक ब्रॉडबैंड सुविधा पहुंचने से गांव और शहर के बीच चौड़ी होती खाई कम होगी।
आजादी के बाद जाति-धर्म और वोट बैंक की राजनीति करने वाली कांग्रेसी सरकारों ने गांवों के विकास के नारा तो बहुत लगाया लेकिन जमीनी स्तर पर बहुत कम काम किया। इसका परिणाम यह हुआ कि गांवों और शहरों के बीच की खाई बढ़ती गई। उदारीकरण के दौर में इस प्रक्रिया में और तेजी आई। इससे उपजे असंतोष को कम करने के लिए सत्ता के विकेंद्रीकरण का शिगूफा छोड़ा गया। इसके बावजूद गांवों से पलायन नहीं थमा।
दरअसल सरकारों ने गांवों तक बिजली, सड़क, स्कूल, बैंक, अस्पताल, शौचालय, रसोई गैस जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया गया। वे केवल गांवों के विकास का नारा लगाकर सत्ता हासिल करती रहीं। इसका नतीजा गांवों में वीरानी और शहरों में बढ़ती भीड़ के रूप में सामने आया।
2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते ही नरेंद्र मोदी ने देश के सर्वागीण विकास का बीड़ा उठाया। इसके तहत गांवों तक बिना किसी भेदभाव के मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने का समयबद्ध कार्यक्रम बनाया गया और उसके क्रियान्वयन की सतत निगरानी की गई। इसका परिणाम यह हुआ कि मोदी सरकार बिजली, सड़क, रसोई गैस, शौचालय, अस्पताल, स्वास्थ्य बीमा, बैंक जैसी मूलभूत सुविधाएं तय वक्त से पहले पहुंचाने में कामयाब रही।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक देश के सभी गांवों तक ब्रॉडबैंड सुविधा उपलबध कराने के लिए राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन शुरू किया है। इसका उद्देश्य डिजिटल संचार की गति तेज करना, डिजिटल खाई को कम करना, डिजिटल सशक्तीकरण और सभी को सुगम डिजिटल सेवा उपलब्ध करना है। इस मिशन के तहत निम्न लक्ष्य रखे गए हैं-
- 2022 तक प्रति हजार जनसंख्या पर टॉवर घनत्व मौजूदा 0.42 से बढ़ाकर 1.0 करना। फिलहाल देश में 5.65 लाख टॉवर हैं 2022 तक यह संख्या बढ़कर 10 लाख हो जाएगी। इस मिशन के तहत टॉवरों का फाइबराजेशन बढ़कर 70 प्रतिशत किया जाएगा जो कि अभी 30 प्रतिशत ही है।
- 30 लाख किलोमीटर इंक्रीमेंटल ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना।
- सात लाख करोड़ रूपये का निवेश।
- ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सार्वभौमिक और समानता के आधार पर ब्रॉडबैंड पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी।
- यह मिशन केंद्र सरकार द्वारा ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के लिए आवश्यक राइट ऑफ वे (RoW) अनुमोदन सहित डिजिटल बुनियादी ढांचे के विस्तार से संबंधी नीतियां बनाने के के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ काम करेगा।
- मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार।
राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन के जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्यमिता और विकास के क्षेत्र में प्रोद्योगिकी ढांचे को मजबूत किया जा सकेगा। सबसे बढ़कर इससे गांवों तक आधुनिक तकनीक की पहुंच बनेगी और सरकार तथा आम आदमी के बीच की दूरी कम होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित कृषि मंडियां देश भर की मंडियों से जुड़ जाएंगी। इससे किसान अपनी उपज को औने-पौने दाम पर बेचने की विवशता से मुक्त होंगे। हर गांव तक ब्रॉडबैंड सुविधा पहुंचने से गांव और शहर के बीच चौड़ी होती खाई कम होगी। इससे गांवों में उद्यमशीलता और विकास के एक नए युग का सूत्रपात होगा।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)