आम तौर सरकारें वादे तो बहुत करती हैं लेकिन उन्हें लागू करना भूल जाती हैं। मोदी सरकार इस मामले में अलग है। 2 नवबंर को प्रधानमंत्री ने देश के एमएसएमई क्षेत्र को 59 मिनट में अर्थात एक घंटे से भी कम समय में एक करोड़ रूपये तक का ऋण मुहैया कराने वाले पोर्टल को लांच किया और तीन दिन बाद पांच नवंबर को इसके तहत 90 अरब रूपये आवंटित कर दिए गए। ऐसे ही ठोस कदमों के कारण भारत विश्व बैंक की “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” 2019 में 23 पायदान की छलांग के साथ 77वें स्थान पर आया है।
1991 में शुरू हुई नई आर्थिक नीतियों की प्रक्रिया गठबंधन सरकारों के दौर में आकर ठहर गई। यही कारण था कि उदारीकरण का रथ महानगरों और राजमार्गों से आगे नहीं बढ़ पाया। इसका नतीजा यह हुआ कि खेती-किसानी घाटे का सौदा बन गई और गांवों से शहरों की ओर पलायन बढ़ा। उद्यमशीलता के महानगरों तक सिमट जाने के कारण देश भर में बेरोजगारी तेजी से बढ़ी। बेरोजगारों का असंतोष विस्फोटक रूप न धारण कर ले इसके लिए जाति की राजनीति को बढ़ावा दिया गया।
मोदी सरकार उद्यमशीलता को महानगरों से आगे बढ़ाकर गांव की पगडंडी तक पहुंचाने की कवायद में जुटी है। देश की 60 फीसदी से अधिक आबादी गांवों में रहती है, जिसमें से 50 फीसदी आबादी उन युवाओं की है जिनके पास काम नहीं है। शहरी इलाकों को छोड़ दिया जाए तो ग्रामीण और दूरदराज में रहने वाले करोड़ों लोग सुविधाओं के अभाव में अपना उद्यम शुरू नहीं कर पाते हैं। मोदी सरकार इस खाई को पाटने के लिए देश भर में फैले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को मजबूत बना रही है।
गौरतलब है कि भारत में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र विविधताओं से भरा हुआ है। यह क्षेत्र जमीनी ग्रामोद्योग से शुरू होकर ऑटो कल-पुर्जे के उत्पाद, माइक्रो प्रोसेसर, इलेक्ट्रानिक उपकरणों और विद्युत चिकित्सा उपकरणों तक फैला हुआ है।
देश के विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई क्षेत्र की 45 प्रतिशत हिस्सेदारी है और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में यह 8 प्रतिशत योगदान करता है। इस क्षेत्र में 6.5 करोड़ इकाइयां हैं जिनमें 12 करोड़ लोग काम कर रहे हैं। स्पष्ट है, एमएसएमई क्षेत्र को सुदृढ़ करने से न सिर्फ देश का बहुमुखी आर्थिक विकास होगा बल्कि लोगों को अपने गांव-कस्बों में रोजगार मिलेगा और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्ची सामग्री का इस्तेमाल भी हो जाएगा।
एमएसएमई क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या पूंजी की रही है क्योंकि राष्ट्रीयकरण के बावजूद बैंकों का ढांचा अमीरों के अनुकूल और गरीबों के प्रतिकूल ही बना रहा। इस कमी को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुद्रा बैंक की स्थापना की है। इसके तहत छोटे उद्यमियों को पचास हजार से लेकर दस लाख रूपये तक का ऋण मुहैया कराया जा रहा है। इसके लाभार्थियों में छोटा-मोटा कारोबार करने वाले लोग शामिल हैं जैसे फल-सब्जी विक्रेता, मैकेनिक, नाई, ब्यूटी पार्लर, दर्जी, कुम्हार, मोची आदि।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाते हुए एमएसएमई क्षेत्र को उदारीकरण की मुख्य धारा से जोड़ने के साथ-साथ कारोबारी सहूलियत प्रदान कर रहे हैं। देश के एमएसएमई क्षेत्र को 59 मिनट में अर्थात एक घंटे से भी कम समय में एक करोड़ रूपये तक का ऋण मुहैया कराने वाले पोर्टल को लांच किया गया है। इसके अलावा जीएसटी में पंजीकृत कारोबारियों को एक करोड़ तक के लोन पर 2 प्रतिशत की छूट भी मिलेगी।
एमएसएमई को अपने उत्पाद निर्यात करने पर दी जाने वाली छूट को तीन फीसदी से बढ़ाकर पांच फीसदी कर दिया गया है। इसके साथ-साथ प्रधानमंत्री ने कारोबारियों को इंसपेक्टर राज से मुक्ति दिलाने का एलान किया है। इसके तहत नियमों में कई तरह के बदलाव भी किए गए हैं जैसे श्रम कानून में ढील, कंपनी कानून में बदलाव, पर्यावरण संबंधी लाइसेंस में नरमी आदि।
बाजार में पहुंच बढ़ाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम अब अपनी कुल खरीद का 25 फीसदी एमएसएमई से करेंगे। पहले यह सीमा 20 फीसदी थी। खास बात यह है कि पहली बार सरकारी कंपनियों द्वारा की जाने वाली खरीदारी में महिला उद्यमियों के लिए 3 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है। प्रधानमंत्री ने एमएसएमई की तकनीकी आधुनिकता के लिए 20 हब और 100 टूल रूम बनाने के लिए 60 अरब रूपये के पैकेज की घोषणा की है।
मोदी सरकार एमएसएमई क्षेत्र को आधुनिक तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी से भी जोड़ रही है ताकि यह विशालकाय क्षेत्र प्रतिस्पर्धा में टिक सके। इस साल एमएसएमई दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सौर चक्र मिशन लांच किया जिसके तहत सरकार हजारों कारीगरों को सब्सिडी प्रदान करेगी जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा होंगे।
इस मिशन के अंतर्गत एमएसएमई मंत्रालय 50 समूहों को कवर करेगा और प्रत्येक समूह से 400 से 3000 कारीगरों को रोजगार मिलेगा। इतना ही नहीं एमएसएमई मंत्रालय देश भर में 15 अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित कर रहा है जिनमें 10 केंद्र अगले साल मार्च तक संचालित होने लगेंगे।
मोदी सरकार ग्रामीण क्षेत्रों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने, बिजली आपूर्ति, ब्राडबैंड पहुंच, ई मंडी, 115 अति पिछड़े जिलों के विकास की नई योजना जैसे ठोस कदमों से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में उद्यमशीलता का वातावरण बना रही है। इससे न सिर्फ कारोबारी रैंकिंग में सुधार होगा बल्कि रोजगार के स्वरूप में बदलाव आएगा और रोजगार मांगने वाले रोजगार देने वालों में बदलेंगे।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)