सेना द्वारा आतंकी लड़ाकों समेत उनके शीर्ष कमांडरों को भी निशाने पर लिया जा रहा है। अब सेना उन्हें जिंदा पकड़ने की कोशिश करने की बजाय सीधे ख़त्म कर देने की नीति पर चलने लगी है। निश्चित तौर पर इसमें सरकार की तरफ से दी गयी छूट की महत्वपूर्ण भूमिका है। कुल मिलाकर फिलहाल घाटी में आतंकियों के लिए हमारे जवान कहर साबित रहे हैं।
यूँ तो एक लम्बे समय से केंद्र सरकार ने सेना को कश्मीरी आतंकियों से निपटने के लिए खुली छूट दे रखी है, मगर अब जिस स्तर पर सेना कार्रवाई कर रही उसके अलग ही संकेत हैं। कश्मीर में हिंसा फैलाने वाले आतंकियों के साथ-साथ उनको शह देने वाले अलगाववादियों पर भी सरकार एकदम सख्त रुख अपनाए हुए है। स्पष्ट है कि सरकार अब कश्मीर के सभी अराजक तत्वों से एकदम सख्ती से निपटने का मन बना चुकी है। इसके लिए सरकार ने सेना और जांच एजेंसियों की मदद से कश्मीरी आतंकवाद पर दोतरफा आक्रमण की नीति अपनाई है।
आतंकियों के लिए कहर साबित हो रही सेना
हाल के दिनों में सेना जिस ढंग से घाटी में आतंकियों को खोज-खोजकर ख़त्म करती जा रही है, वो आतंक की कमर तोड़ने वाला है। आतंकी संगठन अपने कमांडर घाटी में तैनात करते हैं कि सेना की गोली उन्हें उनकी सही जगह पर पहुँचा दे रही। अभी बीते 1 अगस्त को घाटी में सक्रिय लश्कर कमांडर अबु दुजाना को सेना ने घेरकर मार गिराया। इससे पहले जून में ही लश्कर का एक और कमांडर जुनैद मट्टू सेना की गोली का निशाना बना था। मई में हिजबुल कमांडर सब्जार अहमद बट को भी सेना ने मार गिराया था।
इसके अलावा छिटपुट रूप से भी आए दिन आतंकियों का एनकाउंटर हो रहा है। स्पष्ट है कि सेना द्वारा आतंकी लड़ाकों समेत उनके शीर्ष कमांडरों को भी निशाने पर लिया जा रहा है। अब सेना उन्हें जिंदा पकड़ने की कोशिश करने की बजाय सीधे ख़त्म कर देने की नीति पर चलने लगी है। निश्चित तौर पर इसमें सरकार की तरफ से दी गयी छूट की महत्वपूर्ण भूमिका है। कुल मिलाकर फिलहाल घाटी में आतंकियों के लिए हमारे जवान कहर साबित हो रहे हैं।
अलगाववादियों पर भी कसी जा रही नकेल
एक तरफ सेना आतंकियों को खोज-खोजकर ठिकाने लगा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ एनआईए और ईडी जैसी जांच एजेंसियों ने कश्मीर में आतंक के समर्थक अलगाववादियों की मुश्कें कसनी शुरू कर दी हैं। इस साल की शुरुआत में सामने आए एक न्यूज चैनल के स्टिंग में हुर्रियत नेता नईम खान द्वारा कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए पाकिस्तानी फंडिंग की बात स्वीकार की थी। इसके बाद एनआईए इस मामले की जांच में जुट गयी और अब जांच के आधार पर सामने आए तथ्यों के आलोक में कई अलगाववादी नेताओं की गिरफ्तारी की गयी है।
हुर्रियत प्रमुख गिलानी के दामाद समेत आधा दर्जन से ऊपर अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार किया गया। साथ ही, कई बड़े अलगाववादी नेताओं पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। जाहिर है, सरकार ने अलगाववादियों पर पूरी तरह से सख्त रुख अख्तियार कर लिया है और उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम नज़र आ रही।
उपर्युक्त बातों से समझा जा सकता है कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा कश्मीर में आतंक फैलाने वाले तत्वों से उन्हिकी भाषा में निपटने का स्पष्ट रुख अख्तियार कर चुकी है। बन्दूक की भाषा समझने वाले आतंकियों के खिलाफ सेना को पूरी छूट दे दी गयी है, तो घाटी में आतंक और अलगाव की भावना भरने वाले अलगाववादियों को जेल भरा जा रहा है। आतंकवाद पर दोतरफा आक्रमण की सरकार की ये नीति फिलहाल कारगर होती दिख रही है और उम्मीद है कि इससे घाटी में आतंक की जड़ें कमज़ोर होंगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)